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सुमित लोहिया ने फहराया माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर तिरंगा

गुलाबबाग। बगैर ट्रेनिंग के गुलाबबाग के झारखंड बिहार माहेश्वरी युवा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुमित लोहिया ने माउंट एवरेस्ट के बेस कैम्प पर तिरंगा लहराया।

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के बेस कैम्प तक चढ़ाई करना कोई आसान बात नहीं और बगैर ट्रेनिंग के ऐसे स्थान तक पहुंचना मुश्किल या कहें नामुमकिन सा लगता है। लेकिन गुलाबबाग के सुमित लोहिया ने इस मुश्किल टास्क को मुमकिन करते हुए बगैर किसी प्रशिक्षण के माउंट एवरेस्ट के 5364 मीटर ऊंचे बेस कैम्प पर तिरंगा लहरा कर इतिहास बना दिया।

अपर गुलाबबाग निवासी श्याम सुन्दर व सीता देवी लोहिया के सुपुत्र सुमित लोहिया ने गत 18 अक्टूबर 2021 को यह मुकाम हासिल किया। सुमित ने 10 अक्टूबर को नेपाल लाकुला से 5364 मीटर ऊंचे या कहें 18 हजार फीट ऊंचे माउंट एवरेस्ट बेस कैम्प तक पहुंचने का सफर शुरू किया और प्रथम प्रयास में अपने मुकाम को 7 दिनों में पूरा कर लिया।


सुमित लाकुला से 2610 मीटर की ऊंचाई पर फाकडिंग पहुंचे, फाकडिंग से 3450 मीटर पर नामचे बाजार, जहां से एवरेस्ट शिखर के मनोरम दर्शन मिले। नामचे से तिंगबोचे, डिंगबोचे होते हुए लगभग 4910 मीटर की ऊंचाई पर लोबुचे पहुंचे। लोबुचे से गोराक्षेप होते हुए इस अविस्मरणीय कठिन यात्रा के अंतिम पड़ाव एवरेस्ट बेस कैम्प पर पहुँचे।

सुमित ने प्रदेश मीडिया प्रभारी राज कुमार लढ़ा से खास बातचीत में बताया कि खेलख़ुद एवं ट्रैकिंग करने का शौक सदा से रहा है और एवरेस्ट बेस कैम्प तक जाने का पिछले कई सालो से जुनून था। मेरे इस जुनून में मेरे माता-पिता एवं दोस्तो ने आत्मविश्वास भरा और इस रोमांचक और कठिन यात्रा का स्वप्न साकार हो पाया। यात्रा में मौसम के कई उतार चढ़ाव मिले और एवरेस्ट बेस कैम्प पर ठंड के साथ-साथ सुनहरे मौसम और जबरदस्त ठंडी हवाओं एवं माइनस 7 डिग्री ने रोमांच को दोगुना कर दिया।

सुमित ने बताया कि आगे ओर अब 4830 मीटर उंचाई पर स्थित जोंगला, फिर कठिन पास चोला होते हुए 5360 ऊंचाई पर स्थित गोक्योरि तक पहुँचना है। उन्होंने बताया कि खुद पर भरोसा रख कर आगे बढ़ें तो कोई राह कठिन नहीं होती। मेरे साथ 6 लड़के मारवाड़ी समाज के ओर थे, जिसमें बिराटनगर नेपाल के नीलेश डागा भी थे।


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