Mulahiza Farmaiye

मुलाहिजा फरमाइये – अप्रैल 2021

पढ़िए ‘मुलाहिजा फरमाइये अप्रैल 2021 :

उनकी तासीर बेहद कड़वी होती है।
जिनकी गुफ्तगू शक्कर सी होती है।।

इंतज़ार से थकी इन आंखों में कुछ ख्यालात चाहता हूं
मेरी नज़्म को पढ़ने वाले तुझसे एक मुलाकात चाहता हूं…

‘दरारें’ अपनों में, इस कदर ना बढ़ने देना !
कि गैरों की जरुरत पड़े, मरम्मत के लिए!

लोग तलाशते है कि कोई.. फिकरमंद हो..,
वरना कौन ठीक होता है यूँ हाल पूछने से..!

फुर्सत नहीं है इंसान को इंसान से मिलने की,
और ख्वाहिशें रखता है दूर बैठे भगवान से मिलने की।

मय्यत पर मेरी आये है, कुछ इस अदा से वो।
कि लोग उस पर मर मिटे, मेरी लाश छोड़कर।।

फर्क बहुत है, तेरी और उसकी तालीम में,
तूने उस्तादों से सीखा और वो हालातों से।

-ज्योत्स्ना कोठारी



Via
Sri Maheshwari Times

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