2016Maheshwari of the year

श्याम जाजू

श्री माहेश्वरी टाईम्स राजनीति के क्षेत्र में अपना प्रतिष्ठित ‘‘माहेश्वरी ऑफ द ईयर’’ अवार्ड दे रही है, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्र्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू को। श्री जाजू एक ऐसे जननायक हैं, जिन्होंने काजल की कोठरी मानी जाने वाली राजनीति में कदम तो रखा, लेकिन अपने आप पर कभी कोई दाग नहीं लगने दिया। इतना ही नहीं भाजपा के वर्तमान नेतृत्व के साथ श्री जाजू राजनीति को भ्रष्टाचार मुक्त व साफ-सुथरा बनाने में एक सेनानायक की तरह जुटे हुए हैं।

वर्तमान में श्याम जाजू देशभर के लिये न सिर्फ जाना माना बल्कि एक बेहद अपना सा नाम है। अपना संपूर्ण जीवन ही भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से राजनीति को समर्पित कर देने वाले श्री जाजू आज इस पार्टी के राष्ट्र्रीय उपाध्यक्ष के रूप में भारतीय राजनीति में अपना अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। ऐसे व्यस्त व जिम्मेदारी पूर्ण पद की जिम्मेदारी निभाने के बावजूद भी उनकी छवि न सिर्फ समाज अपितु राजनीति में भी सिर्फ एक राजनेता के रूप में न होकर समाजसेवी की तरह उज्ज्वल है।

राजनीति में हर बड़े नेता से लेकर छोटे कार्यकर्ता तक के वे अजीज हैं, तो समाज के भी बेहद अपने। जब भी जहां भी उन्हें याद किया जाता है, वे यथासंभव वहां न सिर्फ उपस्थित रहते हैं, बल्कि समाज की समस्याओं को शीर्ष तक पहुंचाने के साथ समाज में मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाते हैं और वह भी पूर्णतः निःस्वार्थ भाव से सिर्फ समाज के प्रति अपने कर्तव्य की तरह।

पिता से विरासत में मिली राजनीति:

श्री जाजू का जन्म 29 अक्टूबर १९५७ को हुआ। उन्हें राजनीति भी विरासत में ही मिली। पिता स्व. श्री शंकरलालजी राष्ट्र्रीय स्वयंसेवक संघ से सम्बद्ध थे और उन्होंने 1948 में संघ बंदी के खिलाफ सत्याग्रह में भाग लेकर जेल यात्रा की। उन्होंने वर्ष 1967 में जनसंघ के माध्यम से महाराष्ट्र में अहमदनगर जिले की संगमनेर विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा।

वर्ष 1975 के समय में श्री जाजू भी अपने पिताजी के साथ जनसंघ में सक्रिय हो चुके थे और इस दौरान पिता-पुत्र दोनों ने एक साथ जेल में कारावास काटा। बस अंतर था तो यह कि पिता नासिक रोड़ जेल में निरूद्ध थे, तो स्वयं श्यामजी संगमनेर की जेल में। उस समय श्यामजी की उम्र मात्र 18 वर्ष थी।

ऐसे चली शिखर यात्रा:

मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में श्री जाजू का बचपन आर्थिक विषमताओं में गुजरा। पढ़ाई के साथ ही वे अपने पिताजी को व्यवसाय में भी सहयोग देते थे। पुना के वृहद्ध महाराष्ट्र कॉलेज ऑफ कॉमर्स से आपने एम.काम. तक शिक्षा प्राप्त की। कॉलेज जीवन के साथ ही श्री जाजू अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय हो गये तथा इसके पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में सतत 8 वर्ष तक कार्य किया। सन् 1984 में गोहाटी में चले घुसखोर हटाव सत्याग्रह में आपने महाराष्ट्र का नेतृत्व किया। छात्र राजनीति में सक्रियता के पश्चात् श्री जाजू भारतीय जनतापार्टी के सक्रिय सदस्य बन गये और इसके साथ ही आपने पार्टी में विभिन्न पदों पर अपनी सक्रिय व सफल सेवा दी। इसी का परिणाम यह रहा कि भाजपा नेतृत्व ने उनके महत्व को देखते हुए उनकी जिम्मेदारियों को भी सतत रूप से बढ़ाया। भाजपा के केन्द्रीय कार्यालय के सचिव व मुख्यालय प्रभारी पद की जिम्मेदारियों का भी सफलतापूर्वक निर्वहन किया। आपकी समर्पित व सफल सेवाओं को देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने वर्तमान में आपको पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद सौंप रखा है और श्री जाजू इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी भी अत्यंत सफलता के साथ निभा रहे हैं।

माँ से मिली सेवा भावना:

श्री जाजू की माता स्व. श्रीमती लीलादेवी एक सक्रिय व समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता थी। अतः समाजसेवा की प्रेरणा उनसे इन्हें विरासत में मिली। इसका नतीजा यह निकला की चाहे श्री जाजू राजनीति में रहे है फिर भी उनके लिये राजनीति किसी समाजसेवा से कम नहीं है। अपनी मिलन सरिता व मधुर व्यवहार से आप सदैव सभी के लिये सम्मान का केन्द्र ही रहे हैं।

देशभर के किसी भी कोने से किसी प्रकार की मदद के लिये उनके पास पहुँचा कोई भी माहेश्वरी कभी मायूस नहीं हुआ। अपने राजनीतिक भ्रमण के दौरान भी आप समाज में सम्पर्को को विशेष महत्व देते हैं। हिन्दुत्व की भावना आप में कूट-कूटकर भरी हुई है। अपनी विद्वत्ता के कारण आप छात्र जीवन से ही एक कुशल वक्ता भी रहे हैं। राजनीति में भी सेवा ही आपका परम लक्ष्य है और इसके प्रति आप सदैव समर्पित हैं।

सहकारिता व धार्मिक क्षेत्र में भी योगदान:

श्री जाजू सहकारिता क्षेत्र में भी सक्रिय रहे। इसके अंतर्गत आपने संगमनेर मर्चेन्ट को-आपरेटिव बैंक में संचालक व दीनदयाल उपाध्याय पतसंस्था चेयरमेन की जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है। फिलहाल दिल्ली की केशप सहकारी बैंक में भी संचालक के रूप में सेवा दे रहे हैं। धार्मिक क्षेत्र की ख्यात विभूतियों से भी आपके अच्छे सम्बंध हैं।

इनमें स्वामी जयेन्द्र सरस्वती, बाबा रामदेव, श्रीश्री रविशंकरजी, अशोक सिंघल, सत्यामित्रानंद गिरिजी, किशोरजी व्यास (गोविन्दगिरिजी) जैसी ख्यात विभूतियाँ शामिल हैं। आपकी धर्मपत्नी प्रतिभाजी ने सदैव उन्हें जीवन में एक सच्ची अद्र्धांगिनी की तरह कर्तव्य पथ पर साथ दिया और पारिवारिक व राजनीतिक क्षेत्रों में यथोचित सहयोग दिया।

राजनीति में सक्रियता क्यों बढ़ाऐं माहेश्वरी:

श्री जाजू समाज की राजनीति में समाज की सक्रियता बढ़ाने को आवश्यक मानते हैं। उनका कहना है कि किसी समय राजनीति को अच्छा क्षेत्र नहीं समझा जाता था। अतः अच्छे लोग इसमें आना पसंद नहीं करते थे। लेकिन मोदीजी के नेतृत्व में राजनीति की तस्वीर बदल रही है। अब इसके प्रति आम बुद्धिजीवियों की सोच भी बदली है। राजनीति के प्रति अच्छे लोगों का आकर्षण बढ़ा है।

मेरे विचार में तो समाज को भी इस क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ानी ही चाहिये। माहेश्वरी समाज समाजसेवा के क्षेत्र में सबसे आगे रहा है। अतः जब वर्तमान में मोदीजी के नेतृत्व में राजनीति का क्षेत्र समाजसेवा की तरह सर्वव्यापी हो गया है, तो ऐसे में समाज की इसमें भागीदारी बढ़ना स्वाभाविक भी है और आवश्यक भी। भारत प्रगतिशील व सुदृढ़ हो, इसके लिये भी हमारे समृद्ध-सृदृढ़ समाज को योगदान बढ़ाना चाहिये।

सेवा के वृहद आयाम:

राजनीति के अलावा अंतराष्ट्रीय वैश्य फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के नाते दायित्व निर्वहन कर रहे हैं माहेश्वरी समाज के राजनैतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय निमंत्रक तथा महेश सेवा सदन के सभी आप सदस्य हैं। आल इण्डिया स्पोट्र्स संघ के संरक्षक के रूप में भी आप कार्यरत है। व्यापारी व उद्योग जगत की समस्याओं से उत्पन्न होने के कारण अलग अलग राज्यों में या राष्ट्रीय स्तर पर जब समस्यायें निर्माण होती हैं तो विधायक दृष्टिकोण रखते हुए समस्याओं का हल निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

सावरकर अंतराष्ट्रीय साहित्य सम्मेलन की मोरिशियस में हुये सम्मेलन की अध्यक्षता इस बार श्री जाजू ने की। युनिवर्सल पीस फेडरेशन मंच पर साउथ कोरिया व बैंकोक में भारत का प्रतिनिधित्व श्री जाजू ने किया हैं। जीवन के अलग अलग क्षेत्रो में दूरदृष्टि रखते हुए आपने जो सक्रियता निभाई है, इसके कारण महाराष्ट्र सरकार ने भी आपको दुय्यम सेवा निवड मंडल (Regional Recruitment Board) नासिक में संचालक के रूप में पुरस्कृत किया था।

आपके प्रयत्न से ही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने समाज को आजादी के बाद पहली बार महेश नवमी के अवसर पर शुभकामनाए देकर गौरवान्वित किया था।


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Sri Maheshwari Times

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