छुट्टियों की भी करें प्लानिंग
मई का महीना आ गया। पढ़ने वाले बच्चों को इस महीने का बड़ा इंतजार रहता है और आने की खुशी भी बहुत होती है। स्कूल की छुट्टियां जो होती हैं। निश्चित यह आनंद का समय है पर साथ ही ये कुछ बनने और कुछ कर गुजरने के दिन भी होते हैं। छुट्टियों की भी करें प्लानिंग।

छुट्टियों का इंतजार कितना भी रहे पर चार छह दिन बाद गाना शुरू हो जाता है कि हम बोर हो गये। निश्चित दिनचर्या के अभाव में ये बड़ा स्वाभाविक भी है, इसलिये घर के बड़ों को चाहिये कि छुट्टियां लगने से पूर्व ही छुट्टियों के समय का सुंदर प्रबंधन करें।
पहले छुट्टियों के नियोजन हेतु विशेष परिश्रम की आवश्यकता नहीं होती थी क्योंकि छुट्टियां लगते ही बच्चे नाना-दादा के घर चले जाते थे और फिर हम उम्र चचेरे ममेरे भाइयों के साथ खाते-खेलते, लड़ते-झगड़ते, सामाजिक सद्भाव के बीच लड़ियाते हुए महीना कहां गुजर जाता पता ही नहीं चलता, परंतु अब पारिवारिक सामाजिक ढांचा रफ्तार से बदलता जा रहा है। अत: परिश्रम पूर्वक नियोजन आवश्यक है।
वर्ष भर से बच्चो की रूचियों पर ध्यान रखते रहिये और उनकी क्षमता के अनुरूप रूचियां लगाते रहिये। आजकल छुट्टियों में बहुत सी हॉबी क्लासेस चलती हैं। उनके बारे में छुट्टियाँ शुरू होने से पहले ही पता लगाते रहिये। बच्चों को इनमें अवश्य भेजिये। अभी बच्चों के पास बहुत समय होता है इसलिये कई क्लासों में भेजिये बाद में जिसमें बच्चे की अधिक रूचि एवं दक्षता नजर आये उसमें फिर पूरे साल भेजते रहें।
पढ़े बिना व्यक्तित्व का विकास कभी संभव नहीं होता। साल भर बच्चे जो पढ़ते हैं वह उनके विशिष्ट विषयों का अध्ययन होता है और मात्र परीक्षा केंद्रित होता है। छुट्टियों में बच्चों को अच्छी स्टोरी, बुक्स, ज्ञानप्रद प्रेरणादायक किताबें और जीवनियाँ नियमित रूप से पढ़ायें। इससे उनके व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास होगा। सामाजिक संस्थाओं को इस तरह की ज्ञानवर्धक प्रतियोगिताएं भी आयोजित करनी चाहिये। आप भी अपने गली, मोहल्ले, कालोनी, वृहद परिवार, सोसायटी में ऐसी प्रतियोगिता करवाते रहें।
महिलायें भी साल भर रूटिन स्कूल और बच्चों की पढ़ाई में व्यस्त रहती हैं। एकरस जीवन थोड़ा ऊबाऊ भी लगने लगता है, जीवन में कुछ हट कर करने और पुन: तरोताजा होने के लिये उन्हें भी इन छुट्टियों में शोकिया तौर पर कुछ नया सीखना चाहिये या पुरानी कलाओं को फिर से शुरु करना चाहिये।
बाद में परेशान होकर ये शिकायत न करना पड़े कि दिन रात बच्चे बस टीवी, मोबाईल पर लगे रहते हैं इसलिये पहले ही छुट्टियों की परफेक्ट प्लानिंग करने में लग जाइये।