महिला सशक्तिकरण की सारथी-Nirmala Mall
नारी के सम्मान की वृद्धि के लिये उसका सशक्त होना जरूरी है। इसी सोच के साथ सामाजिक व आर्थिक दोनों ही मोर्चों पर माहेश्वरी नारी को सशक्त बनाने में जुटी हुई हैं, कोलकाता प्रदेश की पूर्व अध्यक्ष तथा स्वयंसिद्धा महिला सशक्तिकरण समिति राष्ट्रीय प्रभारी निर्मला मल्ल (Nirmala Mall)।
निर्मला मल्ल समाजसेवा के क्षेत्र में न सिर्फ कोलकाता अपितु राष्ट्र स्तर पर एक ऐसा प्रतिष्ठित नाम बन गई हैं, जो नारी सशक्तिकरण की सतत ज्योति जला रही हैं। वे किसी भी पद पर रहीं अथवा नहीं भी रहीं लेकिन उनका लक्ष्य नारी को वह सम्मान दिलवाना है, जिसकी वह हकदार है और इसमें वे सतत रूप से जुटी हुई हैं। उनकी इन्हीं भावनाओं को देखते हुए अ.भा. माहेश्वरी महिला संगठन ने श्रीमती मल्ल को संगठन के अंतर्गत कार्यरत स्वयंसिद्धा महिला सशक्तिकरण समिति में राष्ट्रीय समिति प्रभारी का दायित्व सौंपा है, जिसका श्रीमती मल्ल सफलतापूर्वक निर्वहन कर रही हैं।
ऐसे प्रारम्भ हुई सेवा यात्रा
नारी की आत्मनिर्भरता व सशक्तिकरण का पाठ श्रीमती मल्ल को बचपन में ही अपने परिवार से मिला। बचपन से ही न सिर्फ व्यापार को निकट से देखा बल्कि उसमें योगदान देते हुए व्यापार के गुर सीखे।
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इसी ने उन्हें आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया। इसके साथ मायके व ससुराल दोनों ही जगह उन्हें समाजसेवा भी विरासत के रूप में मिली। इन सभी का नतीजा ही है कि स्वयं श्रीमती मल्ल न सिर्फ स्वयं सशक्त हुईं बल्कि समाज की अन्य महिलाओं को भी सशक्त बनाने का बीड़ा उठाकर चल पड़ी हैं।
समाज में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई
समाज सेवा में रुचि के कारण 2015 में वृहत्तर कोलकाता प्रादेशिक माहेश्वरी महिला संगठन अध्यक्ष का पद मिला। इस दौरान उन्होंने महसूस किया कि महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने की आज भी बेहद आवश्यकता है, इसीलिए अध्यक्ष पद पर रहते हुए महिलाओं को स्वावलंबी और आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में कार्य किये।
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2020-22 में पुनः कोलकाता प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर संभालने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक कार्य किए गए। 2023-26 सत्र में राष्ट्रीय समिति प्रभारी स्वयंसिद्धा महिला सशक्तिकरण समिति का पद प्राप्त हुआ। प्रारंभ से एक ही सोच थी कि लोगों में उनकी खूबियां देखना और उनके मन में विश्वास जगाना। स्वयं सिद्धा का अर्थ ही यही है कि स्वयं को पहचानो अपने मन को जगाओ।
सभी में खूबियाँ होती है और इन खूबियों को पहचान बनाते हुए उन्होंने कई महिलाओं को सशक्त बनाने की भरकत कोशिश की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय काल में तीन सिलाई केंद्र खोलें और 111 सिलाई मशीन महिलाओं को देकर सशक्त बनाया। अब वह महिलाएँ और युवतियाँ सिलाई करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है। आज भी महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिणिक स्तर पर आगे बढ़ाना और निराश्रित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना उनका लक्ष्य है।
नारी सशक्तिकरण में चहुंमुखी योगदान
कर्मण्येवाधिकारस्ते मंत्र जाप सी उज्जवल सी धमकती, कोलकाता के दसों अंचलों का संगम, आजादी के 75 उत्सव की पावन श्रृंखला में अमृत अमर सेवा की। महिलाओं को क्रिकेट, कैरम खेल खिलवाया व सदस्याओं के पंखों में नई उड़ान भरी। कोलकाता माहेश्वरी महिला संगठन के गगन पर विस्तार निरंतर करते हुए राष्ट्रीय महिला संगठन के बैनर तले जारी है।
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अपने काम से स्वर्ण के साथ ही, आठ डायमंड का ताज भी जड़ा, अपने समाज की कई महिलाओं को रोज़गार दिलवाया और आगे बढ़कर काम दिलवाने की लिख दी नई इबारत। आज भी यही सोच है कि अधिक से अधिक हमारे समाज की महिलाओं को रोज़गार में बढ़ावा देना।