Mulahiza Farmaiye

मुलाहिजा फरमाइये – जनवरी 2021

पढ़िए ‘मुलाहिजा फरमाइये जनवरी 2021’:

हवाओं की भी अपनी, अजब सियासतें हैं साहब...!
कहीं बुझी राख भड़का दे, तो कहीं जलते चिराग बुझा दे...!
ये हुनर जो आ जाये, आपका ज़माना है
पाँव किसके छूने हैं, सर कहाँ झुकाना है
ज़िंदा रहना है तो हालात से डरना कैसा,
जंग लाज़िम हो तो लश्कर नहीं देखे जाते!!
ये ना समझना कि खुशियों के ही तलबगार हैं हमष्ट
तुम अगर अश्क भी बेचो तो, उसके भी खरीददार हैं हम
मत कर जिद्द, तूफ़ान से टकराने की,
ये किसान है, भूल न कर, इसे आज़माने की..
बेरंग ज़िन्दगी में रंग भर जाते हैं,

जब कुछ फ़रिश्ते दोस्त बन कर आते हैं !
दोस्त है तो सुकूने ज़िंदगानी है

वो नहीं तो हम नहीं फिर तो बाकी क्या कहानी है

ज्योत्स्ना कोठारी


Via
Sri Maheshwari Times

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