Personality of the month

हौंसले ने पहुंचाया वर्ल्ड ब्यूटी कांटेस्ट में- मोनिषा शारदा

लोग छोटे शहर या कस्बे में अपनी बेटियों का विवाह करने में कतराते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी बेटी को यहाँ उन्नति का आकाश नहीं मिलेगा। वास्तव में उड़ने के लिये पंख चाहिये, आकाश तो अपने आप मिल जाता है। आईये जानें किशनगढ़ रेनवाल जिला जयपुर की मोनिषा-देवेन्द्र शारदा से छोटे से गाँव से वर्ल्ड ब्यूटी कान्टेस्ट तक पहुँचने की कहानी उन्हीं की जुबानी।

कुछ लोग कहते हैं ‘औरत का कोई घर नहीं होता, लेकिन मेरा मानना है कि औरत के बिना कोई घर, घर नहीं होता।’ मैं मोनिषा शारदा बीए, एमए, एलएलबी। मेरी शादी 20 साल की उम्र में बीए होने के साथ ही जयपुर के पास एक छोटे से कस्बे रेनवाल में हुई, जहां मेरी शादी के वक्त सड़कें तक नहीं थीं।

बचपन से ही बड़े शहरों में रहकर हॉस्टल में पली-बढ़ी थी इसलिए ऐसे कस्बे में खुद को ढालना आसान नहीं था, मगर पिता के घर से मैं दो चीजें अपने साथ लाई थी – एक Tolerance (सहनशीलता) व दूसरी Adjustment (सामंजस्य)। इन दोनों चीजों ने मुझे इस छोटे से कस्बे के परंपरागत संयुक्त परिवार में प्यार व सम्मान दिलाया।

शादी के बाद पढ़ाई जारी रखने में मेरा पूरा साथ दिया मेरे पति ने, उन्होंने सही मायने में एक जीवन साथी की तरह मेरी मदद की, हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और मेरे पूरे संघर्ष में एक स्तंभ की तरह मेरे साथ रहे।


परिस्थितियां जितनी ज्यादा आपको तोड़ती है उससे भी ज्यादा वो आपको मजबूत बनाती हैं इसलिए शादी के बाद मुझे जीवन से जो भी मिला मैंने उसे पूरी सकारात्मकता से स्वीकारा और विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को संवारा। शादी के बाद पढ़ाई और बच्चों की परवरिश के साथ मेरी लॉ की डिग्री पूरी की।

इतनी छोटी जगह और सामाजिक दायरों में रहने के बावजूद अपने सपने और इरादों को पूरा करने का मुझ में हौसला और जुनून था। इसलिए मैंने विश्व स्तरीय सौंदर्य प्रतियोगिता Haut Monde Mrs. India Worldwide में भाग लिया और इसके फाइनल तक पहुंचने का मुझे मौका मिला। मुझे यकीन है कि हमारे सभी सपने सच हो सकते हैं अगर हम उन्हें पूरा करने का साहस और माद्दा रखते हैं। बस शर्त ये है कि बहानों की जगह हमारे इरादे मजबूत होने चाहिए।

‘मुश्किलों से कह दो उलझा न करें हमसे
हमें हर हाल में जीने का हुनर आता है।’


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