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गौ सेवा को बनाया आंदोलन- विजय काबरा

गौ माता आदिकाल से भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण की प्रमुख केंद्रीय धूरी रही है। यही कारण है कि हमेशा से गौ सेवा को हमारे यहाँ महत्व दिया गया है। वर्तमान में गौ सेवा को एक आंदोलन का रूप देकर हर वर्ग तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं, जलगांव (खानदेश) निवासी गौसेवावृती एडव्होकेट विजय काबरा


जलगांव (खानदेश) के गौसेवक, पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता विजय सूरजमल काबरा गौसेवा के माध्यम से विभिन्न धर्मों को जोड़ने का कार्य पिछले तेरह साल से कर रहे हैं। वर्ष 2009 में उन्होंने शहर में ‘‘सामूहिक गौसेवा-एक अनुष्ठान’’ नाम से जो आंदोलन शुरू किया था, वह अब जन आंदोलन का रूप ले चुका है।

पूरे भारत में जलगांव गौसेवा के लिऐ अपवाद है, जहां पर गौसेवा करने वाले सभी धर्म के लोग है। श्री काबरा ने केंद्र सरकार से अपील की है कि देश में गौहत्या पर पाबंदी लगानी चाहिए।


सभी वर्गों का मिला साथ

पहले काबरा अकेले ही यहां पांजरा पोल स्थित गौशाला में गायों की सेवा करते थे। बाद में उनके द्वारा चलाया गया गायों की सेवा का अभियान कब आंदोलन बन गया, यह उन्हें भी पता नहीं चला। ‘‘मैं तो अकेला ही चला था जानिये मंजिलें, मगर लोग मिलते चले गये और कारवां बढ़ता गया’’ की तर्ज पर काबरा के साथ कई धर्म के लोगों ने भी गौसेवा शुरू कर दी।

उन्होंने जब शहर तथा जिले वासियों से गायों की सेवा का आह्वान किया तो हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी से लेकर कई जाति, धर्मों और पंथ के लोगों ने पांजरा पोल गौशाला में गायों की सेवा की।

विजय काबरा

मारवाड़ी माहेश्वरी, ब्राह्मण, जैन, अग्रवाल, दसा-बीसा, ओसवाल, कच्छी गुजराती, तेली, ताम्बोली, सोनार, पांचाल, आदि समाज के युवक-युवतियों, समाजसेवी, बुजुर्ग और महिला पुरूषों ने गौशाला पहुंच कर समय-समय पर गायों की सेवा की।

रमजान और मोर्हरम के पवित्र मौकों पर मुस्लिम, बोहरा समाज के सैकड़ों लोगों ने पांजरा पोल में गायों की सेवा की और इसके बाद ही रोजे छोड़े तथा ईद मनाई।


गौहत्या के खिलाफ जनजागरण

श्री काबरा का कहना है कि गौहत्या का कलंक हमारे देश से मिटना चाहिए। ऋषि-मुनियों, आचार्यों, लाखों संत महात्माओं, महापुरूषों, विद्वानों और गोभक्तों ने गौहत्या रुकवाने के लिए प्रयास किए और आंदोलन किए।

विजय काबरा

कई लोगों ने तो अपनी जान तक दे दी है। इसके बावजूद आज तक गौहत्या पर रोक नहीं लगी। उनके मुताबिक जब तक गौहत्या नहीं रुकेगी, देश कभी समृद्ध नहीं होगा। शहर में ईसाई भाइयों ने क्रिसमस मनाने की जोरदार तैयारियां शुरू की तो अधिवक्ता श्री काबरा ईसाई भाइयों से मिले और उनसे इसे पर्व पर गायों की सेवा करने की गुजारिश की।

श्री काबरा के अनुरोध पर सेंट अलायंस चर्च के फादर जगदीश वलवी, ईसाई भाइयों के साथ पांजरा पोल आए और गायों की सेवा की।


हर पर्व गौ माता के साथ

राष्ट्रीय त्यौहार-उत्सव, महापुरूषों की जयंती, पुण्यतिथि, ईद, दीवाली, नवरात्रि सहित विशेष आयोजनों के दौरान भी श्री काबरा लोगों से गौसेवा का आह्वान करते हैं। इसके चलते कई लोग गायों की सेवा करते आ रहे हैं।

शहर के उद्योगपति, व्यापारी, समाजसेवी, विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों के अधिकारी, कर्मचारी, चिकित्सक, इंजीनियर, केमिस्ट, सीए, रोटरी और लायंस क्लब, नेता, अभिनेता और खिलाड़ियों से भी श्री काबरा ने गायों की सेवा करवाई है। उनके इस कार्य की जानकारी जिला मजिस्ट्रेट और न्यायमूर्ति को लगी तो वे भी कई अधिवक्ता और अफसरों के साथ गायों की सेवा करने पहुंच गए।

विजय काबरा

उनके के आह्वान पर कई लोग आए दिन पांजरा पोल गौशाला पहुंच कर देसी गायों को हरा चारा, गुड़ से बनी लापसी, चना दाल, सरकी, ढेप आदि खिलाते हैं। श्री काबरा गाय का महत्व, गायों की पवित्रता, गौमूत्र, गोबर आदि के महत्व के बारे में सभी को अवगत भी कराते हैं।

माहेश्वरी समाज जलगांव के समाजजन परिवार सहित प्रति रविवार पांजरापोल में लापसी के लड्डू बनाकर गौ माता की सेवा कई वर्षो से सेवा कर रहे है।


गौमूत्र और गोबर से प्रदूषण हो सकता है दूर

पर्यावरणविद् विजय काबरा पर्यावरण की रक्षा करने में गाय के गोबर और गौमूत्र को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं। उनके मुताबिक गौमूत्र और गोबर मात्र से ही समस्त राष्ट्र का प्रदूषण दूर किया जा सकता है। वह कहते हैं कि गौसेवा से विरक्त होने से ही भारत की स्थिति दयनीय होती जा रही है।

उन्होंने सरकार से देश में गौहत्या पर पाबंदी लगाने तथा गायों के पालन पोषण के लिए राशि मंजूर करने की भी मांग की। उनका मानना है कि हर किसान के पास अनिवार्य रूप से गाय होना चाहिए।श्री काबरा चाहते हैं कि जलगांव में उनके द्वारा शुरू हुआ गौसेवा का अनुष्ठान महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश में शुरू होना चाहिए।

इस संदर्भ में किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए सम्पर्क (मो. 9421389127) पर उनसे कर सकते है।


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Sri Maheshwari Times

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