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अंग्रेजी “भाषा गुरु” – डॉ बीना विनोद राठी

भाषा तो ज्ञान प्राप्ति की वह खिड़की है, जिसके द्वारा ज्ञान का प्रकाश हम तक पहुँचता है। इन्हीं पंक्तियों को अपने जीवन का आदर्श बना अंग्रेजी भाषा में विद्यार्थियों को पारंगत करने का कार्य कर रही हैं, अंजनगांव की श्रीमती राधाबाई आर्ट्स, कॉमर्स एण्ड साईंस कॉलेज की प्राध्यापिका डॉ बीना राठी।


अंजनगांव सुर्जी ही नहीं बल्कि क्षेत्र के उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये डॉ बीना राठी एक ऐसी प्रेरणा हैं, जो सतत रूप से अंग्रेजी भाषा के महारथियों को तैयार कर रही हैं। लगभग 32 वर्षों से शिक्षा क्षेत्र से सम्बध्द होकर सहायक प्राध्यापक, फिर प्राध्यापक के रूप मे सेवा दे रही हैं।

अभी तक इस शैक्षणिक यात्रा में वे हजारों विद्यार्थियों को यू.जी.सी. तथा पी.जी. तक शिक्षित कर चुकी हैं, तो वही 02 शोधार्थी उनके मार्गदर्शन में एम.फिल. तथा 12 से अधिक पी.एच.डी. की उपाधि प्रदान कर चुके हैं और 06 विद्यार्थी शोध कार्य कर रहे हैं।

उनके शिक्षा दान की यह यात्रा अभी भी थमी नहीं अपितु सतत रूप जारी है। वे कल्चरल एम्बेसेडर के रूप में साऊथ अफ्रीका, कैन्या, मोजम्बिक, स्वाजिलैंड आदि देशों व इनकी 09 युनिवर्सिटियों का भ्रमण कर चुकी हैं व वहां पर भाषण दे चुकी हैं।


शिक्षा यात्रा में पति बने साथी

डॉ बीना राठी का जन्म 27 मई 1964 मे अमरावती में एक सुसंस्कृत परिवार में, श्री राजकुमार झंवर के घर मे हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा एच.एस.एस.सी. तथा बी.एस.सी. माइक्रोबायोलोजी (गोल्ड मेडलिस्ट) तक ग्रहण की तथा विवाह पश्चात् अमरावती आ गई।

यहाँ पति प्रो. विनोद राठी का ऐसा प्रोत्साहन व साथ मिला कि उनकी उच्च शिक्षा प्राप्ति की यात्रा सतत रूप से चल पड़ी। बी.ए. व एम.ए. अंग्रेजी तक शिक्षा प्राप्त कर वर्ष 1991-1992 में प्रथम श्रेणी में एम.फिल अंग्रेजी की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 2002 मे यू.जी.सी. की टीचर्स फेलोशिप एफ.डी.पी. स्किम के अंतर्गत अवार्डी के रूप में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।


शिक्षा दान की वृहद यात्रा

लगभग 32 वर्ष पूर्व ही अंगेजी विषय की सहायक प्राध्यापिका के रूप मे डॉ बीना राठी ने अपने शिक्षादान की यात्रा प्रारम्भ कर दी थी, जो हजारो विद्यार्थियों को लाभान्वित करती हुई वर्तमान मे भी जारी है। अपनी इस सेवा यात्रा के दौरान डॉ राठी ने मुम्बई से वर्ष 2003 मे कम्प्युटर कोर्स एम.एस.सीआईटी उत्तीर्ण किया। इतना ही नहीं भाषा सीखने की अपनी रूचि के चलते उन्होंने इंडो-एंग्लियन लिट्रेचर तथा अमेरिकन लिट्रेचर मे भी विशेषज्ञता प्राप्त की।

आपके यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय 17 जर्नल्स मे शोधपत्र तथा 19 पुस्तकों में चेप्टर्स प्रकाशित हुए हैं। लगभग 25 से अधिक कॉलेज, विवि, राज्य, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सेमीनारों में भी पेपर प्रेजेंटेशन दे चुकी हैं। उन्होंने 07 पुस्तक लिखी हैं, जिसमे से एक विभिन्न विश्वविद्यालयों में पाठ्यपुस्तक के रूप में भी शामिल है।

उनकी संपादक के रूप में भी 11 पुस्तकें प्रकाशित हैं। यू.जी.सी. ने उनके 03 लघुप्रबंधो को प्रायोजित किया हैं। उन्हे 2001 में अमृता प्रितम साहित्याविष्कार पुरस्कार से तथा 2019 मे ए.पी.जे. अब्दुल कलाम लाईफ टाईम अचिव्हमेंट अवार्ड से नवाजा गया है।


सेवा के वृहद आयाम

डॉ राठी की सेवा यात्रा यहीं पर नहीं थमीं अपितु वे कई रूपों में अपना योगदान दे रही हैं। वे युनिवर्सिटी की परीक्षा अधिकारी तथा प्लेसमेंट कमेटी अधिकारी के रूप में भी सेवा दे रही हैं। महाविद्यालयीन शिक्षकों के लिये आयोजित रेफ्रेशेर्स कोर्सों में भी रिसोर्स पर्सन के रूप में तथा विभिन्न विवि में ‘कीनोट स्पीकर’ आदि के रूप में मार्गदर्शन प्रदान कर चुकी हैं।

इसके साथ ही नैक पीयर टीम सदस्य के रूप में आसाम तथा नागालैंड के दो महाविद्यालयों का निरीक्षण भी कर चुकी हैं। चिखलदारा में आर्ट्स कॉलेज के एक्रेडेशन के लिये ‘मॉक पीयर टीम मेम्बर’ भी रही हैं।

अपनी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद आप समाजसेवा में अपना योगदान देते हुए लायंस क्लब अंजनगॉंव, राजस्थानी महिला एवं नवयुवक मंडल अंजनगॉव सुर्जी तथा एनयूटीए, अंजनगांव की अध्यक्ष के रूप में भी सेवा देती रही हैं।


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