बलात्कारियों ने कड़ीं सूं कड़ीं सजा
खम्मा घणी सा हुक्म आपा सब इण बात सुँ वाकिफ हां कि आज रो युग शिष्टाचार रो युग नहीं बलात्कार रो युग है। ‘बलात्कार’ इण एक शब्द ने ‘3 इंडियटस’ फिल्म हिट कर दी.. यूँ लागे आज कलियुग परवान चढ़ग्यो है जिने आपा वास्तव में बलात्कार, दुष्कर्म और जोर-जबरदस्ती रो युग कह सका ओर ए सब काम दबंग, शक्तिशाली और हिंसक मानसिकता वाला ही कर सके। बलात्कारियों ने कड़ीं सूं कड़ीं सजा
हुक्म बलात्कार केवल शारीरिक ही नहीं हुवे मानसिक, आर्थिक, सामाजिक व वैज्ञानिक भी हुवे, राजनेता सता रे साथे बलात्कार करे,अफसर फाईलों रे साथे दुष्कर्म करे, व्यापारी ग्राहको रे साथ जोर-जबरदस्ती करे.. अगर सही कहुं तो हुक्म सारी जनता ही बलात्कार री शिकार हुँ रही है।
बलात्कार रा कई रूप व्हे हुक्म। एक मनो चिकित्सक बतायो कि, सिर्फ शारीरिक अपराध मात्र बलात्कार नहीं है मुल रूप सुं किन्है भी बदनाम करनो अपमानित करनो, निचो दिखाणो, अपनी दबगांई साबित करण को प्रयास बलात्कार रो ही रूप है, या हिंसा री प्रवृति ही आगे जाने विकराल रूप धारण करें।
आज समाज में हिसा, बलात्कार, अपहरण री घटना दिनों–दिन क्यों बढ़ती जा रही है इण पर सख्त विचार करण री जरूरत है। सैकड़ो मामला तो दब जावे और जिका अदालतो तक पहुंचे उनमें मात्र तीन प्रतिशत ने सजा मिले जीवन तो आधो सूं ज़्यादा समय तो पेशीयां में ही निकल जावें या जमानत पर रिहा हूं जावे। कई बार तो अपराधी पकड़यो ही नहीं जावें फरार हूं जावे।
हुक्म हिसांत्मक फिल्म् निर्माताओं रे खिलाफ सरकार ने कठोर कार्यवाही करणी चइजे। पश्चिम रा अंधा अनुकरण करणे रे कारण ही समाज री या हालत हुई , तीन साल री और नाबालिग बच्चियां शिकार हो रही है । हुक्म विदेशो में तो एड़ी जुर्म री कड़ी सजा मिले पर आपा सिर्फ मोमबत्ती, नारा, भूख हड़ताल करने रेह जावा कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आवे।
मेन पावर, मनी पावर, मसल पावर जिने पास में है उने वास्ते बलात्कार मामुली चीज है, पर शासन रो पावर इण सबरे माथे जिण दिन भारी पड़ी यानि हर व्यक्ति जो घिनोना कार्य करे फांसी री सजा नही मिले तब तक बलात्कारियाँ री दबंगाई समाज पर युं ही बणयों रेवेलो। सज़ा रे साथे सरकार ने बलात्कार रा अन्य सामाजिक, मानसिक कारणों पर भी विचार करणो जोइजे। यौनिक अतृप्ति ज़दे हिंसा रे साथे जुड़ जावे , वठे बलात्कार री परिणीति हुवे।
विचार करिजो सा।
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