गरीबों के मसीहा पुरुषोत्तम सोमानी
निजामाबाद। कोरोना वायरस महामारी की इस संकट की घड़ी में लॉकडाउन के दौरान कोई भी व्यक्ति खाली पेट न सोए इस बात को ध्यान में रखते हुए निजामाबाद शहर के प्रमुख समाजसेवी पुरुषोत्तम सोमाणी आगे आए हैं।
मानव सेवा ही माधव सेवा के अनुरूप सोमाणी बीते 29 मार्च से शहर के गरीब जरूरतमंद लोगों की भूख मिटाने के लक्ष्य से जिस किसी भी व्यक्ति के पास सरकारी राशन कार्ड नहीं है और जिसे कोई सहायता नहीं मिल रही, ऐसे स्थानीय मजदूर व प्रवासी मजदूरों में 5 किलो चावल बैग का वितरण (सोमाणी प्रतिष्ठान पर) कर रहे हैं। इसी प्रकार निजामाबादवासियों के राजनीतिक पार्टियों के पार्षदों व मेयर नीतू किरण द्वारा अपने-अपने डिवीजनों में 5 किलो चावल के बैगों का वितरण करवा रहे हैं। पुरुषोत्तम सोमानी ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि अपनी शक्ति के अनुसार जितना हो सके, उतना संकट की घड़ी में जरूरतमंदों की सहायता करने के लिए सदा आगे रहना मानव जाति का परम कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि ऐसे कठिन दौर में अपने आसपास रहने वाले सभी जरूरतमंदों की भूख मिट सके इस पर ध्यान देना अतिआवश्यक है। उन्होंने बताया कि जब किसी भी गरीब परिवार में कोई बीमार हो जाता है, तो दवाओं का खर्च उठा पाना आम व्यक्ति के बस का रोग नहीं होता और इससे पीड़ित तिल तिलकर दम तोड़ देता है। उन्होंने दवाओं पर खुली लूट के खिलाफ एक ऐसा जन अभियान चलाया, जिसके सामने सरकार को भी झुकना पड़ा और यह बात उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचायी। सोमाणी के प्रयत्नों से ही आज कैंसर दवाईयों पर 90 प्रतिशत तक दाम कम हुए हैं। उनका दावा है कि 26 लाख इससे कैंसर से लाभान्वित हो रहे हैं। उनका अगला निशाना अन्य दवाओं के मूल्यों को भी नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना है। आज राशन से ज्यादा दवाई का खर्च अधिक होने से गरीब मध्यम वर्ग परिवारों का जीवन मुश्किल हो गया है।
सोमानी जनहित के मसीहा:
पुरुषोत्तम सोमानी जनहित के मुद्दों को लेकर न सिर्फ मुखर रहे, आवश्यकता पड़ने पर कई बार आंदोलन करने में भी कभी पीछे नहीं रहे। वर्ष 1999 में निजामाबाद चेंबर ऑफ कॉमर्स के संस्थापक अध्यक्ष के कार्यालय में नांदेड़ जिले के मुदखेड रेलवे स्टेशन से बलराम तक मीटर गेज से ब्रॉडगेज में परिवर्तन के मुद्दे को लेकर उनके नेतृत्व में बंद, रेल रोको आंदोलन तथा 8 दिवस आमरण भूख-हड़ताल का आयोजन किया गया। आंदोलन सफल हुआ और आखिरकार सरकार को गेज परिवर्तन करने हेतु 150 करोड़ की राशि योजना को स्वीकृति देनी ही पड़ी और मीटरगेट ब्रॉडगेज बनाने के साथ ही ब्रॉडगेज सोमाणी के नाम से आज भी प्रसिद्ध है।
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