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जीवन को संवारती वास्तु अनुरूप दिनचर्या
आम व्यक्ति और सफल व्यक्ति की तुलना करें तो उनकी दिनचर्या में भी अन्तर होता है। वैसे अधिकांश सफल व्यक्ति भी नहीं जानते कि उनकी दिनचर्या में वास्तु किस तरह सफलतापूर्वक शामिल रहता है। बस वे तो स्वाभाविक रूप से दिनचर्या अपनाते है, लेकिन वह किन्ही कारणों से बन जाती है, भाग्योदयकारी। वैसे यदि हम अपनी दिनचर्या पर विशेष रूप से ध्यान दे तो हम कर सकते हैं, बहुत कुछ आमूल चूल परिवर्तन।
- पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर में मुंह करे ।
- पूजा नीचे जमीन पर ऊन की आसन रखकर ही करनी चाहिए। पूजा गृह में सुबह एवं शाम को दो दीपक एक घी का और एक तेल का लगाऐं।
- पूजा अर्चना होने के बाद उसी जगह पर खड़े होकर 3 परिक्रमा करे।
- पूजा घर में मूर्तियां 1,3,5,7,9,11 इंच तक होनी चाहिए उससे बड़ी नहीं।
- पूजा स्थान के पास में एक कलश जल का भरकर इसके उपर नारियल रखें तथा जल रोज सुबह बदल दें।
- हमेशा पूर्व या दक्षिण में सिर रखकर सोना चाहिए। पत्नी को पति के बाये हाथ की तरफ सोना चाहिए।
- सोते समय बाये हाथ की तरफ करवट लेटे पलंग कमरे के कोने में नहीं होने चाहिए शयन कक्ष के उपर की छत सपाट हो। पलंग कमरे में इस तरह लगाये कि सिर की तरफ दीवार हो आडीटेड़ी खांचे न हो।
- शयन के लिए पलंग हमेशा चार पांव वाला ही रखे। बाक्स वाले पलंग नहीं रखे। जिससे कि हवा का सरक्यूलेशन चारों तरफ तथा उपर नीचे बना रहे सोते तथा बैठते वक्त भी शरीर पर टांड तथा बीम्स नहीं आनी चाहिए। पैर के उपर पैर रखकर, दरवाजे की तरफ सिर रखकर तथा छत की तरफ मुंह रखकर शयन नहीं करे।
- नहाना, खाना, टेलीफोन, पढ़ाई आदि में हमेशा मुंह पूर्व या उत्तर की तरफ रखें।
- पढ़ाई करने वालों का मुंह पूर्व की तरफ हो और पढ़ाने वाले का मुंह उत्तर की तरफ।
- खाना बनाते वक्त हमेशा मुंह केवल पूर्व की तरफ ही हो।
- शौच करते समय मुंह पश्चिम या उत्तर दिशा में ही हो।
- मुख्य तिजोरी उत्तर या पूर्वाभिमुख करके रखे। उसके अंदर दो डिब्बे रखे एक में फिक्स रकम रखकर बंद कर देवे तथा दूसरे को खुला रखें, नियमित खर्च के लिए रकम डालते रहे, निकालते रहे।
- मुख्य द्वार पर उत्तर की दीवार पर घी और सिंदूर मिलाकर स्वच्छ एवं साफ स्वास्तिक बनावें।
- रसोई गृह में गैस भी प्लेटफार्म के अग्निकोण में रखे। यदि रसोई गृह में खिड़की हो तो उसके सामने गैस रखें। इस बात का खास ध्यान रहे कि गैस के उपर कोई भी केबिनेट तथा टांड नहीं हो कारण गैस की लौ सीधे छत तक बिना रूकावट के साफ जानी चाहिए।
- सुबह उठते समय और घर से बाहर निकलते समय पहला पैर स्वर (श्वांस) अनुसार रखें।
- आफिस या घर से बाहर जाते वक्त या तो पूजा कक्ष से या अपने शयनकक्ष से सीधे बाहर निकलते समय यदि कोई फोन आये तो बात नहीं करें तथा निकलते समय घर का कोई भी सदस्य आपको किसी भी कार्य के लिए टोंके नहीं। इसका भी खास ध्यान रखे। घर से निकलते समय कार स्कूटर उलटे नहीं निकालें, रात को ही उलटा खड़ा करे ताकि सुबह सीधा निकाला जा सके।
- घर से बाहर निकलते समय पहले पचास कदम तक पूर्व या उत्तर रोड की तरफ ही जाये।
- घर के अंदर कांटेवाले, दूधवाले, फल के पेड़-पौधे नही लगाए तथा तुलसी का पवित्र पौधा चाहे जितना लगाऐं।
- नहाते या सोते वक्त उलटे वस्त्र उतार कर ना छोड़े तथा नहाते व सोते समय निर्वस्त्र न रहें, अंतर्वस्त्र स्वयं ही धोऐ।
- रात को सोते समय एवं सुबह जगने पर अपने इष्ट का ध्यान जरूर करें।
- घर से निकलते वक्त रात्रि एवं दिन के ठीक बारह बजे का समय त्याग देवें तथा हमेशा पूरे सवा डेढे टाइम में निकले।
- मुख्य द्वार पर ड्योडी, डेली, पत्थर या लकड़ी की अवश्य होनी चाहिए।
- सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए तथा रात को बारह बजे से पहले सो ही जाना चाहिए।
- खाने या पीने का कोई भी कार्य खड़े होकर नहीं करें बैठ कर करे।
- घर के दरवाजे एवं खिड़कियां अपने आप बंद तथा खुलने नहीं चाहिए। इसके लिए स्टापर आदि लगाने चाहिए।
- घर में महाभारत या लड़ाई करते हुए चित्र या मूर्तियां तथा पक्षियों के चित्र तथा मूर्तियों एवं पशुओं के चित्र तथा मूर्तियां नहीं होना चाहिए।
- रात्रि को घर का कचरा झाडू नहीं निकाले, निकालें तो कचरा बाहर नहीं फेंके। झाडू हमेशा आड़ा लिटा करके ही रखे।
- रसोई घर में परेंडा पणीयात्रा बाये की तरफ ही रखे तथा सिंक या वाशबेसिन भी बाये हाथ की तरफ हो।
- आवश्यक न हो तो दिन एवं संध्या के समय न सोये।
- मुख्य द्वार के सामने अंदर तथा बाहर कुछ भी समान या अवरोध द्वार पर नहीं होना चाहिए। जूते-चप्पल भी अस्त व्यस्त न हो व्यवस्थित हो।
- सुबह का स्नान 11 बजे से पहले करें।
- रात्रि भोजन एवं सोने में कम से कम 2 से 3 घंटे का अंतर रखे तथा 1 हजार कदम अवश्य चलें। भोजन करते वक्त कम से कम बात करनी चाहिए।
- दक्षिण की तरफ पैर करके भूलकर भी नहीं सोयें।
दिनचर्या में उपरोक्त सभी कार्य बताये गये अनुसार ही करें तो उत्तम होगा।