नारी सशक्तिकरण की ज्योति- मोहिनी झंवर
भारतीय नारी आमतौर पर वैसे ही आत्मनिर्भर नहीं होती और ऐसे में भी यदि वह मनोरोगों से गुजर रही हो तो फिर उसकी स्थिति कितनी विकट हो जाती है, यह कल्पना करना भी मुश्किल है। ऐसी ही महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये कार्य कर रही हैं, वाराणसी की समाजसेवी मोहिनी झंवर ।
बनारस में ‘‘देवा फाउंडेशन’’ का नाम जुबान पर आते ही हर कोई उसकी सेवाओं के सामने नत मस्तक हो जाता है। इसमें भी यदि महिलाओं की बात की जाए तो उनके लिये तो एक तरह से यह सशक्तिकरण के मंदिर से कम नहीं है।
यह ट्रस्ट महिलाओं को स्वरोजगार प्रशिक्षण प्रदान कर आत्मनिर्भर तो करता ही है, साथ ही अन्य सहयोगी संस्थाऐं बौद्धिक रूप से किन्हीं परेशानियों से जूझ रही महिलाओं की चिकित्सा तथा उनके पुनर्वास के लिये भी काम कर रही है।
मानवता के प्रति समर्पित इस संस्था की शुरुआत की है, बनारस निवासी समाजसेवी मोहिनी झंवर ने और उनके नेतृत्व में ये अपना सफलतापूर्वक योगदान दे रही है।
जीवन किया मानवता को समर्पित
श्रीमती मोहिनी झंवर का जन्म राजस्थान की धरा पर 5 जुलाई 1973 को हुआ था। 30 जनवरी 1996 को मनोचिकित्सक डॉ. वेणुगोपाल झंवर के साथ विवाह के पश्चात् आपकी कर्मभूमि बनारस (उ.प्र.) हो गई। बी.कॉम. सी.ए. (इंटर) तथा एम.बी.ए. तक उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात भी श्रीमती झंवर के मन में जो परम मानवीय संवेदनाऐं उमड़ रही थीं, जिन्होंने उन्हें समाजसेवा की ही राह दिखाई।
मानसिक स्वास्थ्य व महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य करने के लिये 15 जनवरी 2012 को ट्रस्ट ‘‘देवा फाउंडेशन’’ का गठन किया। वर्तमान में आप इसकी ट्रस्टी तथा सीईओ हैं। यह ट्रस्ट अपने दो वाराणसी, एक खजुराहो तथा एक कानपुर में स्थित व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों ‘‘सम्बल’’ द्वारा महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान कर आत्मनिर्भर कर रहा है।
श्रीमती मोहिनी झंवर के निर्देशन में कार्यरत सम्बल-महिला सशक्तिकरण हेतु एक वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर है, जो अभी तक 70 हजार से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर कर चुका है।
महिला पुनर्वास पर भी केन्द्रीत
देवा फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य मानसिक विकलांगता पर कार्य करना है। इसी उद्देश्य के साथ श्रीमती झंवर ने अपनी मुख्य परियोजना ‘अन्विता’ का आरम्भ सन 2016 में मिर्ज़ा पुर जिले के चुनार शहर से किया।
अन्विता में प्रवेश के बाद मानसिक मंदित/विक्षिप्त महिलाओं व बालिकाओं की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के साथ साथ कुशल मनोचिकित्सकों तथा काउंसलर द्वारा उनको परामर्श तथा उचित इलाज प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही उनको विशेष शिक्षा, योग तथा अन्य क्रिया-कलापों की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है। ‘अन्विता’- विशेषीकृत बालिका/महिला गृह में भी सम्बल द्वारा चलाये जा रहे विविध प्रकार के रोजगार परक प्रशिक्षण प्राप्त करने की सुविधा उपलब्ध है।
पिछले चार वर्षो से यह परियोजना महिला एवं बालकल्याण विभाग, उत्तरप्रदेश के प्रतिनिधित्व में चल रही थी। ‘अन्विता’- विशेषीकृत बालिका/महिला गृह चुनार मिर्ज़ापुर के उत्कृष्ट कार्यो को देखते हुए ही ‘अन्विता’- विशेषीकृत बालिका/महिला गृह गौतम बुद्ध नगर नोएडा तथा वाराणसी की भी ज़िम्मेदारी महिला एवं बालकल्याण विभाग, उत्तरप्रदेश ने देवा फ़ाउंडेशन को ही सौंपी है।
कुशल मनोचिकित्सकों तथा काउंसलर के परामर्श तथा उचित इलाज द्वारा अभी तक अन्विता के विशेषीकृत गृहों से कुल प्रवेशित 350 महिलाओं व बालिकाओं में से लगभग 150 महिलायें व बालिकायें पूर्णतया स्वस्थ हो गई तथा लगभग 100 महिलाओ व बालिकाओ को वापिस उनके परिवार में पुनर्वासित भी किया जा चुका है।
सेवा ने दिलाया सम्मान
श्रीमती झंवर ‘‘देवा फाउंडेशन-मिशन फॉर मैन बाइंड ’’ को ट्रस्टी व सीईओ, ‘‘अन्विता-ऐन-ऑल वूमेन रीहेबिलीटेशन सेंटर’’, देवा इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ केयर एण्ड रिसर्च प्रा.लि. तथा “वोकेशन ट्रेनिंग केन्द्र सम्बल’’ को निदेशिका के रूप में सेवा दे रही है। वर्ष 2016 से लगातार श्रीमती झंवर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की ‘‘आन्तरिक शिकायत कमेटी’’ की निर्वाचित सदस्या हैं।
श्रीमती झंवर मानवता को समर्पित अपनी सेवाओं के लिये एच.टी. वुमन अवार्ड के लिये नामित हैं तथा विशाल भारत संस्थान द्वारा नेताजी सुभाषचंद्र बोस नेशनल अवार्ड, उद्गम उत्कृष्ट पुरस्कार – 2016, काशी शक्ति अवार्ड-2016, आई.सी.सी.आई द्वारा एफ.एल.ओ वुमन अवार्ड ऑफ उ.प्र., हिन्दुस्तान टाईम्स (2014) द्वारा अनोखी क्लब स्टार प्लस अवार्ड, रेडियो मिर्ची द्वारा मिर्ची लेडी एचिवर्स अवार्ड, ईस्टर्न अवार्ड तथा आईसीएआई वाराणसी द्वारा सीआईआरसी आदि कई पुरस्कारों द्वारा पुरस्कृत हो चुकी हैं।