Mulahiza Farmaiye

मुलाहिजा फरमाइये

पढ़िए इस माह का “मुलाहिजा फरमाइये” ज्योत्सना कोठारी की कलम से।

‘ना फिसलो इस उम्मीद में,
कि कोई तुम्हे उठा लेगा,

सोच कर मत डूबो दरकि कोई तुम्हे बचा लेगा,
ये दुनिया तो एक अड्डा है
तमाशबीनों का दोस्तों,
अगर देखा तुम्हे मुसीबत में,
तो हर कोई यहाँ मज़ा लेगा।’

चुपके से आकर मेरे कान में,
एक तितली कह गई अपनी जुबां में
उड़ना पड़ेगा तुमको भी,
मेरी तरह इस तूफ़ान में?

‘हर रोज़ गिरकर भी मुकम्मल खड़े हैं….!
ऐ ज़िन्दगी देख,
मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं…!!!’

ज़िन्दगी वही है जो हम आज जी लें,
कल तो हम जीयेंगे वो उम्मीद होगी…!

ज्योत्सना कोठारी
मेरठ


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Sri Maheshwari Times

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