हस्तशिल्प के अंतर्राष्ट्रीय आईकॉन- Lekhraj Maheshwari
कलाकार तो कई होते हैं, लेकिन जब तक उन्हें उनकी पहचान न दिलाई जाऐं तब तक न तो उन्हें सम्मान मिलता है, न ही ऐसी आय जिससे वे ठीक से गुजर बसर कर सके। राजस्थान के सीमावर्ती तथा गुजरात के भुज आदि क्षेत्र के ऐसे ही गुमनाम व गरीब कलाकारों की कला को सतत रूप से अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिला रहे हैं, जयपुर निवासी लेखराज माहेश्वरी। गत 57 वर्षों की अपनी इस सेवा यात्रा में लाखों कलाकारों का जीवन अपने प्रयासों से संवार देने वाले इन अद्भूत समाजसेवी लेखराज माहेश्वरी (Lekhraj Maheshwari)को ‘‘माहेश्वरी ऑफ द ईयर 2024’’ अवार्ड प्रदान करते हुए ‘‘श्री माहेश्वरी टाईम्स’’ गौरवान्वित महसूस करती है।
जयपुर निवासी 76 वर्षीय समाजसेवी लेखराज माहेश्वरी की न सिर्फ राजस्थान व गुजरात बल्कि वर्तमान में पूरे देश ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में एक ऐसे समाजसेवी के रूप में पहचान है, जिन्होेंने अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़े कलाकारों की कला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाकर उसे सम्मानित करवाया। इतना ही नहीं लाखों कलाकारों को जोड़कर उन्होंने उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बनाया।
इसी का नतीजा है कि राजस्थान व गुजरात के सीमावर्ती पिछड़े क्षेत्रों का हस्तशिल्प वर्तमान में विश्वभर में अपनी पहचान बिखेर रहा है। इसे श्री माहेश्वरी का जुनून ही कहा जा सकता है कि जिसके लिये उन्होंने सम्पूर्ण जीवन ही समर्पित कर दिया और तो और प्रारम्भिक दिनों में इस हस्तशिल्प को पहचान दिलाने के लिये फेरीवाले के रूप में महानगरों की खाक छानने में भी वे पीछे नहीं रहे। वर्तमान में 76 वर्ष की अवस्था में भी उनकी यह सेवा यात्रा जारी है।
विरासत में मिली समाजसेवा
श्री माहेश्वरी का जन्म 11 मई 1948 को स्व. श्री मथुरादास माहेश्वरी के यहाँ राजस्थान के पाकिस्तान सीमा से लगे रेगिस्तानी इलाके बाड़मेर में हुआ था। पिताजी मथुरादासजी ने अपना पूरा जीवन समाजसेवा व नारी उत्थान में लगाया। आपके पदचिन्हों पर चलते हुए लेखराजजी ने भी समाज सेवा का बीड़ा उठाया।
श्री माहेश्वरी की शादी श्रीमती प्रकाशी देवी से 1967 से हुई। सन् 1971 की भारत-पाक लडाई में करीब 1000 माहेश्वरी परिवार अपना घर-बार, सामान छोडकर बाडमेर आए। बाडमेर कलेक्टर द्वारा लेखराजजी को जिम्मेदारी सौंपी गई कि वे प्रतिदिन की जानकारी, उनके ठहरने की व्यवस्था व गाड़ियों द्वारा पाकिस्तान से उनका सामान मंगवाने की परमिट जारी करना, जैसे महत्वपूर्ण कार्य करवाएं। श्री माहेश्वरी ने दिन-रात मेहनत करके करीब आठ महीने तक पूरी जिम्मेदारी से यह कार्य पूर्ण करवाया।
हाथ ठेला से भी लगाई फेरी
श्री माहेश्वरी राज्य/राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न विकासात्मक संगठनों के माध्यम से कलाकारो की आजीविका के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करके रेगिस्तानी क्षेत्र की गरीब आबादी के उत्थान के लिए कम उम्र से ही सामाजिक सेवाओं में लग गये। श्री माहेश्वरी ने 16 वर्ष की आयु से ही बाड़मेर के रेगिस्तानी इलाके में रहने वाले समाज के कल्याण में गहरी रुचि ली, ताकि उन्हें आजीविका और रोजगार सृजन के लिए काम मिल सके। अपने पूर्वजों के पारंपरिक हथकरघा व्यवसाय वाले परिवार से जुड़े होने के बावजूद भी बाड़मेर क्षेत्र के वंचितों के कल्याण और उत्थान के लिए वे हमेशा चिंतित रहते थे। कारण यह था कि ऐसे लोगों की आजीविका के लिए कोई नियमित रोजगार नहीं था।
राजस्थान में बाड़मेर और जैसलमेर के अनुसूचित जाति और अन्य गरीब वर्ग के निवासियों के हथकरघा और हस्तशिल्प को विकसित करने और बढ़ावा देने व कच्छ भुज जिला. गुजरात और 1971 के भारत-पाक युद्ध के शरणार्थियों के लिए श्री माहेश्वरी ने विभिन्न व्यापार मंचों पर उनकी पारंपरिक कला और शिल्प को बढ़ावा देकर उन्हें रोजगार प्रदान करने और अन्य व्यक्तियों के लिए जीवन रेखा विकसित करने के उद्देश्य से एक रास्ता बनाने की पहल की।
इसके लिए उन्होंने भारत के मेट्रो शहरों में 8 साल बिताए, मुख्य रूप से दिल्ली में एक फेरीवाले के रूप में और बाड़मेरी हाथ की कढ़ाई और एप्लिक वर्क की वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए हर कोने में पहुंचे। जयपुर में, उन्होंने हवा महल – ‘पैलेस ऑफ विंड्स’, जयपुर में पुशकार्ट पर बाड़मेरी हाथ की कढ़ाई और पिपली के काम की वस्तुओं का विपणन किया और पर्यटकों और आमजन के लिये राजस्थान के पारंपरिक शिल्प का प्रदर्शन किया।
कई जगह लगाई प्रदर्शनी
श्री माहेश्वरी के प्रयासों से शुरू की गई पहल में वर्तमान में मोची जाति के लगभग 150000 बुनकर और 20000 महिलाएँ काम कर रही हैं। पहले ये महिलाएं केवल जूतियों पर कढ़ाई का काम कर रही थीं, जिन्हें आगे घरेलू सजावटी सामान के साथ तैयार किया गया था। वर्ष 1978 में राजस्थानी शिल्प के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए उन्होंने पहली प्रदर्शनी की शुरुआत की।
जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई में ‘राजस्थानी शिल्प’, बाद में वर्ष 1980 के बाद से राजस्थान सरकार के उपक्रम राजस्थान लघु उद्योग निगम लिमिटेड (आरएसआईसी) के प्रमुख प्रकल्प के तहत RAJSICO के समर्थन से, उन्होंने अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु के क्षेत्रों में दलित वर्गों के सामान को बढ़ावा देने के लिए प्रदर्शनी लगाकर प्रयास किये।
चेन्नई और भारत के अन्य प्रमुख शहरों और RAJSICO के अखिल भारतीय एम्पोरियम में भी पारंपरिक शिल्प सामग्री की प्रदर्शनी लगाई। श्री माहेश्वरी ने सीमावर्ती क्षेत्र की शिल्प कौशल की संभावनाओं को देखा। हमेशा सोचते थे कि उन्हें कैसे बढ़ावा दिया जाए, रेगिस्तानी क्षेत्र में रोजगार कैसे पैदा किया जाए?
आर्थिक सहायता व विकास के तलाशे मार्ग
उन्होंने कड़ी मेहनत की और कारीगरों/बुनकरों के समूह बनाने के विभिन्न तरीके ढूंढे और उन्हें बाड़मेर, जैसलमेर (राजस्थान), कच्छ भुज जिले (राज.) में हथकरघा और हस्तशिल्प के विकास के लिए सरकारी योजनाओं के माध्यम से सहायता प्रदान की। इससे स्थानीय निवासियों में जागरूकता पैदा हुई और क्षेत्र की महिलाओं और दबे-कुचले वर्गों को हथकरघा और हस्तशिल्प का नियमित काम मिलने लगा। उत्तर-भारत के रेगिस्तानी इलाकों में हथकरघा और हस्तशिल्प को विकसित करने और बढ़ावा देने की दृष्टि से खुद सक्रिय रूप से शामिल हो गये।
शिल्पकारों और बुनकरों के समूह बनाकर उन्हें प्रशिक्षण, डिजाइन और विपणन प्रदान करके भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा का विकास किया। लगभग 1.7 लाख कारीगरों/बुनकरों के लिए रोजगार सृजित किया और विशेष रूप से राजस्थान के अनुसूचित जाति समुदाय और गरीब वर्ग में महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया। शिल्प को लोकप्रिय बनाने और विपणन प्रदान करने के लिए विदेशियों विशेषकर जापानी खरीदारों को बाड़मेर और राजस्थान के अन्य शिल्प क्षेत्रों का दौरा करने के लिए प्रेरित किया।
सतत रूप से चलते रहे प्रयास
बाड़मेर और जैसलमेर (राजस्थान), कच्छ भुज जिले (गुजरात) के शिल्प के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए नियमित शो, प्रदर्शनियाँ और खरीदार शिल्पकारों के लिए विक्रेता बैठकें आयोजित की गयी और अपने व्यक्तिगत संपर्कों और अनुनय के माध्यम से विदेशी खरीदारों को बाड़मेर के शिल्प को बढ़ावा देने और राजस्थान व गुजरात के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के शिल्पकारों/बुनकरों के जीवन स्तर को बढ़ावा देने के लिए ऐसी प्रदर्शनियों में जाने के लिए प्रेरित किया। आखिरकार वे ऐसे हजारों कारीगरों/बुनकरों (एससी और एसटी की महिलाओं सहित) के लिए रोजगार पैदा करने के अपने प्रयास में सफल रहे, जो अपनी दैनिक रोटी कमाने के अवसरों की कमी के कारण बुरी तरह प्रभावित थे।
बाड़मेर (राज.), गुजरात और कच्छ भुज जिले (गुज.) की शिल्पकला को बढ़ावा देने के लिए श्री माहेश्वरी के सशक्त प्रयास और दूरदराज के क्षेत्रों से शिल्प उत्पादों का निर्यात, उनके जीवन स्तर में सुधार और नियमित रोजगार प्रदान करने के लिए उनके समाज के प्रति समर्पण सामाजिक कार्यों में उनका विशिष्ट योगदान है, जो शायद रेगिस्तानी क्षेत्र में इतना आसान नहीं था, जिसके कारण हस्तशिल्प क्षेत्र में लाभ हुआ है।
राष्ट्रीय हित के लिए ज़ोरदार स्वैच्छिक प्रयास के रूप में उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के गरीब वर्गों के लिए समर्पित कर दिया है और आज भी वे कमजोर वर्गों से जुड़े हुए हैं और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए उचित स्तर तक ले जा रहे हैं। उसी का परिणाम है कि, श्री माहेश्वरी बाड़मेर और कच्छ, भुज क्षेत्रों के शिल्पकारों के प्रति बहुत स्नेही हैं। इन क्षेत्रों के कारीगर/बुनकर उनके सभी सामाजिक कार्यों और शिल्प के विकास के लिए उन्हें विशिष्ट सम्मान देते हैं।
क्षेत्र को बनवाया शिल्प क्लस्टर
निरंतर अनुनय और प्रयासों के फलस्वरूप तत्कालीन कपड़ा मंत्री काशीराम राणा ने वर्ष 2001 में बाड़मेर को शिल्प क्लस्टर घोषित किया। इसके साथ श्री माहेश्वरी ने सरकार की EXIM नीति में बाड़मेर को ‘‘निर्यात उत्कृष्टता शहर’’ घोषित करवाया। भारत सरकार ने बाड़मेर के व्यापारियों और शिल्पकारों को विनिर्माण के साथ-साथ विपणन में विभिन्न रियायतें प्रदान की हैं। विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) कार्यालय के साथ उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप गरीब शिल्पकारों के उत्थान के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों के शिल्प के विपणन की सुविधा के लिए शहरी हाट बनाने और स्थापित करने में मदद मिली है।
वर्तमान में कारीगरों/बुनकरों को मजबूत करने के लिए श्री माहेश्वरी राजस्थान सरकार के क्लस्टर विकास कार्यक्रमों की गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से शामिल हैं। समग्र रूप से हस्तशिल्प क्षेत्र और राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में शिल्प और शिल्पकार समुदाय के विकास और प्रचार-प्रसार में उनका योगदान मूल्यवान और यादगार है।
शिल्प की पहुँच अब विदेश तक
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) जो हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख संगठन है, को इसकी स्थापना के समय से ही श्री माहेश्वरी का सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि श्री माहेश्वरी ईपीसीएच के संस्थापक सदस्य हैं। उन्होंने प्रशासन समिति के सदस्य, व्यापार मेलों के अध्यक्ष, फर्नीचर और सहायक उपकरण शो जैसे विशिष्ट शो के अध्यक्ष, ईपीसीएच के उपाध्यक्ष, निदेशक – इंडिया एक्सपोज़िशन मार्ट लिमिटेड, ग्रेटर नोएडा के रूप में विभिन्न पदों पर कार्य किया है।
वर्ष 2001 में उन्हें ईपीसीएच का उपाध्यक्ष चुना गया। उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय हस्तशिल्प निर्यातकों ने कराकास, (वेनेज़ुएला) में प्रथम भारतीय महोत्सव में भाग लिया, जिसका उद्घाटन तात्कालीन कपड़ा मंत्री – काशीराम राणा ने किया था। यह मेला 15 दिनों के लिए होता है और भारतीय संस्कृति, भारतीय हस्तशिल्प के साथ-साथ भारतीय भोजन का प्रतिनिधित्व करता है। यह एक बड़ी सफलता थी, कि प्रत्येक प्रदर्शक ने इसमें अपनी पूरी सामग्री दी थी। सभी लोग लेखराज जी और परिषद के प्रयासों की सराहना करते हैं। वे 2013 से 2015 तक ईपीसीएच के अध्यक्ष थे और वर्तमान में क्षेत्रीय संयोजक और प्रशासन समिति – ईपीसीएच के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं।
प्रचार-प्रसार के लिए कई देशों का भ्रमण
बाड़मेरी हाथ की कढ़ाई और एप्लिक कार्य और विविध हस्तशिल्प वस्तुओं को विश्व बाजार में लोकप्रिय बनाने के लिए उन्होंने व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ कई देशों का दौरा किया। वर्ष 1991 में लंदन, पेरिस, इटली, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, वर्ष 2005 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड, वर्ष 2006 में यूनाइटेड किंगडम, वर्ष 2007 में ब्राज़ील, वर्ष 2008 में ग्रीस तथा वर्ष 2009 में अर्जेंटीना और चिली तथा फिर वर्ष 2011 और 2013 में यहाँ पुन: भ्रमण किया।
ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना में 15 दिनों तक चलने वाला बी2सी मेला एक बड़ी उपलब्धि थी, जिसे 5 वर्षों में तीन बार आयोजित किया गया। यह लैटिन अमेरिकी देशों में भारतीय हस्तशिल्प बाजार बनाने के श्री माहेश्वरी के दृष्टिकोण के कारण था, जो भारतीय हस्तशिल्प की भावना से अछूते थे। इसके साथ ही वर्ष 2001 में तुर्की, वर्ष 2013 में हांगकांग, जापान और चीन तथा वर्ष 2014 में एनवाई, यूएसए का भ्रमण कर हस्तशिल्प का व्यापक प्रचार प्रसार किया।
कई संगठनों के माध्यम से सेवा
समाज के उत्थान और विकास में गहरी रुचि के कारण, आप विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इसके अंतर्गत आप व्यापार मंडल, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ की प्रबंध समिति के पूर्व सदस्य, अखिल भारतीय हस्तशिल्प सलाहकार बोर्ड, कपड़ा मंत्रालय, (भारत सरकार), हस्तशिल्प और कालीन सेक्टर कौशल परिषद (वाणिज्य मंत्रालय), कपड़ा कार्य बल, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, नई दिल्ली को सदस्य के रूप में सेवा दे चुके हैं।
पूर्व सदस्य और संरक्षक के रूप में हस्तशिल्प क्षेत्र परिषद, श्रम और रोजगार मंत्रालय, विशेष आमंत्रित सदस्य एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया, (नई दिल्ली), निदेशक इंडिया एक्सपोज़िशन मार्ट लिमिटेड, ग्रेटर नोएडा प्रबंध समिति सदस्य, लघु उद्योग भारती राजस्थान अध्यक्ष (एमर्टियस), फेडरेशन ऑफ राजस्थान होम टेक्सटाइल्स एंड हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स राजस्थान संयोजक, अखिल भारतीय ढाट माहेश्वरी समाज राजस्थान महासंघ के अध्यक्ष रूप में भी सेवा देते रहे हैं।
समाज सेवा संगठन अंतर्गत पूर्व सदस्य, अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन, पुष्कर, (राजस्थान), पूर्व सदस्य, राष्ट्रीय वृद्धजन परिषद, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, (भारत सरकार) तथा पूर्व सदस्य, पश्चिम रेलवे, अंतर्राष्ट्रीय माहेश्वरी मंच नई दिल्ली में संगठन मंत्री, प्रबंध समिति सदस्य (उद्योग) अखिल भारतीय माहेश्वरी समाज, प्रबंध समिति सदस्य माहेश्वरी समाज (जयपुर) आदि उपाध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासंघ (नई दिल्ली) अध्यक्ष, श्री महेश गौ सेवा ट्रस्ट (अहमदाबाद) आदि के रूप में भी अपनी सेवा दे रहे हैं।
समाज की भी सतत सेवा
श्री माहेश्वरी सर्वप्रथम श्री चाबुलाल तोतला की अध्यक्षता में समाज कार्यकारिणी में अधिकृत प्रतिनिधि नियुक्त किए गये और समस्त सरकारी कार्यों को निर्विघ्न पूर्ण करवाया। शिक्षा सचिव घनश्याम मूंंदड़ा के साथ 5 स्कूल की प्रबंधन कार्यकारिणी में सदस्य रहे। MGV बालिका विद्यालय, विद्याधरनगर की भूमि के लिए बजरंग जाखोटिया के साथ लगातार दो साल मेहनत करके JDA में अधिकारियों से मिलकर 9000 गज जमीन 90,000,00 रुपये में अलाट करवाई।
श्री माहेश्वरीजी ने श्री मूंदडा व श्री जाखोटिया के साथ मिलकर, राज्य सरकार से 50% पर 45,000,00 रुपये पर भूमि आवरण स्वीकृत करवाया। वरिष्ठ समाज सेवी राधाकिशन अजमेरा, वायुलाल तोत्तला, बालकृष्ण सोमानी, जाखोटिया जी, मूंदड़ाजी के साथ जाकर भंवरलाल शर्मा, मंत्री (राज्य सरकार) से निवेदन कर समाज की बाजिव मांग को देखते हुए, सिर्फ 1 रु टोकन मनी पर 9000 गज जमीन आवंटित करवाने में विशेष सहयोग दिया।
माहेश्वरी पब्लिक स्कूल, जवाहर नगर के लोकार्पण के लिए दिल्ली जाकर रामदास अग्रवाल के साथ भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी से मिलकर उनसे निवेवन कर लोकार्पण की स्वीकृति ली गई।
भाजपा की बैठक की भी व्यवस्था
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो बार मीटिंग, जयपुर में आयोजित हुई। अध्यक्ष रामदास अग्रवाल द्वारा, उनके ठहरने की व्यवस्था श्री माहेश्वरी को सुपुर्द की गई। लेखराजजी ने अपना अहम् योगदान देकर माहेश्वरी समाज द्वारा, भोजन की व्यवस्था की, जिसमें 100 गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। नई दिल्ली में लेखराज बचाणी, (सांसद) की प्रेरणा से अंतरराष्ट्रीय माहेश्वरी परिषद का गठन किया गया, जिसका उद्देश्य राष्ट्र के निर्माण में तन-मन-धन से सहयोग की भावना उत्पन्न करना था। दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय स्तर का भवन बनवाया एवं संपूर्ण विश्व में रह रहे माहेश्वरी बंधुओ की जनगणना करवाकर पुस्तक प्रकाशित करवाना एवं सामाजिक कार्य करना, भी उनके उद्देश्य रहे।
इस कार्य के लिये श्री माहेश्वरी को संगठन मंत्री बनाया गया। वे आज दिन तक संगठन का कार्य देख रहे है। जनवरी 2019 में अखिल भारतीय माहेश्वरी महाधिवेशन जोधपुर में संपन्न हुआ, उसमें लगभग 30000 माहेश्वरी पूरे देश के कोने कोने से पधारे। उसमें माहेश्वरी ग्लोबल एक्सपो का आयोजन भी किया गया। श्री माहेश्वरी सलाहकार समिति के मेम्बर रहे व समय-समय पर ग्लोबल एक्सपो की सफलता के लिये मार्गदर्शन किया।
2008 से 2012 तक माहेश्वरी सेवा सदन, पुष्कर की कार्यकारिणी सदस्य रहे व कुम्भ मेले में हरिद्वार भवन में आपने 15 दिन रुककर अपनी सेवाए दीं व सभी माहेश्वरी बंधुओं की आवास एवं भोजन व्यवस्था में सहयोग किया। 2001 में गुजरात में भयंकर भूकम्प के समय श्री माहेश्वरी ने अंतर्राष्ट्रीय माहेश्वरी परिषद दिल्ली के तत्वावधान में, माहेश्वरी बंधु (सुरेन्द्रनगर) के साथ भधाउ, अंजार, गांधीधाम भुज एवं भुजोडी जाकर माहेश्वरी बंधुओ की समस्याओं के निराकरण में सहायता की एवं आर्थिक मदद की।
समाज सेवा में भी विशिष्ट सम्मान
माहेश्वरी समाज, जोधपुर के महेश नवमी कार्यक्रम के अवसर पर आपको विशेष अतिथि बनाकर 15000 लोगो ने आपका हार्दिक स्वागत किया। ज्ञाती बंधुओ ने समाचार-पत्र में पूरे पृष्ठ पर विज्ञापन देकर व 50 से ज्यादा हार्डिंग्स लगाकर बधाई दी। इसी प्रकार विल्ही, जयपुर, बाडमेर, गडरा रोड, अहमदाबाद, बडोदा, सुरेन्द्रनगर आदि स्थानों के सैंकडो माहेश्वरी बंधुओ ने भी ढोल नगाडे के साथ व पुश्तैनी गांव के लोगों ने भी पूरे शहर में घुमाकर स्वागत किया। स्वर्गीय श्री रामदासजी अग्रवाल की अध्यक्षता में अखिल भारतीय वैश्य सम्मेलन, 1997 से जुडे हुए है।
वर्तमान में राजस्थान प्रदेश वैश्य सम्मेलन के सीनीयर उपाध्यक्ष है। इंटरनेशनल वैश्य फेडरेशन दिल्ली के उपाध्यक्ष के पद पर सुशोभित हैं। इसी फेडरेशन ने आपकी सेवाओं और कार्य कुशलता और कर्मठता को देखते हुए लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड दिया। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया धाट माहेश्वरी समाज से गुजरात व राजस्थान के करीव 5000 परिवार जुड़े है।
ये संस्था 12 वर्षों से समाज के उत्थान, शिक्षा, चिकित्सा, इंश्योरेन्स, आदि के लिए प्रयासरत है। आप इसके सक्रिय सदस्य है। 2015 में हरिद्वार में श्री भागवत कथा के आयोजन में समस्त व्यवस्थाओं को 6 बार हरिद्वार जाकर जिम्मेदारीपूर्वक सम्भाला।
सेवा ने दिलाया सम्मान
- आर्थिक अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली द्वारा उद्योग रतन पुरस्कार कलेक्टर बाड़मेर द्वारा (1989)
- पद्मश्री मेघराज जैन द्वारा 1995 में लेकटा लोक मेला, बाडमेर के दौरान सम्मान
- 1996 में आर्थिक संस्थान, नई दिल्ली द्वारा सम्मान
- 1996 में भंवर लाल मिश्रा, (शहरी मामलों के मंत्री और मोहन लाल गुप्ता, (जयपुर महापौर) द्वारा शिल्प क्षेत्र के विकास में कड़े प्रयासों के लिए जयपुर नगर निगम समारोह में सम्मान
- 1997 में भारतीय लघु निर्यातक परिषद द्वारा उद्योग रतन पुरस्कार
- 1997 में नेशनल इंडस्ट्रियल फोरम, नई दिल्ली द्वारा इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी पुरस्कार
- स्वदेशी जागरण मंच, जोधपुर द्वारा स्वदेशी मेले के दौरान सम्मान
- 2001 में क्राफ्ट क्लस्टर के उद्घाटन के दौरान कपड़ा मंत्री काशीराम राणा और विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) द्वारा बाड़मेर में सम्मान
- राजस्थान अकादमी द्वारा वर्ष 2002 में निर्यात में उत्कृष्ट कार्य के लिए नई दिल्ली में सम्मान
- 2003 में महेश नवमी के अवसर पर माहेश्वरी समाज, नई दिल्ली द्वारा सम्मानित
- 2004 में राजस्थान के राज्यपाल – मदन लाल खुराना के हाथों सामाजिक संस्था केशव नवनीत द्वारा गुणीजन पुरस्कार
- मिजोरम सरकार द्वारा 2005 में वंचित क्षेत्र के उत्थान की उत्कृष्ट सेवाओं के लिए मिज़ोरम का पुरस्कार
- वर्ष 1995, 1997, 2001, 2011-12, 2013-14, 2019, 2020 & 2021 में सामाजिक सेवाओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए माहेश्वरी समाज द्वारा सम्मान
- 2011 में वैश्य गौरव पुरस्कार
- माहेश्वरी समाज, नई दिल्ली द्वारा 2012 में सम्मान
- राजस्थान राज्य उत्पादकता परिषद, जयपुर द्वारा 2013 में सम्मान
- 2013 में राजस्थान जन मंच द्वारा समाज रतन पुरस्कार
- बाड़मेर, गडरा रोड, जोधपुर, जयपुर, अहमदाबाद, बड़ौदा और सुरेंद्र नगर के धाट माहेश्वरी समाज द्वारा 2013 में ईपीसीएच की चेयरमैनशिप का जश्न मनाया जाएगा।
- 2014 में राजस्थान युवा संस्था समाज द्वारा विवेकानन्द गौरव पुरस्कार
- 2015 में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा इंटरनेशनल वैश्य फेडरेशन की ओर से लाइफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड
- 2016 में रामदास जी अग्रवाल और मुख्यमंत्री दिल्ली द्वारा दिल्ली प्रदेश वैश्य महासंघ द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
- 2016 में हस्तशिल्प क्षेत्र के विकास के लिए समर्पण, प्रतिबद्धता और अमूल्य योगदान के लिए ईपीसीएच द्वारा सम्मान।
- माहेश्वरी सेवा समिति बाड़मेर द्वारा 2019 में सम्मान।
- होटल मैरियट, जयपुर में राजस्थान के राज्यपाल के हाथों रामदास अग्रवाल मार्ग के उद्घाटन के दौरान, अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासंघ, नई दिल्ली द्वारा प्रशंसा पत्र।
- अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन पुष्कर द्वारा 2019 में सम्मान
- कपड़ा मंत्री – स्मृति जुबिन ईरानी के हाथों 2019 में हस्तशिल्प क्षेत्र में सामाजिक और कल्याण के प्रति उनके योगदान के लिए ईपीसीएच सम्मान
- माहेश्वरी समाज द्वारा प्रतिभा सम्मान (219)
- लघु उद्योग भारती राजस्थान द्वारा 2020 में जोधपुर में सम्मान
- लघु उद्योग भारती जोधपुर द्वारा जनवरी 2020 में सम्मानित
- श्री माहेश्वरी समाज जयपुर द्वारा दिसम्बर 2023 में सम्मानित
- रामदास अग्रवाल जन-सेवा अवार्ड से अप्रैल 2024 में कटरा में सम्मानित
- पश्चिमी राजस्थान उद्योग हस्तशिल्प मेला, जोधपुर, 2020 के दौरान मुख्यमंत्री एवं राजस्थान के उद्योग मंत्री द्वारा प्रशंसा की गई।