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गाँव में बेटियों के विवाह से करियर होता है प्रभावित- भ्रम है या सच्चाई?

वर्तमान दौर में जब नारी भी पुरुष के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर करियर के पथ पर आगे बढ़ रही है। ऐसे में अधिकांश शहरी बेटियां गाँवों में विवाह नहीं करना चाहती। इसके पीछे उनके मन में भय है कि गाँव में विवाह किया तो उनका करियर प्रभावित हो जाएगा। ऐसे में विचारणीय हो गया है कि इस कारण पर चिंतन करें आखिर हमारी शहरी बेटीयों कि यह सोच वास्तव में भ्रम है या सच्चाई?

यह विषय समाज का एक अत्यंत ज्वलंत मुद्दा बन चुका है। गाँव में स्वच्छ पर्यावरण व तनावमुक्त जीवन मौजूद है। साथ ही अधिकांश माहेश्वरी परिवार आर्थिक रूप से भी सुदृढ़ हैं। फिर भी यह स्थिति है। ऐसे में इस विषय पर सामाजिक चिंतन अनिवार्य है। आइये जानें इस स्तम्भ की प्रभारी सुमिता मूंदड़ा से उनके तथा समाज के प्रबुद्धजनों के विचार।


सकारात्मक सोच की आवश्यकता
सुमिता मूंधड़ा, मालेगांव

गांव के रहन-सहन का स्तर और पिछड़ेपन की छवि हम सभी के मन-मस्तिष्क में बैठ गई है यही कारण है कि शहर में पली-बढ़ी बेटियां गांव में विवाह करने और घर बसाने से कतराती हैं। विशेषकर पढ़ी-लिखी कैरियर बनाने की चाह रखने वाली बेटियां। कुछ हद तक यह सही भी है कि उच्च-शिक्षा प्राप्त लड़कियों को गांव में उनकी शिक्षा और प्रतिभा के अनुसार कार्यक्षेत्र नहीं मिल पाता है।

उनकी प्रतिभा, उच्च-शिक्षा और कार्यक्षमता को आसमां छूने के अवसरों का अभाव होता है। बस इन कुछेक अपवादों को छोड़कर शहर की बेटियों का गांव में विवाह ना करने की दलील बेबुनियाद है। आज गांवों में भी बहुओं को उनकी इच्छानुसार कार्य करने की पूरी स्वतंत्रता मिल रही है। पति एवं परिवार उसके निजी अस्तित्व खुशी-खुशी स्वीकार रहे हैं और यथासंभव सहयोग भी कर रहे हैं।

भ्रम है या सच्चाई
सुमिता मूंधड़ा

इतना ही नहीं शहरों की अपेक्षाकृत बेटियों को गांव में सामाजिक सहयोग भी अधिक मिलता है। गांव के लोग भी नई तकनीक एवं नए विचारों से जुड़कर आगे बढ़ना चाहते हैं इसलिए अगर कोई विकसित कदम बढ़ाता है तो गांव के लोग उसे सहर्ष स्वीकार ही नहीं करते बल्कि उसका सहयोग भी करते हैं।

इन सबसे ऊपर एक बात स्मरण रखें कि जहां चाह वहां राह। निश्चित ही धीरे-धीरे गांव भी शहर समान विकसित हो जाएंगे। अगर हम भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझकर अपनी शिक्षा और ज्ञान से गांव के विकास में थोड़ी मदद करें तो इससे हमें आत्मिक और मानसिक संतुष्टि मिलेगी।

अपना जो नाम और पहचान आप शहर की लाखों की भीड़ में नहीं कमा पाएंगे वो आप गांव में आसानी से अर्जित कर सकते हैं।


सुविधाजन माहौल ही पसंद
पूजा काकानी, इंदौर

आज का विषय ‘गांव में बेटियों के विवाह से केरियर होता है प्रभावित यह भ्रम है या सच्चाई?’ आज के समय में आज की युवतीयों का बहुत ही ध्यान देने वाला विषय बन गया है।

जैसे ही पढ़ाई पूरी हुई बालिका के विवाह करने की चर्चा घर, समाज में शुरू हो जाती है और इस विषय में बेटी, बालिका से पूछने पर आज की घर की 90 प्रतिशत बेटियों का कहना और विचार अभी जॉब, अनुभव लेने का होता है। यदि जॉब नहीं भी तो कुछ ऐसा केरियर ऑपरच्युनिटी के लिए होता है जिसमें उनके उच्च शिक्षा का सदुपयोग हो सके।

यह सब प्राप्त करने के लिए उन्हें बड़े पैमाने के उद्योग या जॉब फेयर्स की एवेबिलिटी बहुत आवश्यक होती है और यदि कोई जॉब नहीं भी करना चाहती है तो भी गांव में शादी करना पसंद नहीं करती है। चाहे वह गांव में ही जन्मी हो, पली-बढ़ी हो ,वह शहर में ही शादी करना पसंद करती है।

भ्रम है या सच्चाई
पूजा काकानी

लगभग वो बालिका जिस वातावरण, सुविधाओं में बड़ी हुई, उससे अच्छे सुविधा जनक वातावरण, माहौल में ही जाना पसंद करेगी। 80 से 90 प्रतिशत लड़कियों की यही राय है, जो आज अच्छा पढ़ लिख गई हैं।

आज हमारे समाज की बेटियां परिवार में हर प्रॉब्लम्स का कंधे से कंधा मिलाकर सामना करने के लिए तैयार है। आज बेटियां बेटों से कम नहीं है। वह अपनी अलग पहचान बनाना चाहती है।


रोजगार देने वाली बनें
अनिता ईश्वरदयाल मंत्री, अमरावती

माहेश्वरी समाज पढ़ा लिखा, सुसंस्कृत, सभ्य, परम्परावादी, व्यापार करने वाले व दूसरों को रोजगार देने में समर्थ के रूप में पहचाना जाता हैं। आप अपने ज्ञान का उपयोग अगर छोटे गाँव से करते हो तो आप की अलग पहचान होती है।

आप अपनी बुलन्दियों को छू लेते हो। हमे गाँव की और देखने का नजरिया बदलना चाहिये। खुद को बदलकर समय के साथ और अपने संस्कारो को लेकर चलना चाहिए। अगर आप में हुनर है तो जिंदगी में आपको कोई नही रोक सकता।

अनिता ईश्वरदयाल मंत्री

परेशानी होगी, रुकावटे होगी मगर आपको रोक नही सकती। लोग क्या कहेंगे ये सोचने से ज्यादा, क्या ये सही होगा ये खुद से पूछें और आपको अगर अंतरात्मा का जवाब मिल जाए तो बेझिझक आगे बढ़े।

अपने गाँव के बच्चे बाहर ना जाए वो गाँव मे रहकर अपना और अपने समाज के साथ ही साथ गाँव का नाम रोशन करें और अपनी महत्वकांक्षा की पूर्ति छोटे गाँव में जल्दी पूरी होगी, साथ ही साथ सही आयु में शादी होगी और गाँव का लड़का भी कुंवारा नही रहेगा।


भ्रम है सबसे बड़ी परेशानीं
महेश कुमार मारू,मालेगाँव

गाँव में बेटियों के विवाह से कॅरियर (भविष्य) प्रभावित होता है,यह मात्र भ्रम है! सच्चाई और वास्तविकता तो यह है कि आज की शिक्षा ने मनुष्य को मात्र धनोपार्जन का साधन और नौकर बना दिया है, जिसके कारण शहरीकरण को बढ़ावा मिला है।

गाँवों की महत्ता कम होती जा रही है। नगरों की अपनी बहुत सी समस्यायें हैं, परन्तु भौतिकवादिता और चकाचौंध की जीवन शैली को आज का समाज अपनाता जा रहा है और इसी कारण वश गाँवों की ओर युवा पीढ़ी का आकर्षण कम हो रहा है विशेष कर बेटियों, युवतियों का।

महेश कुमार मारू

कोविड-19 जैसी महामारी ने सोच में कुछ बदलाव अवश्य किया है। इस महामारी की चपेट में गाँवों से अधिक शहर और महानगर ही आये हैं। उन्नत तकनीक व सञ्चार माध्यमों के कारण और घर से ही काम करने की विचारधारा के कारण अब नौकरी करने वाले कहीं से भी काम करने के लिये मुक्त हो गये हैं।

शहरों के अनाप शनाप खर्चों से भी मुक्ति मिल गयी है। परिवर्तन सृष्टि का नियम है। हो सकता है, इसी प्रकार की किसी घटना दुर्घटना से जीवन चक्र में पुन: परिवर्तन आए। विशेष कर बेटियों का दृष्टिकोण बदले।


भौतिक चकाचौंध से निकलना होगा
रेखा मोदी,श्योपुर

भौतिक सुखसुविधा की चकाचोंध से आज कोई अछुता नही है। आज हर लड़की सुखपूर्वक और सुविधायुक्त जीवन की चाह रखती है। आजकल की लड़कियाँ गांव में शादी नही करना चाहती है। वह अपना करियर बनाना चाहती है। वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर बड़े पदों पर पहुँच रही है, जिससे उनके होंसले बुलंद हो गए हैं।

उनको लगता है कि गांव में पर्याप्त सुविधाए नही होती है और गांव के लोगो की मानसिकता भी पिछड़ी हुई है। उन्हें लगता है कि वे लोग उनको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित नही करेंगे। पर समय के साथ साथ गांव भी आधुनिक हो रहे है।

शिक्षा का प्रचार ,सड़क बिजली, अस्पताल ,वाहनआदि की सुविधाओं के कारण गांव मे रहना उतना कठिन नही रहा। आज कल गांव के लोग भी शिक्षा के महत्व को समझने लगे है वे अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा रहे है और उच्च शिक्षा के लिए बाहर भेजने लगे है।

रेखा मोदी

आजकल माता पिता भी अपनी बेटी की शादी गांव मे नही करना चाहते है। लड़का उच्च पद पर हो तो ये सोचते है कि लड़की को गांव बहुत कम जाना पड़ेगा। जहाँ लड़का कार्यरत हो वही रहेगी।

ऐसे अनेक उदाहरण है जहाँ शहर की लड़की पैसे और समृद्धि के कारण गांव मे शादी तो कर लेती है मगर उसके बाद शहरो मे बसकर गांव से पूरी तर कट जाती है। पति को भी शहरी बना देती है।

लोगो को अपनी सोच बदलनी होगी कि पृष्ठभूमि शहरी या ग्रामीण होने से सबकुछ नही बदलता।



Via
Sri Maheshwari Times

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