श्मशान को भी संवारती समाजसेवी- स्नेहा मूंधड़ा
‘‘समाजसेवा’’ वास्तव में अर्न्तगमन से उत्पन्न हुई परम मानवीय भावना है, जिसका स्वार्थ से कोई सरोकार नहीं होता। अमरावती निवासी स्नेहा मूंधड़ा ऐसी ही सेवा भावना से ओतप्रोत हैं, जिसके चलते वे महिला होकर भी श्मशान तक को संवारने में भी पीछे नहीं हैं।
अमरावती में श्री लक्ष्मीनारायण व सरस्वतीदेवी चांडक के यहाँ 1962 में जन्मी व यहीं पर निवास कर रही समाज सेवी राजू मूंधड़ा की धर्मपत्नी स्नेहा मूंधड़ा वास्तव में तो बी.एच.एम.एस. उपाधिधारी एक प्रतिष्ठित होम्योपैथिक चिकित्सक रही हैं। लेकिन इसके बावजूद श्रीमती मूंधड़ा की पहचान एक ऐसी समाजसेवी के रूप में अधिक है, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन ही मानवता को समर्पित कर दिया है।
चिकित्सा के क्षेत्र में भी प्रभात कालोनी के गजानन महाराज मंदिर में करीब 8 वर्ष उन्होंने नि:शुल्क होमिओपॅथी चेरिटेबल दवाखाना चलाया, जहां वे दवाईयाँ भी स्वयं के खर्च से देती थीं। वहां पर इस तरह उन्होंने बहुत से रोगियों का नि:शुल्क इलाज किया। वर्तमान में उनके परिवार में 2 बेटियां हैं और दोनों का विवाह हो चुका है।
श्मशान को भी बनाया स्वच्छ स्थान
इसे आश्चर्यचकित करने वाला कार्य ही कहा जाना चाहिये कि वे श्मशान में भी सेवा दे रही हैं। आप गत सात वर्षों से अमरावती के हिंदू श्मशान में अपनी संस्था के माध्यम से प्रत्येक रविवार को जाकर वहां साफ-सफाई करती हैं। इसमें करीब-करीब दो से तीन घंटे वहां अपनी सेवाएं देती हैं।
यह कार्य निश्चित ही महिलाओं हेतु अलग सा है। चुंकि महिलाओं में श्मसान नाम से ही डर बना रहता है, वहां जाना तो दूर की बात है। किंतु वे यह कार्य गत 7 वर्षों से निरंतर करती आ रही हैं। अब इस कार्य में संस्था द्वारा वेतन पर रखे कर्मचारी भी सहयोग दे रहे हैं।
पति बने सेवा पथ की प्रेरणा
वैसे तो मानवता की सेवा की कोमल भावना श्रीमती मूंधड़ा को प्रकृति प्रदत्त रूप से मिली लेकिन विवाह के बाद पति ने उनकी इस भावना को पंख लगाने में सहयोग दिया। उनके पति के रोटरी कार्यकाल में वर्धा से मेमोग्राफी बस आयी थी। उसका एक माह का संचालन उन्होंने ही किया था।
यह बस अमरावती के साथ पूरे अमरावती जिले में भी गयी थी। इसको इतनी लोकप्रियता मिली कि उस एक माह की वजह से रोटरी क्लब ऑफ अमरावती मिडटाऊन द्वारा अमरावती में ही सवा करोड़ की लागत से यह बस बनाई गयी।
गत 3 वर्षों से रोटरी डिस्ट्रीक्ट जो नासिक से नागपुर तक रहता है, उसकी कार्यकारिणी में वे हिस्सा हैं। साथ ही रोटरी का डायलिसिस प्रोजेक्ट जिसमें केवल 400 रुपये में डायलेसिस होता, उसमें भी उनका सक्रिय योगदान है।
सेवा के चहुँमुखी आयाम
इसी प्रकार उनके ससुर स्व. श्री कमलकिशोर मुंधड़ा की स्मृति में रितपुर आयोजित 2019 के भव्य मेडिकल कैंप में उनका सक्रिय सहभाग रहा है। इस कैंप में अमरावती के नामी या यूं कहे एमडी लेवल के 45 डॉक्टरों ने अपना सहयोग दिया था। यह आज तक का अमरावती जिले का सबसे बड़ा मेडिकल शिविर था।
उसी प्रकार उसी समय वहां पर इनके मार्गदर्शन में आदिवासी आश्रम शाला को वॉटर कुलर, नए कपड़े, ब्लैंकेट, स्टील थालियां सहित करीबन 3 से 4 लाख की सामग्री वितरित की गयी। स्वस्तिक माहेश्वरी मंडल अमरावती में एक क्षेत्रीय मंडल है। इसमें हाल ही में उन्होने अध्यक्ष का कार्यभार संभाला।
आमतौर पर इस तरह के मंडल में संस्कृति से जुड़े हुए कार्य होते हैं। किंतु उन्होंने अपने अध्यक्ष काल में हटकर प्रकल्प लिए। जिसमें महिलाओं हेतु मेमोग्राफी कैंप, सदस्य एवं परिवार हेतु मेडिकल चेकअप कैंप, सदस्यों में सकारात्मक सोच आए इस हेतु नागपुर, जलगांव आदि से विभिन्न वक्ता बुलाकर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया।