Aapni Boli

आपाणा बच्चा आपाणों आइनों

आपाणा बच्चा ही आपाणों आइनों है जो आप देवोला वो ही लौट ने आवेला।

खम्मा घणी सा हुक्म आपा हमेशा आपाणी सन्तान सूं चहुंमुखी विकास री उम्मीद करा की वे सब, संस्कार सद्व्यवहार, सेवा भाव, सद्गुणा सूं भरपूर हुवे और ये सब आपाणी संतान में तो खास हुवणा चाहिजै..पर आपाने साथे यों भी विचार करणो चाहिजै कि आपाणे खुद में भी सब गुण है या नहीं..

हुक्म जरा आपा ध्यान देवा तो आपाने खुद ने आश्चर्य हुवेला कि अभी तक वे सब योग्यता और पात्रता खुद में नहीं है कि अन्य लोग आपाणे प्रति आदर- भाव या सत्कारपूर्ण व्यवहार करें। दूजा ने छोड़ो आपाणी जीवन शैली सूं आपाणा घर रा ही असन्तुष्ट है , वाणे खुद ने आपाणा सूं बहुत शिकायत है। जबकि हुक्म जीवन ऐड़ो होवणो चहिजे की सबसूं पेहला आपाणी सन्तान आपाणो नाम लेते ही गर्व री अनुभति कर सकें।

हुक्म बच्चा उपदेशों सूं नहीं उदाहरणों सूं सीखे…बच्चों रो पहलो उदाहरण पंचतन्त्र री कहानियां नही आपा खुद हॉ…क्योंकि वे सबसूं ज्यादा नजदीक आपाणे कने रेहवे। बच्चों रो पहलो विश्वविद्यलय खुद रे परिवार में माता-पिता ही है।

खुद ने बेहतर बणावण वास्ते सबसूं महत्वपूर्ण है विनम्र व्यवहार वाणी में मिठास…हुक्म ज्यों तलवार री कीमत धार सूं हुवे इंसान री कीमत नम्र व्यवहार मधुर बोली सूं हुवे। शब्दों में भी जान हुवे जिणसूं व्यक्तित्व री पहचान भी हुवे। बचपन में पढियोंडो संस्कृत रो एक छंद है कि..

काकः कृष्ण: पिक: कृष्ण: को भेद: पिक-काकयो: ।
वसंत:समये प्राप्ते, काकः काकः पिक: पिक: पिक: ।।

अर्थात- कौवो भी काळो हुवे कोयल भी। दोनों में भेद नजर नहीं आवे पर बसन्त ऋतु आवण पर साफ नजर आ जावे कि कुण कोयल है कुण कौवो। हुक्म जो कर्कश बोले वो कौवो जो मधुर बोले वह कोयल। तय आपाणे करणो है कि आपाने कौवो बणनों है या कोयल..

आपाणे स्वभाव री उग्रता दूषित सोच रो असर ही आपाणे बच्चों पर पड़े। अगर खुद में इण सबरी कमियां है तो सबसूं पेहला स्वयं रे प्रति सजगता री जरूरत है स्वयं ने संस्कारित करण री जरूरत है।

हुक्म एक बच्ची ने स्कूल री मैडम पुछियों बेटा आप क्लास में सभी के साथ इतनी शालीनता सम्मान के साथ कैसे पेश आती हों..?

बच्ची बहुत सुंदर जवाब दियो- इसमें कोई विशेष बात नहीं है मेरे घर मे सभी एक दूसरे के साथ ऐसे ही पेश आते है।

स्वाति ‘सरु’ जैसलमेरिया


Via
Sri Maheshwari Times

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