पौधों के पितामह श्याम माहेश्वरी
जब एक परिवार एक या दो बच्चों को पाल पोसकर बढ़ाकर देता है, तो फिर वह मात्र एक पौधे को रोपकर उसकी देखरेख कर उसे बढ़ा क्यों नहीं कर सकता? ठीक इसी सोच के साथ लोगों में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी के भाव की अलख जगा रहे हैं, उज्जैन समाजसेवी श्याम माहेश्वरी। इसे लेकर चल रहे उनके ‘‘एक परिवार व एक पौधा’’ अभियान ने उन्हें आम लोगों के बीच पौधों के पितामह के रूप में विशिष्ट पहचान दे दी है।
वर्तमान में हरियाली कम सिर्फ इसलिये नहीं हो रही है कि पेड़ काटे जा रहे हैं, बल्कि उसका मूल कारण यह भी है कि हम पेड़-पौधों के प्रति अपनी जिम्मेदारी भूल गये हैं। अपनी आवश्यकता के लिये तो पेड़-पौधों की कटाई वर्षों से होती आई है, लेकिन पहले उनकी पूजा होती थी, वे परिवार के सदस्य की तरह महत्वपूर्ण थे।
अत: इनका अनावश्यक दोहन नहीं होता था। वर्तमान दौर में कमी यही है कि पेड़-पौधों के प्रति हमारा पारिवारिक सदस्य की तरह जुड़ाव व लगाव नहीं रहा, अन्यथा हरियाली के विनाश की समस्या ही नहीं रहती।
इसी सोच के साथ उज्जैन निवासी वरिष्ठ समाजसेवी श्याम माहेश्वरी गत 22 वर्षों से एक मुहिम चला रहे हैं, ‘‘एक परिवार-एक सुरक्षित पौधा।’’
ऐसे चलता है उनका अभियान:
पेशे से प्रॉपर्टी ब्रोकर श्री माहेश्वरी का नाम पौधों के पितामह के रूप में ख्यात है। बीते 22 साल में नीम के 1 लाख से अधिक पौधे खुद ने रोपे व बच्चों की तरह इनकी परवरिश भी की है। इतना ही नहीं उन्होंने अपने मिलने वाले 2 हजार लोगों को उनके जन्म दिन पर चिठ्ठियां लिखकर व मोबाइल से एसएमएस भेज पौधे भी रोपवाए। इस प्रेरक कार्य के लिए इन्हें कई बार पर्यावरण मित्र सम्मान से नवाजा गया।
वर्तमान में 67 की उम्र में भी पौधों के प्रति इनकी गहरी लगन है कि वे नित्य एक पौधा अवश्य रोपते हैं। पर्यावरण प्रेमियों को वे अपने खर्च पर नीम और तुलसी का पौधा नि:शुल्क देते हैं। वर्तमान में उनका यह अभियान नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश सितोड़े की प्रेरणा से लायंस क्लब उज्जैन महाकाल के माध्यम से चल रहा है।
ऐसे हुई थी अभियान की शुरूआत:
श्री श्याम माहेश्वरी 22 साल पहले सिर्फ परिवार व समाज कल्याण पर केंद्रीत थे। फिर जब लायंस क्लब महाकाल के अध्यक्ष बने तो बड़े भाई श्री मदनलाल पलोड़ की प्रेरणा से पर्यावरण के लिए काम करने का संकल्प ले लिया। बस पौधे लगाने की ऐसी लगन लगी कि ‘एक परिवार, एक सुरक्षित पौधा’ मुहिम शुरू कर रोज पौधारोपण करने व करवाने लगे।
उन्होंने अपने साथियों से भी कई पौधे रोपवाए। मिलने वाले जिन 2 हजार लोगों के पते, कांटेक्ट नंबर थे, उन्हें जन्मदिन पर शुभकामना संदेश देने के साथ पौधे उनसे रोपने की अपील भी की और रिटर्न गिफ्ट में पौधे रोपने वाली तस्वीर मांगी। इस हरियाली अमावस्या पर फिर गोवर्धनधाम कालोनी के बगीचे में 21 पौधे रोपे गये।
रोपण में नीम ही क्यों, इस सवाल पर श्री माहेश्वरी बोले कि नीम एक औषधीय छायादार पौधा है, जो कम पानी में भी पनप जाता है। इसलिए नीम के पौधे ज्यादा रोपे। वरना इसके अलावा आंवला, करंज, बरगद और फल फूल वाले पौधे भी श्री माहेश्वरी ने रोपे हैं।
परिवार भी बना पर्यावरण प्रेमी:
श्री श्याम माहेश्वरी गत 22 वर्षों से पौधारोपण व पेड़ों के संरक्षण का जो अभियान चला रहे हैं, इसने उनके पूरे परिवार को भी पर्यावरण प्रेमी बना दिया है। उनके इस अभियान में धर्मपत्नी मनोरमा माहेश्वरी, पुत्र सुनील कुमार, पुत्रवधु सीमा, पौत्र विवेक के साथ ही 10 वर्षीय नन्ही पौत्री तनिष्का भी तन-मन से सहयोग देने में पीछे नहीं है।
श्री माहेश्वरी की समाजसेवा भी यहीं तक सीमित नहीं है वे दिव्यांगों के उत्थान के लिए भी काम करते हैं। लॉकडाउन से पहले समर्थ सेवा संस्थान के माध्यम से उन्होंने अपने एवं सहयोगी विट्ठल नागर के खर्च पर 180 दिव्यांगों को जगन्नाथपुरी, रामेश्वरम, द्वारका, तिरुपति, पशुपतिनाथ की निःशुल्क यात्रा कराई।
श्री माहेश्वरी ने श्री माहेश्वरी टाईम्स के सभी पाठकों से प्रतिवर्ष एक सुरक्षित पौधा लगाने की अपील की है।