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पर्यावरण संरक्षण को समर्पित- तेजस्विनी महिला मंच

पाश्चात्य संस्कृति इस कदर हावी हो रही है कि हम भारतीय अपनी सुंदर प्रथाओं को भूल चले है। हमारे हर रिवाज तथ्यपूर्ण होने के साथ ही पर्यावरण पूरक भी होते हैं। अपनी परम्परायें जो आधुनिकता के बोझ में कही गुम हो गई है ऐसी अनूठी परंपराओं के प्रचार-प्रसार के साथ उनकी उपयोगिता जन जन तक पहुंचाने का तथा पर्यावरण को सहेजने का कार्य नागपुर महाराष्ट्र की महिलाओं का संगठन तेजस्विनी महिला मंच द्वारा किया जा रहा है। माहेश्वरी महिलाओं द्वारा संगठित यह मंच ‘‘संस्कृति का करे रक्षण-स्वच्छ, सुरक्षित हो पर्यावरण’’ इस मंत्र को लेकर अपने कार्य संपादित कर रहा है।


पौधारोपण से मनता है जन्मदिन

हर व्यक्ति के लिये उसका जन्मदिन विशेष दिन होता है। हमारी संस्कृति के अनुसार सूर्योदय से दिन का शुभारंभ होता है मध्य रात्रि को जन्मदिन मनाने वाली हमारी संस्कृति नही है। इस मंच द्वारा अपनी हर सखि का जन्मदिन विशेष रूप से मनाया जाता है।

जिस सखि का जन्मदिन होता है उसके घर सुबह सभी सखिया जाती है। चौरंग पर उसे बैठा कर तिलक लगाया जाता है मौली बांधी जाती है। मुँह मीठा करवाया जाता है। आरती उतारी जाती सभी सखिया सुंदर शुभकामनाओं के साथ गुलाब की पंखुड़ियों उस पर बरसाती है। तत्पश्चात उसके हाथों एक पौधे का रोपण किया जाता है। इन शुभ पंक्तियों के साथ यह उत्सव मनाया जाता है।

सुदिनं सुदिनं जन्मदिनं तव, भवतु मंगलम जन्मदिनं….।


परिवार भी अभियान में साथ-साथ

इस तरह दुआएं मिले, आशीर्वाद मिले तो कौन प्रसन्न नही होगा। जिसका जन्मदिन है उसके साथ परिवार के सभी सदस्य भी प्रफुल्लित हो जाते है। केक काटना, मोमबत्ती जला कर बुझाना हमारी संस्कृति नही है।

हम दीप जलाकर अपने जन्मदिन की शुभ शुरुआत करते है। पञ्चतत्व आकाश, जल, पृथ्वी, वायु और अग्नि का समिश्रण यानी मनुष्य। इन्ही पांच तत्वों को सम्मिलित कर इस तरह जन्मदिन मनाया जाता है कि प्रत्येक के जीवन को न केवल आनंदित कर देता है बल्कि सद्कार्यों की ओर भी प्रेरित करता है।

तेजस्विनी महिला मंच के कार्यो की संकल्पना को किरण मुंदड़ा, कल्पना मोहता, अंजू मंत्री, सोनल चांडक, शीतल मूंधड़ा, सुषमा बंग, हेमा बंग, विद्या जाजू, संध्या सोनी, अनीता भट्टड़, बीना बंग, निशी सावल, संगीता मंत्री, पूजा राठी, राजश्री भैया, संगीता भट्टड़, सरयू चांडक, वीना गट्टाणी, दीप्ति सावल, पूनम झंवर, भावना नबीरा आदि कई सखिया मूर्त रूप देती हैं।


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Sri Maheshwari Times

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