श्री अ.भा. माहेश्वरी सेवा सदन की विकास यात्रा
श्री अभा माहेश्वरी सेवा सदन वर्तमान में सेवा का वटवृक्ष बन चुका है। यह विभिन्न प्रमुख धार्मिक स्थलों पर अपने सेवा भवनों के माध्यम से घर से दूर घर जैसी आवास सुविधा तो दे ही रहा है, इसके साथ ही अन्य कई सेवा प्रकल्पों का संचालन भी कर रहा है। आइये जानें अभा माहेश्वरी सेवा सदन की शून्य से शिखर की विकास यात्रा।
माहेश्वरी समाज के कर्मठ समाजबन्धुओं द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तीर्थराज पुष्कर में कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को भरने वाले मेले, तीर्थगुरु स्थल पर वहाँ आने वाले सभी बन्धुओं द्वारा दर्शन एवं परिवार के किसी सदस्य के निधन के बाद पिण्डदान हेतु निरन्तर आने के कारण अपने भवन की आवश्यकता महसूस की गई।
इसी उद्देश्य को लेकर समाज के मनीषियों द्वारा एक साथ बैठकर संवत् 2025 सन् 1969 में अ.भा. माहेश्वरी सेवा सदन की स्थापना की गई, जिसमें प्रथम चरण में 17 कमरों का निर्माण किया गया और एक छोटी सी धर्मशाला के रूप में विधान बनाकर उसके अनुरूप कार्य करने लगे। लोगों में इतना उत्साह, आस्था एवं सम्मान रहा कि कमरा नहीं मिलने पर खुले आसमान के नीचे रात्रि विश्राम करके भी अपने आपको गौरवान्वित महसूस करने लगे। उसी का परिणाम रहा कि सेवा-भाव, त्याग, समाज के प्रति समर्पण से भामाशाहों एवं सम्पूर्ण समाज के सहयोग से दिन प्रतिदिन सेवा-सदन का विस्तार होने लगा।
वर्तमान में सेवा भवनों की श्रृंखला
समाज के भामाशाहों के सहयोग से निर्मित सेवा सदन की आज 9 शाखाएं पुष्कर, वृन्दावन, हरिद्वार, बद्रीनाथ, नाथद्वारा, चारभुजा, रामदेवरा, जतीपुरा, जोधपुर में है जिसमें 900 से अधिक कमरें, 26 हॉल, 13 भोजनशाला, मन्दिर, औषधालय एवं खुला क्षेत्र आदि से सेवा सदन के भवन राष्ट्रीय स्तर पर समाज को गोरवान्वित कर रहे हैं।
भामाशाहों के साथ-साथ लाखों समाजबन्धुओं के समर्पित सहयोग से सेवा-सदन को वटवृक्ष बनाने में अब तक के सभी मार्गदर्शक, ट्रस्टीगण, पदाधिकारियों, कार्यकारिणी सदस्यों, विशेष आमंत्रित सदस्यों एवं आजीवन सदस्यों का समय-समय पर भरपूर योगदान रहा। इसके परिणाम स्वरूप सेवा-सदन में यात्रियों के आवागमन तथा प्रतिवर्ष सैंकड़ों मांगलिक एवं धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित हो रहे है।
सर्व सुविधायुक्त आवास व्यवस्था
आज सेवा-सदन की शाखाओं में प्रतिवर्ष लाखों यात्रियों का आवागमन होता है। यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुये सेवा-सदन की सभी शाखाओं में सुपर डीलक्स, डीलक्स, ए.सी., कूलरयुक्त, साधारण कमरे, ए.सी. एवं साधारण हॉल, ए.सी. व कूलरयुक्त भोजनशालाएं उपलब्ध हैं।
जरूरतमन्दों हेतु आवश्यकतानुसार न्यूनतम सहयोग में भी कमरा उपलब्ध है तथा शुद्ध सात्विक भोजन की व्यवस्था भी है। सेवा-सदन में हर वर्ग के बन्धुओं हेतु आवास एवं मांगलिक कार्यक्रमों हेतु यथोचित व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं। वर्तमान में इन सभी भवनों में ऑनलाईन कमरों का आरक्षण करवाया जा सकता है।
सेवा के वृहद आयाम
इतना ही नहीं सेवा सदन द्वारा समाजोत्थान में विधवाओं एवं असहायों को प्रतिमाह सहायता के रूप में 1000 रुपया मासिक सहायता भी दी जा रही है और तृतीय कन्या जन्म प्रोत्साहन, अन्नक्षेत्र, आयुर्वेदिक औषधालय, शिक्षा सहयोग, अन्नक्षेत्र एवं वृद्धाश्रम आदि योजनाएं भी संचालित की जा रही हैं।
जोधपुर में रोगी सहयोगी सेवा केन्द्र – ‘‘आरोग्य भवन’’ का निर्माण किया गया है। यहाँ अस्पतालों में आने वाले जरूरतमन्द रोगियों एवं उनके सहयोगियों को प्राथमिकता से भवन में न्यूनतम सहयोग-राशि पर आवास एवं भोजन की सुव्यवस्था रहती है।
विस्तार की श्रृंखला सतत जारी
समाजजनों की भारी मांग एवं समयानुसार आवश्यकताओं के अनुरूप आधुनिकतम सुविधाओं से सुसज्जित नवीन श्रीनाथ भवन भी 27 जनवरी, 2021 को भारत सरकार के लोकसभा अध्यक्ष ओमकृष्ण बिड़ला के कर-कमलों से समाज को समर्पित किया गया। यह भवन आज की युवा पीढ़ी की आवश्यकताओं के अनुरूप बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा।
युवा पीढ़ी भी समाज के इस आधुनिकतम भवन में आवास करने हेतु आकर्षित होगी। इसी प्रकार जगन्नाथपुरी में 44 हजार स्क्वायर फीट क्षेत्रफल में लगभग 1 लाख वर्ग फुट निर्माण कार्य करवाने की कार्ययोजना है। जिसमें 130 कमरे 7 हजार वर्गफीट का हॉल व 2 भोजनशालाएं बनाने की योजना है।
निर्माण हेतु विभागीय स्वीकृति प्राप्त होते ही निर्माण कार्य प्रारम्भ किया जाना है। नाशिक में भी सेवा-सदन के भूखण्ड पर शीघ्र ही भव्य-भवन निर्माण प्रारम्भ करवाया जाना प्रस्तावित है। मास्टर प्लॉन के अनुसार स्वीकृति प्राप्त होते ही आधुनिकतम सुविधाओं से सुसज्जित कमरें, हॉल, भोजनशाला आदि का निर्माण करवाया जाना सुनिश्चित है।
सभी के सहयोग ने दिलाया आयाम
सेवा-सदन भामाशाहों और दानदाताओं एवं सदस्यगण एवं मांगलिक कार्यक्रम व यात्रियों के अटूट विश्वास के कारण इतना बड़ा प्रकल्प हो गया है। इसे व्यवस्थित चलाने के लिए समय देने वाले व्यक्तियों की विशेष आवश्यकता रही है, जो सदन को अपना अमूल्य समय देते हुए आगामी सैंकड़ों वर्षों की सोच के साथ भावी योजनानुरूप कार्य कर सकें।
सेवा-सदन के स्थापना काल से सेवा एवं समर्पित भावों से समाज-हितार्थ निरन्तर सेवा-कार्य संपादित हुए हैं, समय-समय पर राष्ट्र हितार्थ जैसे आपदा के समय सेवा-कार्य, होनहार बच्चों हेतु करियर गाईडेंस शिविर आदि कार्य निरन्तर संपादित किये जाते रहे हैं। इसी कारण सेवा सदन का राष्ट्र निर्माण में भी बहुत बड़ा योगदान है।
हमारा माहेश्वरी समाज आज बहुत प्रगतिशील है तो इसका श्रेय समाज के उन बुद्धिजीवी लोगों को जाता है जो समाज के लिए अपना पूरा जीवन दे रहे हैं। मेरा उन महान लोगों को नमन और सादर ।। जय महेश।।
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