Personality of the month

‘‘सरप्राइज’’ की रचनाकार- शारदा डागा पिंकी माहेश्वरी

गिफ्ट और वह भी ऐसा जो आकर्षक होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिये भी हानिकारक न हो तो वास्तव में ‘‘सरप्राईज’’ ही कहा जाऐगा। ऐसे ‘‘सरप्राइज’’ को ही अपना कॅरियर बनाकर अपने स्टार्टअप को शिखर की ऊँचाई दे रही हैं, जयपुर निवासी पिंकी माहेश्वरी अपनी माँ शारदा डागा के साथ। एक पेपर बेग से उन्होंने शुरूआत की थी और आज 1200 से अधिक पेपर प्रोडेक्ट बना रही हैं।

जयपुर निवासी नवल डागा वर्तमान में पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य कर रहे एक ऐसे व्यवसायी के रूप में प्रतिष्ठित हैं, जिन्होंने अपना अपना सिर्फ व्यवसाय ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण जीवन ही पर्यावरण को समर्पित कर दिया है। अब उनसे ही प्रेरित एम.बी.ए. तक उच्च शिक्षित उनकी बेटी पिंकी भी उन्हीं के पदकमलों पर चलते अपने स्टार्टअप ‘‘सरप्राइज समवन’’ द्वारा सरप्राइज की सौगात दे रही है।

पिंकी माहेश्वरी

एमबीए करने के बाद पिंकी माहेश्वरी एक ग्लोबल एडवरटाइजिंग कंपनी में लगभग आठ साल तक काम करती रहीं और फिर जयपुर में भी दो साल तक काम किया। शादी होने और फिर मां बनने के बाद उन्होंने फैसला किया कि अब वह नौकरी नहीं करेंगी और खुद का ही कोई काम करेंगी। पिंकी बताती हैं, नौकरी छोड़ने के कुछ महीने बाद मेरे एक साथी ने मुझसे हाई प्रोफाइल कुछ मेहमानों के लिए हैंडमेड वेलकम कार्ड्स बनाने के लिए कहा।

चूंकि मैं जॉब के दौरान क्रिएटिव काम से जुड़ी हुई थी, इसलिए उन्हें मेरी रुचि के बारे में पता था। तब मैंने कुल 150 मेहमानों के लिए कार्ड्स बनाए। उन कार्ड्स को काफी पसंद किया गया। हालांकि, मैंने पैसे के लिए काम नहीं किया था, लेकिन बाद में मुझे उस काम के लिए 15 हजार रुपए मिले, जिसकी मैने उम्मीद भी नहीं की थी। मुझे यहीं से प्रेरणा मिली और मैं कुछ अलग करने की कोशिश में लग गई।


माँ बनी व्यवसाय की सहयोगी

क्राफ्ट में रुचि बचपन से थी, इसलिए मैंने इकोफ्रैंडली पेपरबैग, गिफ्ट रैपर, आमंत्रण कार्ड वगैरह बनाने का काम शुरू किया। पिंकी माहेश्वरी ने बताया कि मैंने अपनी मां शारदा डागा के साथ मिलकर 2015 में ‘‘सरप्राइज समवन’’ स्टार्टअप की शुरुआत की। पेड़ बचे रहें, इसलिए मैंने कपड़ों से पेपर बनाने का काम शुरु किया और फिर उससे गिफ्ट रैपर या बैग बनाने लगी।

आइडिया डेवलप करने का काम मैं खुद देखती हूँ, लेकिन एग्जीक्यूश्न और हिसाब-किताब का काम मां संभालती हैं। वर्तमान में इस स्टार्टअप से 39 आर्टिस्ट और 19 टीम मेंबर्स जुड़े हैं। कुछ स्कूल-कॉलेजों के संपर्क में हूं, क्योंकि वहां से पुरानी फाइलें, जो रद्दी फैंक दी जाती है, उसे इकट्ठा करके हम फिर से इस्तेमाल लायक बनाने की सोच रहे हैं।

पिंकी माहेश्वरी

फिलहाल इस पर मेरा रिसर्च वर्क चल रहा है। मेरा स्टार्टअप सेल्फ-फंडेड है। सेल से जो भी पैसा आता है, उसे आगे प्रोडक्ट डेवलपमेंट पर खर्च कर दिया जाता है। फिलहाल ये वेंचर सिर्फ ऑनलाईन उपलब्ध है और मार्केटिंग के लिए कंपनी सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रही है।

सबसे खास बात यह है कि भारत सरकार द्वारा देश के शीर्ष 50 स्टार्टअप में मुझे शामिल किया गया है। वर्तमान में पिंकी को देश के प्रतिष्ठित आईआईएम से इंटरप्रेंन्योरशिप की पढ़ाई के लिये शत प्रतिशत स्कालरशिप प्राप्त हुई।

वर्तमान में उनकी उपलब्धियों को देखते हुए शासन की ओर से एमएसएमई/एनएसआईसी में इंटरप्रेन्योरशिप पढ़ा रही हैं और अभी तक 25 बेचेस पढ़ा चुकी हैं।


कैसे हैं उनके उत्पाद

इन गिफ्ट्स की खास बात यह है कि आप गिफ्ट का इस्तेमाल करने के बाद उसे पौधे के बीज के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं और पौधा उगा सकते हैं। स्टार्टअप के सभी प्रोडक्ट्स रिसाइकिल्ड पेपर्स से बने होते हैं और उनमें बीज (सीड्स) मौजूद होते हैं।

कॉटन रैग्स और वेस्ट कॉटन की मदद से भी रिसाइकिल्ड पेपर तैयार करते हैं। इसी तरह सीड पेंसिल्स भी हैं। ये पेंसिल्स 100 प्रतिशत बायो-डिग्रेडेबल हैं और इन्हें भी रिसाइकिल्ड पेपर और पुराने न्यूजपेपर्स की मदद से तैयार किया जाता है।

इरेजर की जगह पर इन पेंसिल्स में सीड कैप्सूल लगे होते हैं। पेंसिल का इस्तेमाल खत्म हो जाने पर आप इन कैप्सूल्स को मिट्टी में रोप सकते हैं। इन्हें पानी वगैरह उपलब्ध कराएं, तो दो हफ्तों के भीतर इनके अंदर के बीज बढ़ने लगेंगे।


महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना भी लक्ष्य

पिंकी माहेश्वरी के पिता नवल डागा का मानना है कि बचपन से ही इसका खिलौना ही कागज, पेंसिल, चाकू, फेविकोल जैसी चीजें रही हैं, इसी से क्रिएटिव समान बनाना शौक रहा है। हमेशा से एक नयी सोच और नये जुनून ने इसे इस मुकाम पर पहुंचाया है।

पिंकी माहेश्वरी

टॉप 50 स्टार्टअप इंडिया में अपनी पहचान बनाने वाली इनकी कम्पनी ऐसे तबके की महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा रही है, जो ग्रामीण क्षेत्रों की बेहद गरीब, विधवा, तलाकशुदा, घरेलू औरतें हैं, जिनके लिये छत के नीचे पंखे में बैठकर काम करना भी जीवन का आशीर्वाद है।

ऐसी महिलाओं को निरंतर सक्षम बना कर उन्हें मूलभूत जीवन की सुविधाएं मुहैया करा कर देश के लिये वे बहुत बड़ा योगदान दे रही हैं। भारत अच्छी गुणवत्ता के कागज आयात करता है, उसे भी यहीं पर तैयार करवा कर काम में लेना भारतीय स्तर पर सचमुच बड़ा सराहनीय कदम है।


Via
Sri Maheshwari Times

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