देश की शीर्ष कार्यपालिका के अध्यक्ष बने ओम बिड़ला
माहेश्वरी में प्रबंधन की विलक्षण क्षमता है। लगता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी समाज की इसी क्षमता को पहचान कर देश के इतिहास में प्रथम बार ‘माहेश्वरी’ को लोकसभा अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी सौंपी है। कोटा के सांसद ओम बिड़ला देश में राजस्थानी मूल से भी लोकसभा अध्यक्ष बनने वाले प्रथम व्यक्ति है। जैसे ही यह खबर राजस्थानी समाज व कोटा में पहुंची, लोग ख़ुशी से झूम उठे।
कोटा-बूंदी से लगातार दूसरी बार सांसद बने ओम बिड़ला को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए राजग ने उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने गत 18 जून को ही अपनी दावेदारी का नोटिस लोकसभा सचिवालय को सौंप दिया। वे राजस्थान मूल के पहले सांसद होंगे जो स्पीकर बने। इससे पहले बलराम जाखड़ 1984 में सीकर से जीतकर लोकसभा अध्यक्ष बनने थे। सूत्रों के मुताबिक 13 प्रस्तावकों ने बिड़ला के लिए समर्थन पत्र दिया। अगले दिन हुए चुनाव में श्री बिड़ला निर्वाचित घोषित किये गए। उनके प्रस्तावकों में पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ लोजपा, बीजद, शिवसेना, अकाली दल आदि के नेता शामिल है। बिड़ला को उम्मीदवार बनाये जाने से पूर्व कई वरिष्ठ नेताओं का नाम सुर्ख़ियों में था। लेकिन एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने चौकाने वाला फैसला लिया। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के संसदीय बोर्ड में बिड़ला को लोकसभा अध्यक्ष बनाए जाने का फैसला कर लिया गया था लेकिन इस फैसले की जानकारी 18 जून को सुबह ही दी गई।
पूरा परिवार भी आश्चर्यचकित:
ओम बिड़ला की पत्नी डॉ अमिता बिड़ला ने बताया की सुबह करीब साढ़े आठ बजे अचानक श्री बिड़ला ने उन्हें बताया की उन्हें लोकसभा पहुँचना है और वहाँ से उन्हें लोकसभा अध्यक्ष बनाया जा रहा है। सुनकर डॉ अमिता चौंक गई। उन्होंने कहा ऐसा कुछ आभास तो था की कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है, लेकिन इस पद के बारे में कभी ओम बिड़ला ने जिक्र नहीं किया। तब सुनकर लगा भी नहीं की यह इतनी बड़ी जिम्मेदारी है।
फिर जैसे-जैसे परिवार को बताया तो सभी चकित रह गए। दिन में लोगों की प्रतिक्रिया आने के बाद लगा की काफी बड़ी जिम्मेदारी मिली है। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए श्री बिड़ला के परिजनों ने दिल्ली के लिए देहरादून से स्पेशल बोगी करवाई। इसमें 72 सीटों की बुकिंग परिजनों ने करवाई थी। परिजन कोटा से रवाना हो गए।
पूरे शहर में मना जश्न:
18 जून की सुबह शिक्षा नगरी कोटा के लिए बड़ी खबर ले आई। कोटा-बूंदी के सांसद ओम बिड़ला को लोकसभा अध्यक्ष बनाने की खबर कोटा पहुँचते ही कार्यकर्ताओं ने उत्सव मानना शुरू कर दिया। शहर भर में आतिशबाजी का दौर शुरू हो गया, जो दिनभर चलता रहा। लोग मिठाइयां बाटकर एक दुसरे को बधाइयाँ दे रहे थे। बिड़ला के शक्ति नगर स्थित आवास के बाहर तो ऐतिहासिक माहौल था।
कार्यकर्ताओं का उत्साह ऐसा था की लगातार तीन घंटों तक फटाकों की गूँज रही। कोई लड्डू खिला रहा था तो कोई गले मिलकर एक-दुसरे को बधाई दे रहा था। शहर मंत्री जगदीश जिंदल ने बताया की इसके अलावा करीब 100 कार्यकर्त्ता अलग अलग ट्रेनों से और इतने ही कार्यकर्त्ता निजी वाहनों से दिल्ली के लिए रवाना हुए। दिल्ली में भी एक दर्जन होटलें बुक करवाई गई।
बिड़ला परिवार ने लिया पिताजी का आशीर्वाद:
लोकसभा अध्यक्ष बनाए जाने की सूचना मिलने पर सुबह 10 बजे श्री बिड़ला के पिता श्रीकृष्ण बिड़ला परिवारजनों के साथ शक्तिनगर स्थित आवास पर आ गए। यहाँ पहले से मौजूद बड़े भाई राजेश और हरिकृष्ण बिड़ला ने उनका आशीर्वाद लिया और परिवार के महिलाओं ने मंगल गीत गाकर मुँह मीठा कराया। ओम बिड़ला की तीनो बहने उषा न्याति, निशा मरचूनिया तथा दिशा काबरा भी पहुँच गई थी और भाई की सफलता पर ख़ुशी में झूम रही थी।
उल्लास के इस माहौल में छोटे बच्चे अपने आपको रोक नहीं पा रहे थे और ओम बिड़ला जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। दोपहर एक बजे तक सैकड़ों की संख्या में कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र से कार्यकर्त्ता पहुँच गए थे। दूरदराज से आने वाले कार्यकर्ताओं के लिए नाश्ते की व्यवस्था थी। छोटे भाई नरेंद्र बिड़ला परिवारजनों को दिल्ली ले जाने की तैयारी में जुटे हुए थे।
छात्र राजनीति से शुरुआत:
राजनीती में अलग पहचान रखने वाले कोटा-बूंदी सांसद ओम बिड़ला ने छात्र राजनीति से जो सफर शुरू किया था, आज एक बड़े पड़ाव पर पहुंच गया है। श्री बिड़ला ने राजनैतिक जीवन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गुमानपुरा(मल्टीपर्पज़ स्कूल) से प्रारम्भ किया। 1977 में पहली बार छात्रसंघ अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
इसके बाद लगातार राजनीती में सफलता के एक-एक पायदान चढ़ते गए। कॉमर्स कॉलेज से भी संयुक्त सचिव रहे। मोर्चा से सम्बद्ध होकर आज भी बिड़ला युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते है। मोर्चा के कोटा अध्यक्ष रहे। फिर लम्बे समय तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। इसके बाद मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे। तब एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।
सहकारिता को लाभदायक बनाया:
ओम बिरला के पिता श्रीकृष्ण बिड़ला सहकारी नेता थे और प्रदेश की सबसे पुरानी कोटा कर्मचारी सहकारी समिति (सभा नम्बर 108) के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे। पिता से श्री बिड़ला ने सहकारी संस्थाओं को कैसे सुव्यसस्थित संचालित करना है, यह सीखा। राज्य सरकार ने कोटा सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार को लगातार घाटे के चलते बंद न करने का ऐलान कर दिया।
श्री बिड़ला 1989 में भंडार के अध्यक्ष बने। उन्होंने अपने कुशल प्रबंधन से मात्र दो साल में घाटे में चल रहे भंडार को लाभ में ला दिया, जो आज भी लाभ से संचालित है। श्री बिड़ला के सहकारी कॉन्सेप्ट को प्रदेश भर में लागू किया गया। बिड़ला फिर राजस्थान सहकारी उपभोक्ता भंडार के और फिर राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ नई दिल्ली के वाइस चेयरमैन बने।
तीन बार विधायक व दूसरी बार सांसद:
श्री बिड़ला का जन्म 4 दिसम्बर 1962 को सहकारी कर्मी श्रीकृष्ण बिड़ला के यहां हुआ था। आपने स्नाकोत्तर (वाणिज्य) तक शिक्षा प्राप्त की लेकिन राजनीति को ही जीवन का लक्ष्य बनाया। डॉ. अमिता बिरला के साथ परिणय सूत्र मेंं बंधने तथा बेटियों आकांक्षा व अंजली की जिम्मेदारी को निभाने के बावजूद उनकी राजनीतिक यात्रा तेजी से चलती रही।
छात्र राजनीति के बाद वर्ष 2003 में प्रथम बार विधायक चुने गये और राज्य सरकार के संसदीय सचिव (राज्यमंत्री) की जिम्मेदारी भी संभाली। फिर वर्ष 2008 व 2013 में भी विधायक निर्वाचित होकर तीन बार विधायक निर्वाचित होने का कीर्तिमान बना लिया। वर्ष 2014 में प्रथम बार कोटा बूंदी संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गये और इस वर्ष 2019 में दोबारा यहां से ही सांसद चुने गये। उनकी इन उपलब्धियों का तोहफा लोकसभा अध्यक्ष निर्वाचित कर भाजपा ने उन्हें दिया है।
पिताजी श्री श्रीकृष्ण बिड़ला की कलम से ……
नौ बेटे-बेटियों में ओम पांचवें नम्बर के हैं। ओम पढ़ाई में बचपन से ही होशियार था, लेकिन पढ़ाई से ज्यादा उसकी रूचि नेता बनने में थी। तीन साल का था तब ही कह दिया कि बाऊजी नौकरी नहीं करूंगा…., मैं तो नेता बनूंगा। नेता बनने का जूनून ऐसा था कि शाम को सारे बच्चे हॉल में बैठ जाते थे और अंताक्षरी खेलते तो ओम खड़ा हो जाता और नेता की तरह माइक लेकर भाषण देना शुरू कर देता था। मैं वाणिज्यिकर विभाग में कार्मिक के साथ सहकारी कर्मचारी समिति (सभा नम्बर 108) से जुड़ा हुआ था। जब समिति के सदस्य घर आते तो मैं सारे बच्चों को अंदर भेज देता था, ओम चाय की केटली और कप लेकर आ जाता और हमारे बीच बैठ जाता था। हम राजनीतिक बातें करते तो वह बहुत गौर से सुनता और बीच-बीच में बोल पड़ता था। लीडरशिप के गुण बचपन में दिखने लग गए थे। मैंने ओम की राजनीतिक काबिलियत देखकर कभी उसको रोका नहीं, बल्कि उसका हौंसला बढ़ाया। राजेश (राजेश कृष्णा बिरला) को भी राजनीति में रूचि थी और ओम से पहले राजेश राजनीति में सक्रिय हो गया था। लेकिन राजेश का मल्टीपरपज स्कूलमें छात्रसंघ अध्यक्ष बनने का नम्बर आया तो उसने ओम को आगे बढ़ा दिया। राजेश हमेश ओम के राजनीतिक मार्गदर्शक की भूमिका में रहा और ओम को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति में खुद पीछे हो गया। ओम की मां शकुंतला ने हमेशा मनोबल बढ़ाया। ओम के साथी शाम को घर आ जाते थे, तो शकुंतला सबके लिए खीर और पुड़ी बनाती थी। मुझे विश्वास था कि ओम निश्चित रूप से उन्नति करेगा। मैं सोचता था कि ओम एक दिन मुख्यमंत्री बनेगा। लोकसभा अध्यक्ष बनने की मैंने सोची नहीं थी। बहू अमिता (ओम बिड़ला की पत्नी डॉ. अमिता) का फोन आया। उन्होंने यह खुशखबरी देकर आर्शीवाद लिया मैं सौभाग्यशाली पिता हूँ। जिसे जीवन के सातों सुख प्राप्त हैं। जब भी ओम कोई काम करता है, मुझसे आशीर्वाद लेकर व उसकी मां के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर करता है। लोकसभा अध्यक्ष के पद पर ओम को देखकर बहुत खुश हूँ। कोटा ओम का गृह जिला है, इसलिए निश्चित रूप से कोटा की जनता को फायदा होगा। ओम पिछले पांच साल कोटा में हवाई सेवा के लिए प्रयासरत रहा है। कुछ दिनों हवाई सेवा चालू भी हुई, लेकिन बंद हो गई। इसे नियमित चालू करवाने के प्रयास करने चाहिए। कोटा औद्योगिक नगरी है, उद्योग बंद हो गए हैं। उद्योगों का पुनर्संचालन करवाना चाहिए। शिक्षा नगरी के लिए बढ़िया काम करना चाहिए।