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अफ्रीका की चोंटी पर फहराया तिरंगा- Dr Manisha Laddha

अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊँची चोटी किलिमंजारो (19,341 फीट) पर भारत का तिरंगा फहराना शेवगाँव जिला अहिल्या नगर निवासी डॉ. मनीषा लड्डा (Dr. Manisha Laddha) ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए भी गर्व की बात रही। यह उपलब्धि उन्होंने 26 जनवरी 2025 को प्राप्त की, जो गणतंत्र दिवस का विशेष अवसर था। डॉ. मनीषा लड्ढा माहेश्वरी समाज की पहली महिला रही, जिन्होंने 57 साल की उम्र में यह साहस कर दिखाया।

किलिमंजारो पर्वत तंजानिया में स्थित है और यह अफ्रीका की सबसे ऊँची चोटी है। यह एक निष्क्रिय ज्वालामुखी है जिसमें तीन शिखर हैं-किबो, मावेंजी और शिरा। इसका सबसे ऊँचा बिंदु Gng पीक (Uhuru Peak) है, जिसकी ऊँचाई 19,341 फीट (5,895 मीटर) है। यह पर्वत पर्वतारोहियों के लिए आकर्षण का केंद्र है क्योंकि इसे बिना तकनीकी पर्वतारोहण उपकरणों के भी चढ़ा जा सकता है, हालाँकि, इसकी ऊँचाई और मौसम की कठोरता इसे चुनौतीपूर्ण बनाती है। दुनिया में 7 खंडो में 7 सबसे ऊंचे पर्वत जाने जाते हैं, उसमें एक कठिन किलिमंजारो माना जाता है।


4 महीने की तैयारी

करीबन 4 महीने पहिले से ही डॉ. लड्ढा दम्पत्ति ने ट्रेक की जोरदार तैयारी चालू की थी। रोज जॉगिंग, सायकलिंग, पहाड़ चढ़ना-उतरना, योगा, जिम आदि कसरतें कर उन्होंने अपने आपको तैयार किया। ये भी कुछ कम थी, ऐसा एहसास उन्हें हो रहा था। उनके पति डॉ. संजय लड्ढा पैर में चोट लगने से 4 किमी पहले ही नीचे उतरने को मजबूर हो गये लेकिन दृढ़ मानसिक बल पर डॉ. मनीषा ने लक्ष्य पूरा करके ही चैन लिया।

डॉ. मनीषा लड्ढा और उनकी टीम ने 19 से 26 जनवरी 2025 के बीच यह कठिन पर्वतारोहण पूरा किया। इस ट्रेक में स्नो फॉल के कारण अत्यधिक ठंड, तेज़ हवाएँ और ऑक्सीजन की कमी जैसी चुनौतियाँ थीं, लेकिन उन्होंने अपने साहस और दृढ़ संकल्प से इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। उनके साथ 11 अन्य पर्वतारोहियों की टीम भी थी, जिनमें महाराष्ट्र से भी प्रतिभागी शामिल थे।


पूर्व में भी किया पर्वतारोहण

‘त्रिनिटी एडवेंचर्स’ (पुणे) महाराष्ट्र द्वारा उनका व टीम का स्वागत किया गया था, जिसमें एवरेस्ट अनुभवी पर्वतारोहियों ने मार्गदर्शन किया। डॉ. मनीषा और उनके पति डॉ. संजय लड्ढा पहले भी कई ट्रेक कर चुके हैं। एवरेस्ट बेस वैâम्प, लेह लडाख का चद्दार ट्रेक, अन्नपूर्णा बेस कैंप, कैलास मानस परिक्रमा, ट्विन्स पास आदि लेकिन किलिमंजारो की यह चढ़ाई उनके लिए विशेष थी।

26 जनवरी को चोटी पर पहुँचकर भारतीय तिरंगा फहराना एक ऐतिहासिक क्षण था। वहाँ मौजूद सभी पर्वतारोहियों ने भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाए। यह पर्वतारोहण न केवल उनके व्यक्तिगत साहस का प्रमाण है, बल्कि भारत के पर्वतारोहियों की बढ़ती वैश्विक पहचान को भी दर्शाता है।


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