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क्या आप वास्तव में हैं स्वस्थ?

कहा गया है, स्वास्थ्य सबसे श्रेष्ठ धन है। आखिर श्रेष्ठ क्यों न हो क्योंकि जीवन की सारी खुशियां ही इसी पर निर्भर हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्वस्थ होने के पैमाने क्या हैं? आइये देखें किसे कहते हैं, वास्तव में स्वस्थ।

अच्छा स्वास्थ्य यानी मानसिक, शारीरक और सामाजिक दृष्टि से पूर्णतया रोगरहित होना। शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ रहना और प्रसन्नता महसूस करना कई बातों पर निर्भर है। प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि जीवन में अच्छे स्वास्थ्य से बेहतर कुछ हो नहीं सकता। अच्छे स्वास्थ्य के अभाव में व्यक्ति खुश और शांत नहीं रह सकता।

स्वस्थ

बुरे स्वास्थ्य वाला व्यक्ति जीवन में सफल नहीं हो सकता। चाहे कितना भी धनवान हो, अच्छे स्वास्थ्य के अभाव में जीवन के आनंद का सुख नहीं उठा सकते। किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य का निर्णय उसके पहनने, खाने या दिखने पर नहीं ले सकते, जब तक कि उसके स्वास्थ्य का परीक्षण नहीं किया जाता।

स्वास्थ्य संगठन के संविधान में स्वस्थ व्यक्ति यानी शारीरिक, मानसिक, सामजिक दृष्टि से ही स्वस्थ होना है। केवल कोई बीमारी नहीं, उसे हम स्वस्थ नहीं कह सकते। महत्वपूर्ण प्रश्न है कि ऐसा कैसे हो सकता है? यदि आपके पास धन है तो उसका उपयोग सामाजिक कार्यों में भी हो और दिमाग भी स्वस्थ हो।

पैसा तो सभी कमाते हैं, किन्तु उसमे का कुछ भाग दूसरों को भी देते हैं, तब आपके पास के धन व आपको समाज में मान्यता मिलती है।


महिलाएँ करवाऐं कुछ परीक्षण

महिलाओं की अच्छी सेहत के लिए कुछ परीक्षण करवाने से 30 से 40 की उम्र में होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।

इसमें पंप स्मियर टेस्ट गर्भाशय कैंसर का पता लगाने के लिए, बीएमआय का शरीर का वजन उसके लम्बाई के अनुपात में कैसा हो इसकी जांच के लिए, लिपिड प्रोफाइल का तनाव भरी जिंदगी में कोलेस्ट्रॉल की जांच तथा अल्ट्रासाउंड का गर्भाशय जांच व ब्लड काउंट टेस्ट को उच्च रक्तचाप से होने वाली बीमारियों का पता लगाने के लिये करवाया जाता है।


सामाजिक पारिवारिक जिम्मेदारी

जीवन में आध्यात्मिकता रखें। नियमित रूप से समाज-परिवार के सुख-दुःख से जुड़े रहें। परिवार में पत्नी व बहु-बच्चों को समय दें। सुन्दर पत्नी और फ़िक्र करने वाला पति मूल आवश्यकता है। परिजनों के प्रति जवाबदारी व समझदारी का व्यवहार करें।

स्वास्थ्य के प्रति ध्यान दें। वर्तमान में मोटापा एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है। अधिक खाना-पीना और काम शारीरिक मेहनत के साथ जंक फूड का चलन मुख्यतः रोग के कारण हैं।

ज्यादा खाना-पीना रहेगा तो डॉक्टर के पास अधिक जाना पड़ेगा। ज्यादा खाने-पीने से उम्र भी घटती है।


मानसिक स्वास्थ्य का भी रखें ध्यान

स्वस्थ

केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक व्यायाम भी जरुरी है। मानसिक व्यायाम में पढ़ना-लिखना, किसी विषय पर स्वस्थ चर्चा करना, दूसरों की बात शांति से सुनना समझना आदि शामिल हैं।

पढ़ना-लिखना कम होते जाने से अल्ज़ाइमर रोग हमारे निकट आते जा रहा है। स्वस्थ रहने के लिये हमारी दिनचर्या व जीवनशैली में उचित परिवर्तन की आवश्यकता है।

अतः आप स्वयं से पूछें कि उपरोक्त मापदंडों के सन्दर्भ में आप स्वस्थ हैं, क्या? उत्तर यदि हाँ में ही हो तो बधाई। अन्यथा अपने पारिवारिक डॉक्टर से विचार-विमर्श करें।

डॉ रामगोपाल तापड़िया, अमरावती


Via
Sri Maheshwari Times

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