समाजसेवा के ‘हमसफर’ पुंगलिया दंपत्ति
बालोतरा (राजस्थान) निवास जगदीशप्रसाद व उषादेवी पुंगलिया ऐसे जीवन साथी हैं, जिन्होंने जीवन के हर मोड़ पर हमसफर की तरह मिलकर यात्रा की। पुंगलिया दंपत्ति की आदर्श दिनचर्या यदि मिसाल है, तो समाजसेवा भी। यह आश्चर्यजनक ही कहा जा सकता है कि दोनों एक ही समय लगातार 10 वर्षों तक समाज संगठन में अध्यक्ष रहे। एक ने माहेश्वरी समाज की बागडोर संभाली तो दूसरे ने महिला संगठन की।
जगदीश प्रसाद पुंगलिया
जगदीश प्रसाद पुंगलिया का जन्म 21 सितंबर 1950 में राजस्थान में पाकिस्तान बॉर्डर के पास पनोरिया गांव में हुआ। बचपन से ही मेधावी छात्र रहे। स्काउट में उन्हें मोरारजी देसाई, लालबहादुर शास्त्री, डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिला कलेक्टर सहित कई गणमान्य हस्तियों द्वारा सम्मानित किया गया।
सामाजिक माहौल परिवार से ही मिला। उनके पिताजी श्रीराम पुंगलिया ने 16 वर्षों तक सरपंच पद पर रहकर कर्मठता व ईमानदारी से पदभार संभाला। श्री पुंगलिया ने शहर में आकर इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी की एवं अपना व्यापार भी। व्यापारी वर्ग में भी खूब प्रतिष्ठा पाई।
43 वर्ष की उम्र में समाज में 5 वर्ष के लिए सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद पर चुने गए। समाज में भवन निर्माण किया एवं कई सामाजिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर प्रतिष्ठा पाई। उनके कार्यों को देखते हुए समाज द्वारा उन्हें फिर 5 वर्ष के लिए अध्यक्ष पद सर्वसम्मति से सौंपा।
इसके साथ ही लायंस क्लब में 10 वर्ष सेवाएं देकर कई सम्मानों से सम्मानित हुए। आदर्श विद्यालय में भी 8 वर्ष अध्यक्ष पद संभाल शिक्षा प्रणाली एवं तकनीकी शिक्षा में बहुत सुधार किया। गरीब बच्चों की शिक्षा मदद में सदैव आपकी सेवाएं सराहनीय रही। गौसेवा में भी आपने बहुत सी संस्थाओं में सेवाएं दीं।
वर्तमान में पैतृक गांव में हर साल आई केम्प लगवाकर वहां के स्थानीय लोगों की मुफ्त जांच, चश्मे बनवाना, आंखों संबंधी कोई भी बीमारी का इलाज एवं ऑपरेशन करवाने का पूरा कार्य भार संभालते हैं।
विपश्यना में अपने आपको धर्म राह में जोड़कर जीवन के सत्य से रूबरू हो अपना जीवन यापन कर रहे हैं। वर्तमान में एक पुत्र प्रवीण पुंगलिया, दो विवाहित पुत्रियां सीता डागा व स्वाति जैसलमेरिया सहित पौत्र-पोत्रियों व दोहिते-दोहित्री का भरापूरा परिवार है।
उषादेवी पुंगलिया
मनुष्य के जीवन में सफल असफल होना उसकी सोच पर निर्भर करता है। सकारात्मक ऊर्जा से ओत-प्रोत उषादेवी का जन्म महाराष्ट्र के पूना शहर में संपन्न एवं आध्यात्मिक परिवार में श्रीमूलचंद चांडक के यहां 27 नवंबर 1952 में हुआ।
बचपन से ही मराठी भाषा में शिक्षा प्राप्त कर मेधावी छात्रा के रूप में अपना नाम प्रथम श्रेणी में दर्ज करवाते हुए दसवीं बोर्ड परीक्षा में गोल्ड मेडल प्राप्त कर परिवार का नाम रोशन किया। बड़े शहर में परवरिश के बाद उषादेवी का विवाह राजस्थान में छोटे से गांव में हुआ।
यहां तालमेल बिठाना चुनौतीपूर्ण तो था पर सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ परिवार में अपनी जिम्मेदारी बहुत संजीदगी पूर्वक निभाते हुए अपने पारिवारिक दायित्व को बखूबी निभाया। आप समाजसेवा में सदा रुचि लेती है। आपकी सक्रियता को देखते हुए माहेश्वरी महिला मंडल बालोतरा ने सर्वसम्मति से 5 वर्ष के लिए अध्यक्ष चुना।
महिला मंडल में कई सामाजिक सांस्कृतिक कार्य संपन्न किए। उषा देवी की विलक्षण प्रतिभा को देखते हुए पुनः 5 वर्षों के लिए सर्वसम्मति से अध्यक्ष का भार सौंपा। इसके साथ लायंस क्लब में भी अध्यक्ष पद पर कई सामाजिक कार्य किये एवं कई सम्मानों से सम्मानित हुईं।
कई स्कूलों में बतौर अध्यक्ष पद पर आमंत्रित हुईं। कई स्कूलों में बच्चों की शिक्षा हेतु मदद की। आपने भी 48 वर्ष पूर्व विपश्यना साधना में अपना कदम रख दिया व अब तक करीब 50 से अधिक कोर्स कर कई स्थानों में निःशुल्क सेवाएं देती रही हैं।
इसमें जोधपुर की जेल, ब्यावर, बाड़मेर, बालोतरा आदि कई जगह अपनी सेवाएं दी हैं। उनका कहना है,
मैं योगा मेडिटेशन नित्य करती हूं। विपश्यना मेरे लिए टॉनिक है।