Personality of the month

लोक कला गुरु – चंचल राठी

जब हौंसले हों बुलंद तो उन्नति के पथ की ओर बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। इन्हीं पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए अपने कला के शौक को अपना कैरियर बनाकर न सिर्फ ख्यात कलाकार बल्कि कलागुरू के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाकर अपना योगदान दे रही हैं, गुवाहाटी (आसाम) निवासी चंचल राठी।


गुवाहाटी (आसाम) निवासी चंचल राठी की पहचान न सिर्फ क्षेत्र बल्कि प्रदेशों की सीमाओं से भी परे एक ऐसे कलाकार के रूप में हैं, जिन्होंने नारी की सृजनात्मक क्षमता को पंख लगाने में सतत रूप से एक कलागुरू के रूप में अपना योगदान दिया है।

वे न सिर्फ आर्ट एण्ड क्रॉफ्ट बल्कि विभिन्न क्षेत्रों की लोककलाओं की 22 से अधिक शैलियों में न सिर्फ महारथ हासिल कर चुकी हैं, बल्कि इनका प्रशिक्षण भी देकर नारी शक्ति के सशक्तिकरण में अपना योगदान दे रही हैं। श्रीमती राठी फेसबुकयूट्यूब चैनल आदि द्वारा भी अपनी सजीव प्रस्तुति से नवागत कलाकारों की कला को हीरे की तरह तराश कर नगीना बना रही हैं।


परम्परागत परिवार में लिया जन्म

श्रीमती राठी का जन्म 18 अप्रैल 1985 को एक छोटे से गाँव जसवंतगढ़, जिला नागौर (राज.) में पवन कुमार व मंजुला देवी सोमानी के यहाँ 4 भाई-बहनों से भरे पूरे परिवार में हुआ था। ग्रामीण परिवेश के कारण कामर्स में द्वितीय वर्ष तक ही शिक्षा प्राप्त कर पाई लेकिन कला उन्हें ईश्वर प्रदत्त रूप से प्राप्त हुई।

स्वयं श्रीमती राठी बताती हैं, ‘‘मुझे बचपन से ही पढ़ाई के साथ आर्ट एंड क्राफ्ट, साहित्य और अध्यात्म में रुचि थी। पर उस समय गांव में इतनी सुविधा नहीं थी और ना ही इनके प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था। मैंने जो भी सीखा है अपने शौक और सीखने की लगन से ही सीखा है। आज तक मैंने किसी चीज की कोई क्लास नहीं की और मैं सबको यही बताना चाहती हूं कि अगर कुछ सीखने का मन हो तो किसी चीज का अभाव आप को रोक नहीं सकता।”


समाजसेवा के साथ चली कला यात्रा

श्रीमती राठी का विवाह सुजानगढ़ (चुरु डिस्ट्रिक्ट राजस्थान) निवासी श्री अशोक कुमार राठी के पुत्र अनिल कुमार राठी से हुई। अभी वे गुवाहाटी (आसाम) शहर में रहती हैं। उनके दो बच्चे हैं आयुषी राठी, शौर्य राठी। वर्तमान में गुवाहाटी माहेश्वरी महिला समिति की सदस्य, पूर्वांचल माहेश्वरी महिला संगठन की सदस्य और राष्ट्रीय साहित्य समिति गुवाहाटी की संयोजिका भी हैं। समाज सेवा के साथ नि:शुल्क कला प्रशिक्षण से उनकी कलागुरू के रूप में जो यात्रा प्रारम्भ हुई तो थमीं नहीं।

कोरोना काल में गत 2 वर्ष पूर्व उन्होंने राष्ट्र स्तर पर नि:शुल्क ऑनलाईन कला प्रशिक्षण क्लास प्रारम्भ की जो आज भी सतत जारी है। इनकी इन क्लास में आमतौर पर 500-700 प्रशिक्षु शामिल रहते हैं। इनमें वे आर्ट व क्रॉफ्ट के क्षेत्र में ड्राईंग, डेकोरेशन, राखी मेकिंग, प्रेजेंटेशन तकनीक, लड्डू गोपाल ड्रेस तैयार करना, ज्वेलरी मेकिंग विद डेकोरेशन, पूजा थाली व बंदनवार सजावट आदि का प्रशिक्षण दे रही हैं।

कोरोना काल में न सिर्फ स्वयं ने ऑनलाईन क्लासेस लीं बल्कि उन्होंने जरूरतमंद बच्चों के लिए नि:शुल्क विभिन्न ऑनलाईन क्लासों के संचालन के लिये अन्य लोगों को भी प्रेरित किया। साहित्य सृजन के क्षेत्र में श्रीमती राठी ने विभिन्न विषयों पर कई कविताऐं लिखी हैं और विभिन्न प्रतियोगिताओं में भागीदारी भी की। कुछ समाजसेवी संस्थाओं के बारे में उनके क्रियाकलापों पर भी लेखन किया।


कला साधना ने दिलाया सम्मान

अपने नि:स्वार्थ कला प्रशिक्षण प्रदान करने के इस प्रयास ने महिलाओं के बीच श्रीमती राठी को अत्यधिक सम्मान प्रदान करवाया जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी। देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न संस्थाओं द्वारा आयोजित आर्ट व क्रॉफ्ट स्पर्धाओं में श्रीमती राठी निर्णायक के रूप में अक्सर आमंत्रित की जाती रही हैं।

उन्होंने ‘‘सबसे छोटी छप्पन भोग प्लेट’’ का निर्माण व सजावट कर वर्ल्ड रिकार्ड बनाया जो गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स तथा इन्टरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज है। अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन द्वारा ‘‘सशक्त नारी’’ के सम्मान से भी सम्मानित किया गया। श्रीमती राठी को ‘‘वुमन आयकॉन अवार्ड 2022’’ भी प्राप्त हो चुका है। इस बार सीआईएलआर फाऊण्डेशन द्वारा ‘‘इन्टरनेशनल इन्स्पायरेशन वुमन अवार्ड 2022’’ से भी सम्मानित किया जा रहा है।


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