नेत्रदान से नीमच को देश में पहचान- सत्यनारायण गगरानी
वर्तमान में समाजसेवा और उसमें भी विशेष रूप से नेत्रदान में नीमच (म.प्र.) का देश भर में शीर्ष स्थान है। यह गौरव दिलाने का श्रेय जाता है, डिकेन निवासी वरिष्ठ समाजसेवी सत्यनारायण गगरानी को जिन्होने लायंस अध्यक्ष के अपने कार्यकाल में यह इतिहास बनवाकर ही दम लिया।
समाजसेवा के क्षेत्र में लायन सत्यनारायण गगरानी की पहचान एक ऐसे समाजसेवी के रूप में है, जिन्होनें मानवता की सेवा में नीमच को शीर्ष स्थान दिलाने में कोई कमी नही रख छोड़ी। लायंस क्लब के 1983 से 1985 तक आप अध्यक्ष रहे। आपके अध्यक्षीय काल में क्लब की दिन दूनी और रात चौगुनी प्रगति हुई। अपनी टीम के सहयोग से नेत्रदान को अपना मिशन बनाया। आज नेत्रदान में नीमच का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। विगत 30 वर्षों से लायंस प्रांतीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे हैं। आप 1985-86 में लायंस उपप्रांतपाल रहे। डिकेन में भी श्री रघुनाथ मंदिर सार्वजनिक ट्रस्ट आपका निजी ट्रस्ट है, इसके आप अध्यक्ष हैं। इस ट्रस्ट के माध्यम से विद्यार्थियों को पुस्तकें, निर्धन छात्रों को यूनिफार्म, स्कालरशिप आदि प्रदान की जाती है। कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो श्री गगरानी के पास आशा लेकर आया और निराश लौट गया हो। पिताजी स्व. श्री कन्हैयालाल गगरानी की स्मृति में नेत्र शिविर भी आयोजित किया गया था जिसमें 290 ऑपरेशन हुए थे। नीमच स्थित किलेश्वर मंदिर के सुरम्य स्थल का जो वर्तमान स्वरूप है, उसमें भी श्री गगरानी का बहुमूल्य योगदान है।
कृष्ण की तरह बदला जीवन
5 सितम्बर 1941 को जावद में जन्मे सत्यनारायण गगरानी डिकेन के समृद्ध परिवार में गोद आ गये। इस तरह कृष्ण जैसा परिवर्तन जीवन में आ गया। अपने पिता श्री कन्हैयालाल गगरानी के धार्मिक कार्यों और समाजसेवा के प्रति उनकी विशेष रूचि का गहरा प्रभाव पड़ा। इंटर तक शिक्षा के दौरान बैडमिंटन से आपको विशेष लगाव रहा। तहसील व जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में विजय हासिल की। कृषि के लिये आपने वैज्ञानिक प्रणालियों का प्रश्रय लिया। इसके अतिरिक्त लघु उद्योगों से भी जुड़े रहे हैं। समाजसेवी होने के कारण आपको न्याय पंचायत रतनगढ़ का प्रधान बनाया गया। प्रधान के रूप में आपके द्वारा दिए गए निर्णय इतने न्यायसंगत रहे, कि जो जिला न्यायालय, उच्च न्यायालय तक में यथावत रहे। अच्छा साहित्य पढ़ने की रूचि आपमें शुरू से ही थी जिसकी उत्तरोत्तर प्रगति होती गई। आपने वेद पुराण, उपनिषद, बाइबिल, कुरान आदि सभी धर्मग्रंथों का अध्ययन किया है। आपके पास नीमच और डिकेन में 2500 पुस्तकों का उत्तम संग्रह है। प्रकृति से अपरिमित लगाव होने के कारण कई प्रकार के पेड़-पौधे भी आपके घर में देखने को मिलते हैं। गत तीन वर्षो मे पूरे ग्राम में स्कूल, अस्पताल, कब्रिस्तान, मुक्ति धाम व सार्वजानिक स्थान पर 300 से अधिक पौधे ट्री गार्ड सहित लगाये हैं। पूरे वर्ष उन्हें टेंकर द्वारा पानी पिलवाते है एवं यह वृक्षारोपन प्रकिया सतत् जारी है।
सेवा के वृहद आयाम
यह आपकी दानशीलता का उदाहरण ही है कि अपने पिताजी की पुण्य स्मृति में 56 बीघा तालाब की भूमि का सार्वजनिक हित में दान कर पुण्य कार्य किया। लगभग 14 वर्ष तक आप माहेश्वरी समाज नीमच के अध्यक्ष रहे हैं। जिला माहेश्वरी सभा के भी दो बार अध्यक्ष रहे। वर्ष 2004 में एक सफल सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया। श्री गगरानी ‘व्यास बाल मंदिर’ शिक्षण समिति के भी 25 वर्ष तक अध्यक्ष रहे। नीमच की बहुत सी संस्थाओं से जुड़े हैं एवं ज्ञान मंदिर व जीवाजीराव छात्रावास आदि कई संस्थाएं आपके सहयोग से संचालित हो रही हैं। अभी गत 5 सितम्बर को अपने जनमदिन पर आपने ग्राम डिकेन को एक नई एम्बुलेंस की सौगात दी। यह बगैर किसी शुल्क के अंचल के मरीजों के लिए उपलब्ध रहेगी। धार्मिक क्षेत्र में आप स्वामीजी श्रीनिवासाचार्यजी महाराज, शाहपुरा पीठाधीश्वर पूज्य रामदयालजी महाराज, पूज्यपाद सत्यमित्रानंदगिरीजी महाराज के प्रवचन आदि आयोजनों से भी सम्बद्ध रहे हैं।