रोगियों के मसीहा पुरुषोत्तम सोमानी
जब किसी भी गरीब परिवार में कोई बीमार हो जाता है, तो जितना समस्या उसकी देखरेख की होती है, उससे भी बड़ी चुनौती होती है, उसके इलाज के खर्च की। महंगी-महंगी दवाओं का खर्च उठा पाना आम व्यक्ति के बस का रोग नहीं होता और तिल-तिलकर दम तोड़ते हुए भी वह अपनों को नहीं देख सकता। बस इसी जद्दोजहद में उसका घर बार तक बिक जाता है।
ऐसे ही रोगियों के लिए मसीहा बनकर सामने आए हैं, निजामाबाद निवासी समाजसेवी पुरुषोत्तम सोमानी। उन्होंने दवाओं के मूल्य कम करवाने के लिए न सिर्फ लंबा संघर्ष किया बल्कि कैंसर सहित कई रोगों की दवाओं का मूल्य 70 प्रतिशत तक कम करवाकर ही दम लिया।
वर्तमान में निजामाबाद निवासी वरिष्ठ समाजसेवी पुरुषोत्तम सोमानी की प्रतिष्ठा क्षेत्र या प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में बीमारी से जूझते रोगियों तथा उनके परिजनों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं है। आखिर हो भी क्यों न, उन्होंने वह कर दिखाया है, जो उनसे पहले सरकार भी नहीं कर पाई थी।
श्री पुरुषोत्तम सोमानी ने दवा कंपनियों की खुली लूट के खिलाफ एक ऐसा जनअभियान चलाया कि जिसके सामने सरकार को भी झुकना पड़ा। इसका नतीजा यह रहा कि लागत मूल्य से बहुत अधिक कीमत वाली कई दवाओं के मूल्य 70 प्रतिशत कि कम हो गए। यही नहीं अन्य दवाओं के मूल्य को नियंत्रित करने के लिए सरकार अब मूल्य नियंत्रक कानून भी लाने वाली है।
तकनीकी शोध से परिपूर्ण मस्तिष्क:
श्री पुरुषोत्तम सोमानी का जन्म 4 अगस्त 1954 को श्री रामगोपाल सोमानी के यहां हुआ था। सन 1977 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई की उपाधि प्राप्त कर अपने मस्तिष्क में बसी नवीनतम शोधपरक सोच को मूर्तरूप देने के लिए स्व व्यवसाय के क्षेत्र की ओर बढ़ गए। वे वर्तमान में निजामाबाद (तेलंगाना) में मे. शाम एजेंसिस के नाम से व्यवसाय का संचालन कर रहे हैं।
श्री पुरुषोत्तम सोमानी ने वर्ष 1977 में किसानों के लिए उपयोगी सोलर इंजिन विकसित किया, जो बिना बिजली के पानी देने का काम करता है। इसी प्रकार उन्होंने वर्ष 1997 में ट्रैक्टर युक्त टू-इन-वन हार्वेस्टर विकसित किया। श्री पुरुषोत्तम सोमानी को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा द्वारा वर्ष 1997 में सोलर इंजिन के आविष्कार तथा समाजसेवा के लिए प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी अवॉर्ड द्वारा नई दिल्ली में सम्मानित भी किया गया। उनके साथ इसी सम्मान से समाजसेवा के क्षेत्र में सम्मानित होने वालों में ख्यात समाजसेवी स्व. मटर टेरेसा भी शामिल थीं।
कई समाजसेवी संस्थाओं को योगदान:
श्री पुरुषोत्तम सोमानी समाज संगठन के अंतर्गत अभा माहेश्वरी महासभा के कार्यकारी मंडल सदस्य तथा एपी माहेश्वरी महासभा ट्रस्ट सदस्य हैं। सेवा संस्था श्री आदित्य विक्रम बिरला मेमोरियल व्यापार सहयोग केंद्र के प्रबंध समिति सदस्य तथा श्री बांगड़ माहेश्वरी मेडिकल वेलफेयर सोसायटी के ट्रस्टी हैं।
इसके साथ अन्य संस्थाओं में भाजपा की तेलगांना राज्य स्वच्छ भारत अभियान कमेटी के संयुक्त संयोजक, प्रधानमंत्री जनकल्याणकारी योजना प्रचार-प्रसार अभियान के उपाध्यक्ष, निजामाबाद चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के संस्थापक अध्यक्ष, इंदूर कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन निजामाबाद के अध्यक्ष तथा निजामाबाद द ऑफिसर्स क्लब के आजीवन सदस्य के रूप में सेवा दे रहे हैं।
जिला डिवलपमेंट फोरम को संयोजक, माहेश्वरी चेरिटेबल ट्रस्ट निजामाबाद को अध्यक्ष तथा निजामाबाद डिस्ट्रिक्ट टू व्हीलर एसोसिएशन को अध्यक्ष के रूप में सेवा दे चुके हैं।
सुधार के लिए आंदोलन में भी पीछे नहीं:
श्री पुरुषोत्तम सोमानी जनहित के मुद्दे को लेकर न सिर्फ मुखर रहे बल्कि आवश्यकता होने पर कई बार आंदोलन में भी पीछे नहीं रहे। वर्ष 1999 में मुडखेड़-बोलराम ब्रॉडगेज परिवर्तन के मुद्दे को लेकर उनके नेतृत्व में बंद, रेल रोको आंदोलन तथा 8 दिवस तक आमरण भूख हड़ताल का आयोजन हुआ और आखिरकार सरकार को इसके लिए 150 करोड़ रुपए की योजना को स्वीकृति देना ही पड़ी।
डिस्ट्रिक्ट डिवलपमेंट फोरम के माध्यम से जिला की विकास गतिविधियों को लेकर 1999 में आंदोलन किया और 95 फीसदी मांगें मंजूर करवाकर ही दम लिया। वर्ष 2011 में 17 मार्च को संयोजक के रूप में श्री रामदेव बाबा के योग शिविर का आयोजन किया, जिसमें 1 लाख से अधिक लोग शामिल हुए।
सरादार वल्लभभाई पटेल स्टैच्यू कंस्ट्रक्शन कमेटी के जिलाध्यक्ष के रूप में रन फॉर यूनिटी कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें लगभग 10 हजार लोग शामिल हुए। वर्ष 2003 से श्री सोमानी निःशुल्क जल टैंकर सेवा सारंग सेवा का संचालन कर रहे हैं।
दवा व्यवसाय की लूट का किया खुलासा:
हर कोई चिकित्सा के बेतहाशा खर्च से परेशान है। ऐसा होने का कारण महंगी दवा भी है, जो वास्तव में इतनी महंगी भी नहीं होती जितनी हमें मिलती है। जनहित में चिकित्सा क्षेत्र में मची इस लूट के खिलाफ हमारे समाज सदस्य व द निजामाबाद चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के संस्थापक अध्यक्ष पीआर सोमानी ने मजबूती के साथ आवाज उठाई।
श्री सोमानी स्वयं इन स्थितियों से गुजरे तो उनके मन में इसकी तह तक जाने की इच्छा उत्पन्न हुई। बस वे चल पड़े, इस गौरखधंधे का खुलासा करने। इसके लिए उन्होंने कई दवाओं की रिटेलर द्वारा की गई खरीदी की इनवाइस चेक की तो उन्होंने पाया कि अधिकांश दवाएं मूल कीमत से 30 गुना अर्थात 3000 फीसदी अधिक दाम पर बेची जा रही हैं।
इससे दवाओं के थोक और खुदरा मूल्यों में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है। उदाहरण के लिए दवा निर्माताओं की ओर से थोक विक्रेताओं को जो दवा 95 रुपए में बेची जाती है। थोक विक्रेता उसी दवा को 100 रुपए में खुदरा विक्रेताओं को बेचते हैं और खुदरा व्यापारी उसी दवा को 2 हजार रुपए के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर आम जनता को बेचते हैं क्योंकि निर्माता इन दवाओं के लेबल पर 2 हजार रुपए एमआरपी छापते हैं।
दवाओं में कमीशन का बड़ा धंधा:
दवा निर्माता अपनी दवाएं ज्यादा से ज्यादा बेचना चाहते हैं। इसके लिए वह खुदरा व्यापारियों और डॉक्टर के दबाव में आ जाते हैं, जिनकी आपस में मिलीभगत होती है और जो अपने हितों की पूर्ति के लिए दवाओं के लेबल पर ज्यादा एमआरपी प्रिंट करवाना पसंद करते हैं। इस असामान्य एमआरपी के कारण 130 करोड़ भारतीय लोगों को जमकर लूटा जा रहा है।
इसमें खास तौर पर गरीबों को पूरी तरह निचोड़ा जा रहा है। आसमान छूते ऊंचे दामों पर दवाओं की खरीद में सक्षम न होने से गरीब जीवन भर आर्थिक कठिनाइयां झेलते रहते हैं। डॉक्टर अपने हितों की पूर्ति के लिए मरीजों को ऊंचे दाम (एमआरपी) वाली ऐसी दवाएं लिखते हैं, जिनका मरीजों की वास्तविक बीमारी से कोई संबंध नहीं होता। वह ज्यादा से ज्यादा संख्या में मरीजों को ऐसी दवाएं लिखते हैं जिनकी मरीजों के इलाज में कोई जरूरत नहीं होती। इसका नतीजा यह होता है कि मरीजों की सेहत दिन पर दिन खराब होती जाती है और आर्थिक स्थिति बिगड़ी जाती है, वह अलग।
बेखौफ उठाई जनहित में आवाज:
श्री सोमानी ने मीडिया के सामने सबसे बड़े दवा घोटाले का पर्दाफाश किया है। उन्होंने दवाइयों के लेबल पर निर्माताओं की ओर से बेतहाशा बढ़ा-चढ़ाकर छापी गई असामान्य एमआरपी के बारे में नईदिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में खुलासा किया। उन्होंने कहा कि आज दवाइयों की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए कोई ड्रग पॉलिसी नहीं है।
इसलिए फार्मास्यूटिकल कंपनियों की ओंर से दवाओं के लेबल पर अनाप-शनाप और मनमाने ढंग से बहुत ज्यादा एमआरपी छापी जाती है, जिनमें जैनरिक और जीवनरक्षक दवाएं भी शामिल हैं। यही नहीं सर्जिकल उपकरण के दाम भी काफी बढ़ा-चढ़ाकर लेबल पर प्रिंट किए जाते हैं। करीब तीन महीने पहले इसकी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को दे दी गई थी। पीएमओ ने तत्काल जवाब देते हुए इस मुद्दे पर संबंधित विभाग को पत्र भेज दिया था।
इसके बाद बीते साल 26 दिसंबर को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु से मिलकर तथ्य सौंपे गए थे। उनकी पहल पर रासायनिक उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा, केंद्रीय रासायनिक और उवर्रक राज्यमंत्री मनमुख मंडाविया के अलावा फॉर्मास्युटिकल विभाग के सचिव जेपी प्रकाश व संयुक्त सचिव नवदीप रिणवा के संज्ञान में यह मुद्दा लाया गया। यदि इस मुद्दे पर शीघ्र ही कोई ठोस निर्णय नहीं होता तो वे इसे लेकर न्यायालय में जनहित याचिका भी दायर करते।
उनकी मेहनत रंग लाई:
श्री सोमानी के छह महीनों के कठोर प्रयासों से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्ध के माध्यम से उनके संज्ञान में यह मुद्दा लाया गया। साथ ही साथ 26 दिसंबर को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु, रासायनिक उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा, केंद्रीय रासायनिक और उवर्रक राज्यमंत्री मनमुख मंडाविया के अलावा फॉर्मास्युटिकल विभाग के सचिव जेपी प्रकाश व संयुक्त सचिव नवदीप रिणवा के संज्ञान में यह मुद्दा लाया गया।
2 फरवरी 2019 को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर सभी मीडिया में आने से और पीएमओ के दबाव में फॉर्मा विभाग को ठोस निर्णय लेना पड़ा। इससे कैंसर की दवाइयों पर नियंत्रण होने से ये 87 प्रतिशत तक सस्ती हुई है। इनका 20 लाख कैंसर पेशेंट को फायदा होगा। जिनके द्वारा प्रधानमंत्री तक इस मुद्दा को पहुंचाया गया और सफलता मिली, उन्होंने एक मेल भेजकर श्री सोमानी को इसका सारा श्रेय दिया।
कालेधन के भी दिए थे सूत्र:
श्री सोमानी ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को कालाधन वापस लाने के लिए भी सूत्र दिए थे। इसमें उन्होंने बताया था कि तीन माह के भीतर कालाधन जमा करवाने पर 50 प्रतिशत आपके खाते में जमा होंगे व 50 प्रतिशत आयकर विभाग के खाते में। चौथे माह से 30 प्रतिशत आपके खाते में और 70 प्रतिशत आयकर विभाग के खाते में जमा होंगे।
पांचवें माह से 20 प्रतिशत आपके खाते में और 80 प्रतिशत आयकर विभाग के खाते में जमा होंगे। छठवें माह से 10 प्रतिशत आपके खाते में और 90 प्रतिशत आयकर विभाग के खाते में जमा होंगे। छह माह के पश्चात 500 व 1 हजार के नोट की कीमत शून्य कर दी जाए।