सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश – न्यायमूर्ति जितेन्द्र माहेश्वरी
गत 31 अगस्त 2021 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने मुरैना (म.प्र.) के सपूत न्यायमूर्ति जितेंद्र माहेश्वरी न्यायिक सेवा क्षेत्र की वह विभूति हैं, जिन्होंने अपने सेवा काल में इस क्षेत्र का कायाकल्प करने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी। आपको आन्ध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का प्रथम मुख्य न्यायाधीश बनने का गौरव तो प्राप्त है ही, साथ ही आपकी ख्याति द्रुतगति से सटीक न्याय करने वाले न्यायाधीश के रूप में भी रही है। श्री माहेश्वरी टाईम्स परिवार आपकी इन विशिष्ट सेवाओं को नमन करते हुए आपको ‘माहेश्वरी ऑफ द ईयर 2021’ अवार्ड समर्पित करते हुए गौरवान्वित महसूस करता है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में माहेश्वरी समाज को गौरवान्वित कर रहे न्यायमूर्ति जितेंद्र माहेश्वरी न सिर्फ समाज अपितु न्यायिक सेवा क्षेत्र के वह नक्षत्र हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र का कायाकल्प करने में भी कोई कसर नहीं रख छोड़ी। आपने वर्ष 1985 से 2005 तक हाइकोर्ट म.प्र. के वरिष्ठ एडवोकेट के रूप में सेवा दी और इस क्षेत्र में भी नये कीर्तिमान स्थापित किये।
आपकी न्यायिक सेवा की शुरुआत 25 नवम्बर 2005 को म.प्र. उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में हुई थी, लेकिन फिर सफलता के कई पड़ावों को पार करते हुए आगे चलती ही चली गई। वर्ष 2008 से म.प्र. उच्च न्यायालय में स्थायी रूप से न्यायाधीश के रूप में सेवा देने के पश्चात् 7 अक्टूबर 2019 से 5 जनवरी 2021 तक आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे।
6 जनवरी 2021 को सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने और 31 अगस्त 2021 को देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश निर्वाचित होकर सतत सेवा दे रहे हैं।
छोटे से कस्बे में लिया जन्म
कहते हैं कि यदि मन में जुनून हो तो विपरीत परिस्थितियाँ भी बाधा बनने के स्थान पर नतमस्तक हो जाती है। ये पंक्तियाँ न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी पर शत-प्रतिशत खरी उतरती हैं। आपका जन्म जिला मुरैना (म.प्र.) के छोटे से कस्बे जौरा में स्व. श्री सूरजमलजी-श्रीमती मोहन प्यारी देवी माहेश्वरी के यहाँ हुआ था।
पिता श्री सूरजमल माहेश्वरी जौरा में दस्तावेज लेखक तो थे ही साथ ही उन्हे कानून का भी विशेष ज्ञान था। आपके बड़े भाई स्व.श्री कौशल माहेश्वरी जौैरा में एडवोकेट एवं नगर पालिका अध्यक्ष भी रह चुके हैं। दूसरे भाई भी मुरैना में एडवोकेट हैं एवं तीसरे भाई डॉ. रवि माहेश्वरी जौरा में शासकीय चिकित्सक हैं।
इस तरह आपका परिवार न्यायक्षेत्र से सदैव जुड़ा रहा है। अत: जज बनने का सपना पिता व परिवार से श्री माहेश्वरी को विरासत में ही मिला। मुरैना से 1982 में बी.ए. (ऑनर्स) तथा 1985 में एल.एल.बी. करने के पश्चात वर्ष 1991 में जीवाजी वि.वि. ग्वालियर से एल.एल.एम. किया। कानून में महारथ हासिल करने की यह यात्रा यहाँ भी नहीं थमी, बल्कि अपने ‘‘मेडिकल मेल प्रेक्टिस इन रिफ्रेंस टू द स्टेट ऑफ एम.पी.’’ विषय पर प्रस्तुत शोध प्रबंध पर पीएच.डी. कर रहें हैं।
श्री माहेश्वरी ने 22 नवम्बर 1985 से एडवोकेट के रूप में म.प्र. बार कौंसिल के अंतर्गत प्रेक्टिस प्रारम्भ कर दी। केट तथा प्रदेश की अन्य ट्रिब्युनलों तथा म.प्र. उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ, मुख्य पीठ जबलपुर एवं सर्वोच्च न्यायालय में पैरवी की। वर्ष 2002 में आप ग्वालियर बैंच की अनुशासन समिति के चेयरमैन निर्वाचित हुए तथा इसके पश्चात् कई समितियों में महत्वपूर्ण सेवा दी।
म.प्र. में लिखा सेवा का इतिहास
श्री माहेश्वरी 25 नवम्बर 2005 को म.प्र. उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश चयनित हुए तथा 25 नवम्बर 2008 में इस पद पर स्थायी हो गये। इसके पश्चात् 6 अक्टूबर 2019 तक म.प्र. उच्च न्यायालय की विभिन्न पीठों में अपनी सेवा देने के साथ ही उच्च न्यायालय द्वारा गठित विभिन्न समितियों के माध्यम से उच्च न्यायालय तथा अधीनस्थ न्यायालयों की सुविधाओं व कार्यप्रणाली के विकास के लिये महत्वपूर्ण कार्य किये।
इस पद पर रहते हुए आपने ‘‘बाल संरक्षण तथा उनके अधिकार’’ आदि विषयों को लेकर कई महत्वपूर्ण कार्य किये। इस विषय पर आपने प्रदेश व रीजन स्तर पर विभिन्न कांफ्रेंस का आयोजन भी किया। भोपाल स्थित नेशनल ज्यूडिशियल अकादमी द्वारा आयोजित वेस्ट जोन रिजनल कांफ्रेंस में स्तोत्र वक्ता के रूप में आपने मार्गदर्शन दिया।
म.प्र.हाईकोर्ट की जुवेनाईल जस्टिस कमेटी के चेयरमेन के रूप में वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय परिचर्चा में भागीदारी की। इसी प्रकार मद्रास व तमिलनाडु उच्च न्यायालय द्वारा महिला व बच्चों पर आयोजित राष्ट्रीय कांफ्रेंस में भाग लिया।
म.प्र. उच्च न्यायालय की ओर से 28-30 मई 2018 तक युनेस्को हाऊस पेरिस द्वारा आयोजित ‘‘वर्ल्ड कांग्रेस ऑन जस्टिस फॉर चिल्ड्रन’’ में भी भाग लिया। इसी तरह आप कई कॉन्फरेंसों के माध्यम से कानूनविदों तथा विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान करते रहे हैं।
आपके इस कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि इंदौर व ग्वालियर खण्डपीठ तथा मुख्यपीठ जबलपुर सहित हायकोर्ट द्वारा आयोजित विभिन्न लोक अदालतों में आपने 65 हजार से अधिक प्रकरणों का निपटारा कर एक कीर्तिमान बनाया।
आंध्रा हायकोर्ट को बनाया टॉप कोर्ट
श्री माहेश्वरी 7 अक्टूबर 2019 से 5 जनवरी 2021 तक आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे। उन्हें आंध्रप्रदेश में सर्वप्रथम स्थापित इस उच्च न्यायालय का प्रथम मुख्य न्यायाधीश बनने का गौरव तो प्राप्त हुआ ही साथ ही इसे पूर्णत: स्थापित करने की चुनौती भी साथ ही मिली। वहाँ मुख्य न्यायाधीश के लिये आवास तक की व्यवस्था नहीं थी। अत: आपने विभिन्न समितियों का निर्माण कर उच्च न्यायालय तथा अधीनस्थ न्यायालयों में सुविधाओं तथा व्यवस्थाओं को दुरूस्त किया।
इसके साथ ही उच्च न्यायालयीन सेवा तथा अधीनस्थ न्यायालयीन सेवा के लिये समिति गठित कर नियमों का प्रारूप तय किया, जिससे न्यायालयीन सेवा को गति मिल सके। न्यायालयीन अधिकारियों के खिलाफ लम्बे समय से विभिन्न शिकायतें लंबित थीं, जिसके निपटारे के लिये ‘‘विजिलेंस सेल’’ का गठन कर लम्बित समस्त शिकायतों का त्वरित निराकरण करवाया।
विशिष्ट सेवा से पाया विशिष्ट सम्मान
श्री माहेश्वरी ने आंध्रा में न्यायालयीन सेवा के सुधार के लिये विशेष कदम उठाये। इसी में विभिन्न स्थानों पर ‘‘ग्राम न्यायालयों’’ की स्थापना भी शामिल था। इसके पीछे लक्ष्य था, सामान्य प्रकरणों का स्थानीय स्तर पर ही सहमति से तत्काल निराकरण, जिससे सभी को समय पर न्याय मिल सके।
स्वयं श्री माहेश्वरी ने मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहते हुए मात्र 15 माह के छोटे से कार्यकाल में लगभग 4500 से अधिक प्रकरणों का निराकरण कर एक कीर्तिमान बनाया। आंध्र प्रदेश में ज्यूडिशियल अकादमी तथा न्यायिक सेवा कार्यालय की स्थापना के लिये भी रूपरेखा तय कर दी। सबसे बड़ी चुनौती कोविड-19 की स्थिति में न्यायालयीन सेवा का सुचारू क्रियान्वयन था। इसके लिये आपने हाईकोर्ट व अधीनस्थ न्यायालयों के सम्पूर्ण स्टॉफ के हित में प्रभावी कदम उठाते हुए विभिन्न आदेश तथा एडवाइजरी जारी की।
इन स्थितियों को देखते हुए 25 मार्च 2020 को आंध्र प्रदेश हायकोर्ट को वर्चुअल कोर्ट के रूप में प्रारम्भ किया। इस तरह वर्चुअल सेवा देने वाला यह उस समय सम्भवत: देश का प्रथम उच्च न्यायालय था। मात्र 20 न्यायाधीशों की क्षमता से इस हायकोर्ट ने इस महामारी के दौरान भी लगभग 94 हजार से अधिक प्रकरणों की सुनवाई कर कीर्तिमान बनाया।
इसे लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय को इस महामारी के दौरान सर्वाधिक प्रकरणों की सुनवाई करने वाले देश के द्वितीय उच्च न्यायालय के रूप में सम्मानित किया।
न्यायालयीन प्रक्रियाओं को इस दौरान सुचारू बनाये रखने के लिये श्री माहेश्वरी के मार्गदर्शन में उच्च न्यायालय तथा समस्त अधीनस्थ न्यायालयों में ‘‘ई-फाइलिंग मॉड्यूल’’ विकसित किया गया जिससे प्रकरण ऑन लाईन ही फाईल किये जा सकें।
और क्या अच्छा हो सकता है यह सोचे – न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी
न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी कहते हैं, मेरा अनुभव यह है यदि शिक्षा, स्वास्थ्य, विनम्रता और कमिटमेंट के साथ आगे चलते हैं तो हमें अपने रास्ते पर आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। मुझे बहुत खुशी है कि माहेश्वरी समाज में शिक्षा के क्षेत्र में चाहे वह समाज की शिक्षा हो चाहे वह गुरु की शिक्षा या फिर तकनीकी शिक्षा व प्रोफेशनल शिक्षा उन सब में हमने अपना जो व्यवसाय व कार्य करने का तरीका था उन सबसे हटकर हमने जो कार्य किया है वह सराहनीय है।
परंतु क्या इतना सोच लेना पर्याय है? समय यहां से आगे बढ़ने का है। जो हुआ उसमें कमी मत निकालिए, जो हुआ वह किन परिस्थितियों में हुआ और कितना अच्छा हुआ। लेकिन अब इससे आगे अच्छा कैसे करना है, इसको सोचना है, दूसरी चीज हमारे नॉलेज में आती रहती है।