Personality of the month

समाजजनों के दु:ख के साथी कैलाश नारायण राठी

वे किसी के यहां शादी-विवाह या अन्य किसी खुशी के आयोजन में दिखाई दें या नहीं यह तो जरूरी नहीं लेकिन यदि कोई दु:खद प्रसंग हो, तो वहां उपस्थित न हों यह हो नहीं सकता। आखिर उनका लक्ष्य ही है, अपनों के दु:ख में शामिल होकर उसे बांटकर अपनत्व का संबल देना। यहां हम बात कर रहे हैं, उज्जैन के वरिष्ठ समाजसेवी कैलाश नारायण राठी की, जिनकी पहचान ही समाज में ‘‘दु:ख के साथी’’ के रूप में बन गई है।

वैसे तो उज्जैन के माहेश्वरी समाज में वर्तमान में श्री राठी की पहचान माहेश्वरी सभा सचिव के रूप में हैं, लेकिन यह पद भी उनकी ‘‘दु:ख के साथी’’ वाली छवि के सामने फीका ही पड़ गया। कारण यही है कि गत 5 वर्षों से बिना किसी पद प्रतिष्ठा व लालसा के श्री राठी समाज की सेवा में समर्पित हैं। आपकी विशेषता यह है कि किसी के आत्मिक आमंत्रण के बावजूद भी हो सकता है, वे किसी कारणवश मांगलिक कार्यक्रम में न भी जाऐं लेकिन यदि किसी के यहां कोई दु:खद प्रसंग हुआ है, तो वहां उस परिवार की मदद के लिये पहुंचने वालों में श्री राठी आगे ही रहते हैं। वे अपने 6-7 साथी लक्ष्मी नारायण मूंदड़ा, वीरेंद्र गट्टानी, पुष्कर बाहेती आदि के साथ मिलकर न सिर्फ उस परिवार की यथा संभव हर मदद करते हैं, बल्कि दिवंगत के अंतिम संस्कार तक हर गतिविधि को सुचारू रूप से संपन्न करवाने में अपना योगदान देते हैं। इसमें अर्थी पर लकड़ी कंडे अपने हाथों से जमाने में भी उन्हें कोई संकोच नहीं होता।

छोटे से गांव से उच्च पद की यात्रा:

श्री कैलाश नारायण राठी का जन्म 10 अप्रैल 1955 को स्व.श्री सत्यनारायण व श्रीमती शांतादेवी राठी के यहां ग्राम अवंतिपुर बड़ोदिया जिला शाजापुर में हुआ था। अपने गांव से ही स्कूली शिक्षा प्राप्त कर बी.कॉम. शुजालपुर कॉलेज से किया। फिर उज्जैन के माधव कालेज से वर्ष 1976 में एम.कॉम. की उपाधि प्राप्त की। अपने इस शिक्षाकाल के दौरान छात्र संघ से जुड़े रहकर विद्यार्थियों का नैतृत्व भी किया। इसी वर्ष एम.पी. डेयरी फेडरेशन से सुपरवायजर के रूप में अपने करियर की शुरूआत की। फिर पदोन्नति द्वारा क्रमश: मैनेजर तथा असिस्टेंट जनरल मैनेजर बने और इसी पद पर रहते हुए वर्ष 2015 में जबलपुर से सेवानिवृत्त हो गये। इसके पश्चात श्री राठी का कर्म क्षेत्र या कहें सेवा क्षेत्र उज्जैन ही बन गया। श्री राठी के परिवार में वर्तमान में दो विवाहित पुत्री तथा एक पुत्र है। पुत्र सौरभ हांगकांग में बैंक ऑफ अमेरिका में कार्यरत हैं।

कैलाश नारायण राठी
कैलाश नारायण राठी

समाज की सेवा में सदैव समर्पित:

श्री राठी सिर्फ दु:खद स्थितियों में ही समाजसेवा में सक्रिय नहीं हैं बल्कि उनकी जहां भी समाज को आवश्यकता लगी, वहां वे मौजूद रहते हैं। गत सिंहस्थ महाकुम्भ 2016 में माहेश्वरी समाज द्वारा बाहर से आने वाले समाजजनों की सेवा के लिये मेला क्षेत्र में शिविर लगाया गया था। श्री राठी ने पूरी कुम्भ मेला अवधि में प्रतिदिन प्रात: 8 से रात 10 बजे तक लगातार 14 घंटे समर्पित भाव से अपनी सेवा दी। माहेश्वरी सभा उज्जैन से वर्ष 2016 से ही कार्यकारिणी सदस्य के रूप में सम्बद्ध हैं और वर्तमान में वर्ष 2019 से सचिव के रूप में सेवा दे रहे हैं। धार्मिक गतिविधियों के अंतर्गत चारभुजाजी मंदिर में वर्ष 2016 में आयोजित अधिक मास उत्सव के मुख्य संयोजक रहे। गीता श्याम सत्संग से सम्बद्ध रहकर हर आयोजन में वे सहयोग देते हैं। इसमें वे अपनी भजनों की प्रस्तुति भी देते हैं। श्री राठी भजन भी स्वयं लिखते हैं। श्री राठी की इस सेवायात्रा में धर्म पत्नी शीला राठी भी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सहयोगी बनी हुई हैं।

दु:ख दर्द में भागीदार बनना ही समाजसेवा:

श्री राठी का हर आयोजन में प्रमुख लक्ष्य रहता है, समाज के युवाओं को समाज की मुख्य धारा से जोड़ना। इसके लिये वे व्यक्तिगत संपर्क कर उन्हें बुलाते हैं और उन्हें समाज की जिम्मेदारी सौंपते हैं। उनकी नजर में समाजसेवा क्या है? यह प्रश्न पूछने पर श्री राठी का कहना है कि इसके बारे में जितना कहा जाये कम है। वास्तव में देखें तो हम सभी के दु:ख दर्द में काम आएं। खुशी के पल में न सही लेकिन दु:ख के पल में जरूर शामिल हों। मेरी नजर में तो बस यही समाजसेवा है।


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