विश्व रिकार्ड बनाती 52 वर्षीय धाविका- अर्चना मूंदड़ा
कोटा राजस्थान निवासी अर्चना मूंदड़ा एक ऐसी धाविका हैं, जिन्होंने गत गणतंत्र दिवस पर 72 किमी की टाईगर रन में 65 अन्य धावकों के साथ मिलकर विश्व कीर्तिमान बनाने में अहम भूमिका निभाई। वे अभी 26 से अधिक मैराथन में भाग लेकर कोटा व माहेश्वरी समाज का नाम रोशन कर चुकी हैं और वह भी 52 वर्ष की ऐसी अवस्था में जब लोग आराम फरमाने का सोचते हैं।
इस वर्ष 72वें गणतंत्र दिवस पर देशभर से 65 धावकों ने ध्वज तिरंगे के साथ 72 किमी की लंबी राष्ट्रीय दौड़ पूरी की। इंडियन फ्लेग रनर्स ग्रुप द्वारा आयोजित इस ऑनलाइन राष्ट्रीय स्पर्धा में राजस्थान से इकलौती कोटा की 52 वर्षीया महिला धावक अर्चना मूंदड़ा ने निर्धारित समय 14 घंटे से भी कम अवधि 11 घंटे 53 मिनिट में 72 किमी की दौड़ पूरी कर कीर्तिमान बनाया।
इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस के लिये सभी 65 धावकों ने एक साथ निर्धारित अवधि में तिरंगे के साथ अपनी दौड़ पूरी की। अर्चना ने 26 जनवरी को प्रात: 6 बजे माला रोड से अपनी दौड़ आरंभ की।
तिरंगे का सम्मान बढ़ाने के लिये शहर के कई धावक उनके साथ तिरंगा लेकर दौड़े। उनके कोच अमित चतुर्वेदी 72 किमी तक दौड़ते हुए उनका साथ दे रहे थे।
लद्दाख की पहाड़ियों पर भी बनाया रिकार्ड
श्रीमती मूंदड़ा ने बताया कि इससे पूर्व वीर सैनिकों के सम्मान में आयोजित ‘रन फॉर सोल्जर्स’ लद्दाख हॉफ मैराथन में भी अर्चना मूंदड़ा ने 2.32 घंटे में 21 किमी दौड़ पूरी की थी। श्रीमती मूंदड़ा इसमें समुद्र तल से करीब 11 हजार 500 फीट ऊपर होने वाले गत लद्दाख हाफ मैराथन के दौरान पांच किलोमीटर अप-हील पर भी नहीं रुकी।
उस समय उनकी उम्र लगभग 49 वर्ष थी। इस अवस्था में इतनी कठिन मैराथन को पूरा करना दुष्कर था, लेकिन श्रीमती मूंदड़ा ने उसे पूरा कर दिखाया। इसमें उनके कठोर परिश्रम व परिवार के प्रोत्साहन का सर्वाधिक योगदान था।
कम्प्यूटर साईंस इंजीनियर रही हैं श्रीमती मूंदड़ा
दो इंजीनियर पुत्र होस्टन यूएसए में सेवारत एम.एस. तक शिक्षित हर्ष तथा बैंगलौर में कार्यरत शालिन की माता व घनश्याम मूंदड़ा की धर्मपत्नी अर्चना मूंदड़ा स्वयं भी 1987 बेच की कम्प्यूटर साईंस में बी.ई. हैं। अमरावती में श्री सुखदेव जी व श्रीमती कुसुम मंत्री के यहाँ 13 सितम्बर 1969 को जन्मी श्रीमती मूंदड़ा की पहचान वास्तव में एक बिजनेस वुमन के रूप में है।
विवाह के पश्चात लगातार 6 वर्ष तक श्रीमती मूंदड़ा ने स्वयं का कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र संचालित किया। इसके पश्चात वर्ष 2004 से सूरज टिम्बर एण्ड प्लायवुड के नाम से प्लायवुड एवं फर्नीचर बिजनेस का सफलतापूर्वक संचालन कर रही हैं।
वेट लॉस के लिये प्रारम्भ हुई थी दौड़
कुछ साल पहले बच्चों ने कहा था कि मम्मी आपका वेट बहुत बढ़ता जा रहा है। इसको कम करो। बच्चों की इस बात को उन्होंने प्रेरणा के रूप में लिया। इसके बाद पति घनश्याम मूंदड़ा व ट्रेनर अमित चतुर्वेदी से प्रेरणा मिली।
अर्चना ने बताया कि उन्होंने वेट कम करने के लिए वर्कआउट शुरू किया था। रनिंग के बारे में सोचा नहीं था, लेकिन अमित चतुर्वेदी ने उनको मोटीवेट किया। सबसे पहले वर्ष 2016 में जयपुर में होने वाली पिंक सिटी मैराथन में भाग लेकर 21 किलोमीटर दौड़ी। उन्होंने साल 2016 से रनिंग शुरू की थी। तो यह यात्रा फिर थमी नहीं।
वे अभी तक विश्व की सबसे कठिन लद्दाख हॉफ मैराथन सहित 26 से अधिक मैराथन पूर्ण कर सम्मानित हो चुकी हैं। गत 2 से 6 फरवरी तक उन्होंने केदारकंठ में भी ट्रेकिंग प्रारंभ किया था, लेकिन खराब मौसम के कारण वे इसे पूर्ण नहीं कर पायीं।