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सेवा सदन के फिर सिरमौर बने- रामकुमार भूतड़ा

श्री अभा माहेश्वरी सेवा सदन ने इस बार फिर अपना वही नेतृत्व चुना है, जिसने पूर्व में लगातार दो सत्र में नेतृत्व सम्भालते हुए सेवा सदन का कायाकल्प ही कर दिया था। इस बार पुन: उन्हीं रामकुमार भूतड़ा को आग्रहपूर्वक सेवा सदन के सदस्यों ने नेतृत्व की जिम्मेदारी निर्विरोध रूप से सौंपी है। इस बार न सिर्फ अध्यक्ष पद बल्कि शेष सभी पदों पर भी निर्विरोध निर्वाचन ही हुआ है।

प्रमुख तीर्थ स्थलों पर समाज के पर्यटकों को घर जैसी आवासीय सुविधा प्रदान करने वाली शीर्ष संस्था श्री अ.भा. माहेश्वरी सेवा सदन पुष्कर की प्रबंधकारिणी के चुनाव गत 9 दिसम्बर को सम्पन्न हुए। इस बार के चुनावों की विशेषता यह रही कि इस चुनाव में सेवा सदन को विगत दो सत्रों में अध्यक्ष के रूप में नेतृत्व प्रदान करने वाले ख्यात समाजसेवी एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजस्थान के कोषाध्यक्ष श्री रामकुमार भूतड़ा तो निर्विरोध अध्यक्ष चुने ही गये, इनके साथ कार्यकारिणी के शेष सभी 14 पदों पर भी निर्विरोध निर्वाचन ही हुआ।

संस्था के विकास की सोच के साथ श्री भूतड़ा को आग्रह पूर्वक चुनाव में खड़े करने के साथ सम्पूर्ण प्रबंधकारिणी के निर्विरोध निर्वाचन में अ.भा. माहेश्वरी महासभा के पूर्व सभापति भीलवाड़ा निवासी रामपाल सोनी की अहम भूमिका रही। मुख्य चुनाव अधिकारी किशन गोपाल कोगटा (विजयनगर) थे।


सेवा सदन को बनाया शीर्ष सेवा संस्था

वर्तमान में श्री अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन सिर्फ समाज ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र्र की ऐसी शीर्ष समाजसेवी संस्थाओं में शामिल है, जो देश के प्रमुख तीर्थ स्थानों पर आवासीय भवनों की सुविधा उपलब्ध करवाकर तीर्थ यात्रियों को अत्यंत उच्च स्तरीय सेवा प्रदान कर रहा है। वर्ष 2003 में प्रथम बार इस सेवा संस्था की बागडोर अध्यक्ष के रूप में ख्यात समाजसेवी व ग्रेनाईट पत्थर व्यवसायी जालोर (राजस्थान) निवासी रामकुमार भूतड़ा ने संभाली थी, उस समय सेवा सदन के सेवा भवनों की संख्या मात्र 4 थी।

उनकी सेवाओं का सम्मान करते हुए मतदाताओं ने वर्ष 2008 में हुए चुनाव में इस संस्था की बागड़ोर पुनः श्री भूतड़ा को ही सौंप दी। इसके पश्चात् वर्ष 2012 तक वे इस संस्था के अध्यक्ष रहे। यह उनकी सेवाओं का ही प्रतिफल है कि देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों पर स्थापित सेवा सदन भवनों की संख्या उनके कार्यकाल में 4 से सीधे 9 पर जा पहुँची।

इतना ही नहीं इन भवनों के आधुनिकीकरण में भी कोई कसर नहीं रही। वर्तमान में इनमें से अधिकांश उच्चस्तरीय होटलों की तरह आधुनिकतम सुविधाओं से भी युक्त हैं।


आधुनिक सुविधा के साथ भवनों का विस्तार

एक धर्मशाला के रूप में सेवा सदन की शुरूआत हुई थी। फिर यह सेवा यात्रा श्री अ.भा. माहेश्वरी सेवा सदन के रूप में सेवा के वटवृक्ष के रूप में विस्तारित होती चली गई। रामकुमार भूतड़ा के दो सत्र के अध्यक्षीय कार्यकाल में तो इसने अत्यंत तीव्र विकास गति ही प्राप्त कर ली। उनके कार्यकाल में प्रधान कार्यालय पुष्कर के साथ वृंदावन, हरिद्वार, बद्रीनाथ, नाथद्वारा, रामदेवरा, चारभुजा, जतीपुरा व जोधपुर में भी इसकी शाखाएं अपने सुविधाजनक भवनों से सेवा देने लगीं। सेवा सदन भवनों की फोन पर एडवांस बुकिंग तो लंबे समय से जारी थी।

अब आधुनिक तकनीक के दौर में सेवा सदन हाईटेक होकर ऑनलाइन बुकिंग भी प्रारंभ हो गई। इसके लिए सेवा सदन की बेवसाइट पर जाकर संबंधित सेवा भवन में एडवांस ऑनलाइन बुकिंग करवाई जा सकती है। सभी भवनों में एसी, नॉन एसी, एयरकूल्ड कमरे न्यूनतम सहयोग राशि पर उपलब्ध हैं।

पुष्कर, वृंदावन, हरिद्वार, चारभुजा, नाथद्वारा, जोधपुर में न्यूनतम दर पर उत्तम भोजन की व्यवस्था भी उपलब्ध होती है। सामाजिक समारोहों हेतु भव्य हॉल एवं खुले मैदान की व्यवस्था है। वर्तमान में परिवेश के अनुसार आधुनिकतम सुविधाओं से सुसज्जित डीलक्स रूम भी तैयार हैं।


विश्वास का बनाया प्रतिमान

श्री भूतड़ा के कार्यकाल में सेवा सदन ने विश्वसनीयता के कीर्तिमान बनाये। इसका प्रमाण विभिन्न संस्थाओं द्वारा समर्पित किये गये सेवा भवन हैं। रामदेवरा में समाजसेवी जीवनलाल चाँडक व उनके सहयोगियों द्वारा स्थापित एक संस्था द्वारा तीर्थ यात्रियों के ठहरने के लिये एक भवन का संचालन किया जा रहा था।

जब वृद्धावस्था व अन्यत्र निवास के कारण सभी संचालकगण इस भवन के सफल संचालन में परेशानी महसूस करने लगे तो ऐसी योग्य संस्था की तलाश प्रारम्भ हुई जो पूर्ण सेवाभाव से इसका संचालन कर सके। जब सभी संस्थाओं की जानकारी ली गई तो श्री चांडक व उनके सहयोगियों को सबसे योग्य व विश्वस्त श्री अ.भा. माहेश्वरी सेवा सदन ही लगा।

उन्होंने सर्वसम्मति से 64 कमरों, 5 सभागार एवं 22 हजार वर्गफीट भूमि के साथ निर्मित इस सामूदायिक भवन को सेवा सदन को सौप दिया था। इसी प्रकार जतिपुरा गोवर्धन के जैसलमेर भवन को संचालित करने वाली संस्था ने भी सेवा सदन के प्रति विश्वास प्रकट करते हुए सम्पूर्ण भवन अर्पण कर दिया था।

इसी प्रकार नासिक जिला माहेश्वरी सभा के अनुरोध पर भामाशाह प्रकाश बालकिशन कलंत्री ने करोड़ों रूपये मूल्य की भूमि बिना किसी शर्त के सेवा सदन को भवन निर्माण के लिये भेंट की थी। इसी प्रकार जगन्नाथपुरी व तिरूपति में भी विभिन्न संस्थाओं ने विश्वास व्यक्त किया था।


पैतृक गाँव से सेवा की शुरूआत

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिवस जन्माष्टमी पर सन् 1949 में राजस्थान के एक छोटे से गाँव डोडियाना, तहसील डेगाना, जिला नागौर में स्व. श्री शिवदयाल भूतड़ा के यहाँ एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे रामकुमारजी का बाल जीवन भी भगवान श्री कृष्ण की तरह ही रहा। उन्हें भी अपने गाँव से बेहद लगाव रहा। अपने गाँव की सुविधाविहीनता व पिछड़ापन उन्हें बहुत कष्ट देता था।

स्वयं की पढ़ाई भी उन्हें पारीक संस्कृत विद्यालय मेडता सिटी तथा कक्षा 9 से 10 तक की सांईनाथ विद्या मंदिर बडायली में पूर्ण करनी पड़ी। इसके बाद कक्षा 12वीं की परीक्षा उन्होंने पत्राचार से पढ़ाई कर उत्तीर्ण की। उनका सपना था कि उनका गाँव सुविधाओं में सबसे आगे रहे। बस इस सपने ने ही उन्हें राजनीति में भी सक्रिय कर दिया।

आप भाजपा के मण्डल अध्यक्ष, जिला कोषाध्यक्ष, व्यावसायिक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष आदि पदों पर सेवा भी प्रदान करते रहे। वर्ष 1988 से 1991 तक ग्राम पंचायत डोडियाना के सरपंच भी रहे। इसी दौरान मेड़ता उपखेड सरपंच संघ के 3 वर्ष तक सचिव भी रहे। सरपंच पद पर रहते हुए इन्हें बचपन के सपने साकार करने का अवसर मिला तो कोई कसर ही नहीं रख छोड़ी।

गाँव में 70 परिवारों के लिए मकान, 38 परिवारों के लिए कुएं निर्माण का कार्य एवं 200 परिवारों को मासिक परिवार पेंशन सरकार के सहयोग से प्रदान करवाने का श्रेय इन्हें ही जाता है। बालाजी व शिव मंदिर निर्माण, गौशाला, अस्पताल का विकास व नेत्र चिकित्सा शिविर का आयोजन, स्कूल भवनों का निर्माण आदि भी उनके योगदानों में शामिल हैं जिनमें आपने स्वयं भी यथासंभव वित्तीय सहयोग दिया था।


सिद्धांतों से समझौता नहीं

श्री भूतड़ा ने बचपन से आम व्यक्ति की परेशानियों को निकट से देखा है, क्योंकि उन विषम स्थितियों से दो-दो हाथ करने वालों में स्वयं वे भी शामिल रहे। आपके पिता स्व. श्री शिवदयाल भूतड़ा उस गाँव में किराना व गल्ला का छोटा-मोटा व्यापार करते थे। आर्थिक परेशानियों के साथ-साथ ही सुविधा विहीन ग्रामीण परिवेश को भी बचपन से महसूस किया। विषम परिस्थितियाँ जीवन में ऐसी रची बसी कि आम व्यक्ति की परेशानियों से दो-दो हाथ करना इनके जीवन का उद्देश्य ही बन गया।

Ramkumar Bhutra
Ramkumar Bhutra Ji with family

आर्थिक विषमताओं और ग्रामीण परिवेश में उच्च शिक्षा की सीमित सुविधाओं के चलते श्री भूतड़ा इन्टरमीडिएट से आगे पढ़ नहीं पाए और आजीविका के लिए राजकीय शिक्षक के रूप में कार्य करने लगे। अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान ही जनसंघ की गतिविधियों में सक्रिय हो गए। जनसंघ से उनका यह जुड़ाव उनकी नौकरी के आड़े आ गया।

राजनीति में उनका सक्रिय रहना अधिकारियों की आँख में खटकने लगा और आए दिन वे आपत्ति लेने लगे। श्री भूतड़ा ने अपने सिद्धांतों से समझौता न करते हुए जब जनसंघ या नौकरी में से किसी एक को चुनने का मौका आया तो नौकरी को छोड़ना ही अधिक उचित समझा, जिससे स्वतंत्र होकर जनहित के लिए कार्य कर सकें। 1967 में आपने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।


पत्थर व्यवसाय में शीर्ष नाम

वर्तमान में श्री भूतड़ा का नाम राजस्थान के शीर्ष पत्थर व्यवसायियों में शामिल है। वर्ष 1995 में स्वव्यवसाय की दृढ़ इच्छा शक्ति ने उन्हें उद्योग की ओर प्रेरित किया। मात्र 20 लाख रुपए की लागत से 2 कटर मशीन लगाकर जालौर में ग्रेनाईट पत्थर के उद्योग की स्थापना की। पत्थर की दुनिया भी इनके मजबूत इरादों के सामने नतमस्तक हो गई।

मात्र 4-5 वर्ष में ही जालौर के साथ ही किशनगढ़ में भी उनके उद्योग का विस्तार हो गया। वर्तमान में कमला ग्रेनाईट, आर.के. गे्रनाइट और श्रीकांत ग्रेनाईट उद्योग की संपूर्ण राजस्थान में विशेष पहचान बन चुकी है। अपनी व्यावसायिक व्यस्तता के बावजूद श्री भूतड़ा राजनीतिक सक्रियता व समाजसेवा के साथ ही धार्मिक गतिविधियों में भी यथासंभव सहयोग देते रहे हैं।

धर्मपत्नी श्रीमती कमलादेवी भूतड़ा इन धार्मिक गतिविधियों की जिम्मेदारी का सक्रियता से निर्वहन करती है। पुत्र श्रीकांत एवं अमित सुस्थापित हो चुके ग्रेनाईट उद्योग का भार वर्तमान में अपने युवा कंधों पर लेकर उद्योग को शीर्ष पर ले जाने के लिए प्रयासरत हैं।


समाज सेवा का वृहद आयाम

श्री भूतड़ा जालौर में अपना ग्रेनाईट स्टोन का सुस्थापित व्यवसाय संचालित कर रहे हैं। अपनी इस व्यवसायिक व्यस्तता के बावजूद आपकी सेवा गतिविधियाँ कभी सीमित नहीं रहीं। समाज संगठन के अन्तर्गत श्री भूतड़ा ने वर्ष 1990-96 तक नागौर जिला माहेश्वरी सभाध्यक्ष, वर्ष 1990-98 तक राजस्थान प्रादेशिक सभा के कार्यसमिति सदस्य व वर्ष 1998-2001 तक इसी प्रादेशिक संगठन में संयुक्त मंत्री जैसे पदों पर भी सेवा दी।

श्री अ.भा. माहेश्वरी सेवा सदन से वर्ष 1980 से कार्यसमिति सदस्य के रूप में सम्बद्ध हुऐ और वर्ष 1984 में इसमें संयुक्त मंत्री एवं वर्ष 1999 से 2003 तक उपाध्यक्ष रहे। समग्र वैश्य समाज के सर्वोच्च संगठन अ.भा. वैश्य महासम्मेलन में आप राष्ट्र्रीय कार्यसमिति सदस्य एवं नागौर जिला वैश्य सम्मेलन अध्यक्ष पद के उत्तरदायित्वों आदि का निर्वहन भी करते रहे हैं।

आप महेश सेवानिधि राजस्थान के कार्यकारिणी एवं श्री आदित्य विक्रम बिड़ला मेमोरियल व्यापार सहयोग ट्रस्ट चैन्नर्ई के संस्थापक सदस्य भी हैं। माहेश्वरी छात्रावास कोटा, बांगड़ माहेश्वरी मेडिकल वेलफेयर सोसायटी ब्यावर एवं गोल बालाजी मंदिर के आदि आप ट्रस्टी भी हैं। राजनीतिक रूप से आप भाजपा राजस्थान प्रदेश कोषाध्यक्ष हैं।


महासभा में भी निभाई अहम भूमिका

श्री भूतड़ा अपनी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद अ.भा. माहेश्वरी महासभा से दीर्घावधि से सम्बद्ध होकर भी अपनी सेवा देते रहे हैं। इसके अंतर्गत श्री भूतड़ा लगभग 35 वर्ष तक कार्यकारी मंडल सदस्य तथा दो सत्रों में राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य रहे हैं।

सत्र 2013-2016 में महामंत्री पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई। इस सत्र में सभापति श्री लड्ढा के अस्वस्थ रहने से श्री भूतड़ा पर दोहरी जिम्मेदारी भी आई लेकिन उन्होंने अपनी कुशल प्रबंधन क्षमता से इसका सफलतापूर्वक निर्वहन किया।


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2 Comments

  1. राम कुमार bhootra मेरे बचपन से घनीष्ठ मित्र हैं
    हम दोनो एक ही गाँव से हैं और प्राथमिक शिक्षा हमारी साथ साथ हुई
    मुझे गर्व है राम कुमार जी की उपलब्धि पर
    समाज सेवा की चाहत इनमे बचपन से ही है
    मैं राम कुमार जी को हार्दिक बधाई देता हूँ और आगे भविष्य में और उपलब्धियों की शुभ कामना करताहूँ

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