तिलस्म तेलम – तिल्ली का तेल
आमतौर पर नाम से आप तिल्ली के तेल को भी अन्य तेलों की तरह खाने का तेल कहकर इतिश्री कर लेंगे। लेकिन वास्तव में यह पृथ्वी का अमृत है या कहे तिलस्म तेलम अर्थात ‘जादुई तेल’। यह वह कर सकता है, जो बड़ी से बड़ी दवाइयां भी नही कर सकती। आइये देखें क्यों है, ये तिलस्म तेलम।
तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर सकता है। प्रयोग करके देखें। आप पर्वत का पत्थर लिजिए और उसमें कटोरी के जैसा गड्डा बना लीजिए। उसमें संसार का कोई सा भी कैमिकल डाल दीजिए, वह पत्थर में वैसा के वैसा ही रहेगा, कहीं नहीं जाएगा। लेकिन, अगर आप ने उस कटोरी नुमा पत्थर में तिल का तेल डालकर, उसे गड्ढे में भर देंगे, 2 दिन बाद आप देखेंगे कि तिल का तेल पत्थर के अन्दर प्रवेश करके उसके नीचे आ जाएगा।
यह होती है तेल की ताकत। इस तेल की मालिश करने से यह हड्डियों को पार करता हुआ, उन्हें मजबूती प्रदान करता है। तिल के तेल के अन्दर फॉस्फोरस होता है जो हड्डियों की मजबूती में अहम भूमिका रखता है।
तिल से उत्पन्न है शब्द ‘‘तेल’’
तेल शब्द की व्युत्पत्ति तिल शब्द से ही हुई है। अर्थात जो तिल से निकलता है, वह है तेल। अर्थात तेल का असली अर्थ ही है ‘तिल का तेल’। इसका सबसे बड़ा गुण यह है कि यह शरीर के लिए औषधि का काम करता है। चाहे आपको कोई भी रोग हो यह उससे लड़ने की क्षमता शरीर में विकसित करना आरंभ कर देता है।
यह गुण पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में नहीं पाया जाता। सौ ग्राम सफेद तिल से 1000 मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त होता है। बादाम की अपेक्षा तिल में छः गुना से भी अधिक कैल्शियम है। काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्त अल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है। तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।
क्यों है यह सर्वोत्तम खाद्य पदार्थ
तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित ‘‘सिस्मोल’’ एक ऐसा एंटी-ऑक्सीडेंट है जो इसे ऊँचे तापमान पर भी बहुत जल्दी खराब नहीं होने देता। आयुर्वेद चरक संहिता में इसे पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल माना गया है। तिल में विटामिन ‘सी’ को छोड़कर वे सभी आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं।
तिल विटामिन-बी और आवश्यक फैटी एसिड्स से भरपूर हैं। इसमें मीथोनाइन और ट्रायप्टोफन नामक दो बहुत महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिड्स होते हैं जो चना, मूँगफली, राजमा, चौला और सोयाबीन जैसे अधिकांश शाकाहारी खाद्य पदार्थों में नहीं होते।
ट्रायोप्टोफन को शांति प्रदान करने वाला तत्व भी कहा जाता है जो गहरी नींद लाने में सक्षम है। यही त्वचा और बालों को भी स्वस्थ रखता है। मीथोनाइन लीवर को दुरुस्त रखता है और कॉलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखता है। तिल बीज स्वास्थ्यवर्द्धक वसा का बड़ा स्त्रोत है जो उपापचय को बढ़ाता है।
स्वास्थ्य के लिये वरदान
यह कब्ज भी नहीं होने देता। तिल बीजों में उपस्थित पौष्टिक तत्व, जैसे-कैल्शियम और आयरन त्वचा को कांतिमय बनाए रखते हैं। तिल में न्यूनतम सैचुरेटेड फैट होते हैं इसलिए इससे बने खाद्य पदार्थ उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकते है। सीधा अर्थ यह है कि यदि आप नियमित रूप से स्वयं द्वारा निकलवाए हुए शुद्ध तिल के तेल का सेवन करते हैं तो आप के बीमार होने की संभावना ही ना के बराबर रह जाएगी।
जब शरीर बीमार ही नही होगा तो उपचार की भी आवश्यकता नही होगी। शुद्धता की पहचान करना मुश्किल होगा। ऐसे में अपने सामने निकाले हुए तेल का ही भरोसा करें।
तिल में मोनो-अनसैचुरेटेड फैटी एसिड (MONO-UNSATURATED FATTY ACID) होता है जो शरीर से बैड कोलेस्ट्रोल को कम करके गुड कोलेस्ट्रोल यानि एच.डी.एल. (HDL) को बढ़ाने में मदद करता है। यह हृदय रोग, दिल का दौरा और धमनी कला काठिन्य (ATHEROSCLEROSIS) की संभावना को कम करता है।
असाध्य रोगों से भी सुरक्षा
तिल में सेसमीन (SESAMIN) नाम का एन्टीऑक्सिडेंट (ANTIOXIDANT) होता है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के साथ-साथ और जीवित रखने वाले रसायन के उत्पादन को भी रोकने में मदद करता है। यह फेफड़ों का कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर और अग्नाशय के कैंसर के प्रभाव को कम करने में बहुत मदद करता है।
इसमें नियासिन (NIACIN) नाम का विटामिन होता है जो तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है। तिल में ज़रूरी मिनरल जैसे कैल्सियम, आयरन, मैग्नेशियम, जिन्क, और सेलेनियम होता है जो हृदय के मांसपेशियों को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है और हृदय को नियमित अंतराल में धड़कने में मदद करता है।
डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी विनायक मिशन यूनवर्सिटी, तमिलनाडु (DEPARTMENT OF BIOTECHNOLOGY AT THE VINAYAKA MISSIONS UNIVERSITY, TAMIL NADU) के अध्ययन के अनुसार यह उच्च रक्तचाप को कम करने के साथ-साथ इसका एन्टी ग्लिसेमिक प्रभाव रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर को 36% कम करने में मदद करता है जब यह मधुमेह विरोधी दवा ग्लिबेक्लेमाइड (GLIBENCLAMIDE) से मिलकर काम करता है। इसलिए टाइप-2 मधुमेह (TYPE 2 DIABETIC) रोगी के लिए यह मददगार साबित होता है।
बच्चों के स्वास्थ्य का वरदान
शिशु की हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। तिल में डायट्री प्रोटीन और एमिनो एसिड होता है जो बच्चों की हड्डियों के विकसित होने में और मजबूती प्रदान करने में मदद करता है। उदाहरणस्वरूप, 100 ग्राम तिल में लगभग 18 ग्राम प्रोटीन होता है, जो बच्चों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी होता है।
तिल में फोलिक एसिड होता है जो गर्भवती महिला और भ्रूण के विकास को स्वस्थ रखने में मदद करता है। अध्ययन के अनुसार तिल के तेल से शिशुओं की मालिश करने पर उनकी मांसपेशियाँ सख्त होती हैं। साथ ही उनका अच्छा विकास होता है। इस तेल से मालिश करने पर शिशु आराम से सोते हैं।
कई समस्याओं में भी चमत्कारी
दूध की तुलना में तिल में तीन गुना कैल्शियम रहता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन-बी और ई, आयरन और ज़िंक, प्रोटीन की भरपूर मात्रा रहती है और कोलेस्ट्रॉल बिल्कुल नहीं रहता है। तिल का तेल ऐसा तेल है, जो सालों तक खराब नहीं होता है, यहाँ तक कि गर्मी के दिनों में भी वैसा की वैसा ही रहता है। तिल का तेल कोई साधारण तेल नहीं है। इसकी मालिश से शरीर को काफी आराम मिलता है। यहां तक कि लकवा जैसे रोगों तक को ठीक करने की क्षमता रखता है। इससे अगर महिलाएं अपने स्तन के नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें, तो स्तन पुष्ट होते हैं।
सर्दी के मौसम में इस तेल से शरीर की मालिश करें, तो ठंड का एहसास नहीं होता। इससे चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं। यह चेहरे की सुंदरता एवं कोमलता बनाये रखेगा। यह सूखी त्वचा के लिए उपयोगी है। तिल का तेल विटामिन-ए व ई से भरपूर होता है। इसे हल्का गर्म कर त्वचा पर मालिश करने से निखार आता है।
अगर बालों में लगाते हैं, तो बालों में निखार आता है, लंबे होते हैं। जोड़ों का दर्द हो, तो तिल के तेल में थोड़ा सा सोंठ पावडर, एक चुटकी हींग पावडर डाल कर गर्म कर मालिश करें। तिल का तेल खाने में भी उतना ही पौष्टिक है विशेषकर पुरुषों के लिए। हमारे धर्म में भी तिल के बिना कोई कार्य सिद्ध नहीं होता है, जन्म, मरण, यज्ञ, जप, तप, पित्र, पूजन आदि तिल और तिल का तेल के बिना संभव नहीं है। अतः इस पृथ्वी के अमृत को अपनावे और जीवन को निरोगी बनायें।