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हमारे संस्कार हमारे रीति रिवाज- श्रीमती विष्णुकांता गाँधी

किसी समाज के रीति रिवाज उसके प्राण होते हैं। पुराने समय से चली आ रही परम्पराएँ कुछ वैज्ञानिक कुछ धार्मिक महत्त्व रखती हैं। जिनका निर्वाह करना न सिर्फ हमें हमारी संस्कृति से परिचित करवाता है बल्कि हमारे जीवन को सुन्दर और सुखमय बनाता है।

यह पुस्तक माहेश्वरी समाज में किए जाने वाले रीति रिवाजों और संस्कारों को जीवित रखने एवं अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के माध्यम का कार्य निर्वाह करेगी।


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