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दूसरों की रक्षा में लगाया कैरियर भी दाव पर- डॉ पद्मनाभ झंवर

मानवीय संवेदना के बिना चिकित्सा क्षेत्र अधूरा ही है। वाराणसी निवासी डॉ पद्मनाभ झंवर एक ऐसे ही चिकित्सक हैं, जिन्होंने दूसरों का जीवन बचाने के लिये अपना सम्पूर्ण कैरियर दांव पर लगाने में भी कभी कसर नहीं रख छोड़ी। आईये जानें डॉ पद्मनाभ की प्रेरक कहानी।

किसी दूसरे की जिन्दगी बचाने के लिए एक मेडिकल स्टूडेंट्स ने अपनी पढ़ाई का साल बर्बाद होने की परवाह नहीं की, और ऐसा उसने एक बार नहीं दो बार किया। वर्ष 2018 में चेन्नई शहर में यह मेडिकल स्टूडेंट परीक्षा देने के लिए होस्टल से परीक्षा केन्द्र की ओर चला। रास्ते में उसने देखा कि सड़क पर एक स्कूटर चालक दुर्घटनाग्रस्त हो गया। स्कूटर दूर फेंका गया और चालक बुरी तरह घायल अवस्था में सड़क पर लहुलुहान पड़ा था। लोग आ जा रहे थे। स्टूडेंट को दूर से देखकर ही लगा कि यदि इसे तुरन्त अस्पताल नहीं पहुंचाया गया तो यह मर जाएगा।

वह अपने परीक्षा केन्द्र जाने के स्थान पर उस व्यक्ति को किसी तरह लेकर अस्पताल गया, भर्ती कराया, उसका इलाज शुरू करवाया, उसे खून चढ़वाने की व्यवस्था की तथा उसके घर वालों को सूचित किया। उसके घर वालों के आ जाने पर वह परीक्षा भवन की ओर लपका। परीक्षा शुरू हुए डेढ़ घण्टा बीत चुका था। ऐसी परिस्थिति में विलम्ब से आए छात्र को परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति नहीं मिलती है।

इसने परीक्षा अधिकारियों को सारा वृतान्त बताया, बहुत अनुनय-विनय करने पर छात्र के मन में बसी मानवता की सेवा भावना को ध्यान में रखते हुए इसे परीक्षा में शामिल होने की इजाजत इस शर्त पर दी गई कि परीक्षा के लिए निर्धारित समय समाप्त होने के बाद अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा, लेकिन तीन घण्टे की परीक्षा डेढ़ घण्टे में देकर भी यह पास होने लायक अंक प्राप्त करने में सफल हो गया।


दूसरी घटना सन् 2021 में इस स्टूडेंट का एक्जाम चल रहा था। एक व्यक्ति वहाँ आकर गिड़गिड़ा कर कह रहा था कि डॉक्टर का कहना है, यदि मेरी पत्नी को तुरन्त ब्लड नहीं चढ़ाया गया तो जच्चा-बच्चा दोनों का बचना मुश्किल है। परीक्षा ले रहे अधिकारियों ने उस व्यक्ति को डाँटकर भगा दिया। वह परीक्षा के अलग-अलग कक्षों में जा रहा था गिड़गिड़ा रहा था। वह पुन: उस कक्षा में आया जहाँ यह स्टूडेंट परीक्षा दे रहा था। उस व्यक्ति को जिस ग्रुप का ब्लड चाहिए था वह रेयर था।

निरीक्षक ने पूछा कि परीक्षा देने वालों में से किसी का यह ब्लडग्रुप है। इस स्टूडेंट ने हाथ ऊपर उठाकर बताया कि उसका यह ब्लड ग्रुप है। जहाँ तक प्रश्नपत्र हल किया था उतने पर अपनी परीक्षा छोड़कर वह छात्र उस व्यक्ति के साथ चल पड़ा। बिना इस बात की परवाह किए कि इस कारण वह परीक्षा में फेल हो सकता था, उसका साल बर्बाद हो सकता था। मगर इस स्टूडेंट को अपने कैरियर से ज्यादा महत्वपूर्ण बात लग रही थी, दो जानें बचाने की।

रक्तदान के लिए निर्धारित मानक से अधिक रक्त देकर उसने दो जाने बचाई। परीक्षा में जितने प्रश्नों का इसने उत्तर लिखा था उसके आधार पर वह परीक्षा में पास भी हो गया। दूसरे का जीवन बचाने में अपने कैरियर की चिन्ता न करने वाला, पर दुख कातरता का उदाहारण, मानवता के प्रति इतनी संवेदनशीलता के साथ जीवन जीने के मंत्र को आत्मसात करने वाला यह युवक है, वाराणसी के डा. पद्मनाभ झंवर (स्व.), डा. मेघराज झंवर के पौत्र और डा. वेणूगोपाल- डा. मोहिनी झंवर के पुत्र।


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