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एक अनार सौ वरदान

अनार भी प्रकृति के कुछ अनमोल उपहारों में से एक है जिसे प्रकृति ने पोषक तत्वों से इस प्रकार सजाया है कि इसके पत्ते, जड़ की छाल, छिलका तथा कली अनेक रोगों में औषधि का काम करते हैं। यह एक ऐसा फल है जिसके नियमित सेवन से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है।

अनार खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पाचक और हमारे शरीर में रक्त वृद्धि करने वाला भी होता है। इस फल के दाने लाल मोती जैसे चमकते हैं। ये फल खट्टा-मीठा स्वाद लिए होता है।

अनार

अनुपान गुणों वाला अनार स्वास्थ्यवर्धक फल है जिसका नियमित सेवन करने से बीमार पड़ने की संभावना कम हो जाती है और इसके चूर्ण से बीमारियां हमसे कोसों दूर भागती हैं। अनार अत्यंत जाना-पहचाना फल है जिसे सभी अनार, दाड़म या दाड़िम आदि अलग-अलग नाम से जानते हैं।

इसका वृक्ष भी बहुत सुन्दर होता है जिसे बगिया की शोभा के लिए भी लगाया जा सकता है। इसकी कली, फूल और फल भी कुछ कम सुन्दर नहीं होते। ऐसा माना जाता है कि इसका जन्मस्थल अरब देश है।


औषधीय गुण

अतिसार: अनार के रस के साथ सौंफ, धनिया और जीरे को बराबर मात्रा में पीसकर इनका चूर्ण बनाकर सेवन करें। अथवा अनार के रस में पका हुआ केला मथकर इसका सेवन करें।


शरीर में खून की कमी: एनीमिया शीघ्र दूर करने के लिए अनार का रस और मूली का रस सामान मात्रा में मिलकर पीएँ।

इसके पत्तों को उबालकर उसका काढ़ा पीने से कब्ज से पीछा छुड़ाया जा सकता है। अथवा- अजवायन का चूर्ण फांक कर अनार का रस पीएं तो कब्ज से मुक्ति मिलेगी।


एसिडिटी (अम्ल पित्त): अनार रस और मूली का रस समान मात्रा में लेकर उसमें अजवायन, सेंधा नमक चुटकी भर मिलाकर सेवन करने से अम्ल पित्त बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।


अपच: यदि आपको देर रात की पार्टी से अपच हो गया है तो पके अनार का रस, सिका हुआ जीरा पीसकर तथा गुड़ मिलाकर दिन में तीन बार लें। प्लीहा और यकृत की कमज़ोरी तथा पेट दर्द इसे खाने से ठीक हो जाते हैं। यह कब्ज दूर करता है, मीठा होने पर पाचन शक्ति बढ़ाता है।


दस्त तथा पेचिश में: 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग लें। दोनों को एक गिलास पानी में आधा रह जाने तक उबालें। इसे दिन में तीन बार लें। इससे दस्त तथा पेचिश में आराम होता है।


दमा/खांसी में: ज्वाखार आधा तौला, काली मिर्च एक तौला, पीपल दो तौला, अनारदाना चार तौला। इन सबका चूर्ण बना लें। फिर आठ तौला गुड़ में मिलकर चटनी बना लें। चार-चार रत्ती की गोलियां बना लें।

अनार

गरम पानी से सुबह, दोपहर, शाम एक-एक गोली लें। इस प्रयोग से दुःसाध्य खांसी मिट जाती है, दमा रोग में रहत मिलती है। बच्चों की खांसी, अनार के छिलकों का चूर्ण आधा-आधा छोटा चम्मच शहद के साथ सुबह शाम चटाने से मिट जाती है।


अत्यधिक मासिक स्त्राव में: अनार के सूखे छिलकों का चूर्ण एक चम्मच फाँकी सुबह-शाम पानी के साथ लेने से रक्त स्त्राव रुक जाता है।


मुँह में दुर्गन्ध: मुँह से दुर्गन्ध आती हो तो अनार का छिलका उबालकर सुबह-शाम कुल्ला करें। इसके छिलकों को जलाकर मंजन करने से दांत के रोग दूर होते हैं।


सुंदरता के लिए: इसका प्रयोग करने से खून की मात्रा बढ़ती है। इससे त्वचा सुन्दर व चिकनी होती है। रोज अनार का रस पीने से या अनार खाने से त्वचा का रंग निखरता है।

इसके छिलकों को छाया में सुखाकर उनका चूर्ण बना लें। कच्चे दूध में एक चम्मच चूर्ण गुलाब जल डालकर उबटन बनाकर चेहरे पर लगाएं। 10-15 मिनट बाद धो लें। इससे रंग निखर जाता है।


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Sri Maheshwari Times

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