Jeevan Prabandhan

हार की संभावना से बचाती है परिवार की ताकत

पं विजयशंकर मेहता
(जीवन प्रबंधन गुरु)

घर मै रहते हुए हम इस “मै” विहीन पशु भाव को बनाए रखें। हमारा यह जंगलीपन परिवार को हमारी ताकत बना देगा। जिसके साथ परिवार की ताकत है, उसके हारने की संभावना सदैव कम रहेगी।

काम नहीं करने के सबके पास अपने-अपने बहाने होते हैं। एक बार मैंने एक महीने के लिए एक प्रयोग किया। जब भी मे किसी से मिलता था और मुझे लगता था की ये बहाने बना रहे हैं तो मे नोट कर लेता था। एक माह बाद मैंने हिसाब लगाया था की कितने किस्म के बहाने लोग बनाते हैं।

सबसे अधिक बहानो मे था, परिवार। उसके बाद समय और उसके बाद स्वास्थ्य। इन्ही तीनो की आड़ मे लोग अपने निक्कमेपन को छिपाते हैं। कई लोगो का तो मानना है की भौतिक प्रगति मे परिवार एक बाधा है। अब तो परिवार इतने सिमट गएँ है की लोग छोटे को भी बाधा मानते हैं और संयुक्त परिवारों को भी दोष देते हैं ।

कई लोग अपने पारिवारिक दायित्व के कारण आगे नहीं बढ़ पाते, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है की परिवार को दोषी बताया जाए। परिवार को केंद्र मे रखकर अपनी प्रगति के क्षेत्र बदले जा सकते हैं।

जैसे देखा जाता है की बूढ़े माता-पिता या अन्य भाई-बहनों की जिम्मेदारी होने पर कुछ लोग अपने नगर से बाहर नहीं जा पाते और फिर जीवन भर मन ही मन दुखी होते रहते हैं, लेकिन ऐसे भी लोग देखे गए हैं जिन्होंने जिम्मेदारियां पूरी निभाई और अपने करियर मे आगे भी बढे। दरअसल, परिवार को ताकत मानने के लिए परिवार मे रहने का तरीका थोड़ा बदलना होगा।

परिवार कमज़ोर बनता है, जब सदस्यों मे अहंकार आ जाता है। एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है की हर मनुष्य मे कुछ हिस्सा पशुओं का होता है और कभी कभी वह वैसा आचरण करता भी है। पशु तुल्य होना एक दोष है, लेकिन पशुओं की एक खूबी है की उनमे “मै” नहीं होता।


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Sri Maheshwari Times

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