Articles

कैसे मनाएं शास्त्रोक्त ढंग से महेश नवमी

महेश नवमी पर्व वास्तव में माहेश्वरी समाज का उत्पत्ति पर्व है, जिस दिन भगवन महेश की कृपा से हमारे पूर्वजों को नवजीवन मिला था। लेकिन यह पर्व यहीं तक सीमित नहीं है। यह वास्तव में भगवान महेश की उपासना का भी पर्व है। यदि हम इसे शास्त्रोक्त ढंग से मनाते हैं, तो इस दिन भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। तो आइये देखें क्या करें और क्या न करें हम, इस दिन।

महेश नवमी के दिन शिवलिंग तथा भगवान शिव-परिवार का पूजन-अभिषेक किया जाता है। भगवान शिव को पुष्प, गंगा जल और बेल पत्र आदि चढ़ाकर पूजन किया जाता है। डमरु बजाकर भगवान शिव की आराधना की जाती है। मां पार्वती का पूजन एवं स्मरण करके विशेष आराधना की जाती है। महेश नवमी के दिन भगवान शिव की पूजा का खास महत्त्व है। वैसे तो इस दिन व्रत रखने का विधान है। यदि किसी कारणवश उपवास नहीं कर सकते तो पूजन और उपाय करके भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है। सुबह स्नानादि कार्यों से निवृत्त होकर शिवालय में जाकर अथवा घर में शिवलिंग पर जल अर्पित करें। इससे मनुष्य का स्वभाव शान्त और स्नेहमय होता है।


महेशनवमी के दिन पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके मंत्रों का जाप करना चाहिए। जप के पूर्व शिव जी को बिल्वपत्र अर्पित करना चाहिए। उनके ऊपर जलधारा अर्पित करना चाहिए। निम्नानुसार मंत्र जाप कर आप शिव को प्रसन्न कर सकते हैं –

नमो नीलकण्ठाय, प्रौं हृीं ठः, उर्ध्व भू फट्, ऊँ नमः शिवाय, ऊँ पार्वतये नमः, हृी हृौं नमः शिवाय, नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा, इं क्षं मं औं अं आदि।


  • महेश नवमी पर शिवजी की कृपा के लिये भगवान शिव को 21 बिल्वपत्र लाल चन्दन से लिखकर अर्पित करें।
  • शिवपुराण के अनुसार, शिवजी को धतूरा चढ़ाने से विशेष लाभ और धन की प्राप्ति होती है।
  • भगवान शिव को भांग बहुत प्रिय है। भांग चढ़ाने से भी शिवजी की कृपा मिल सकती है।
  • महेश नवमी पर शिवलिंग का अभिषेक पानी से किया जाए तो रोगों से मुक्ति मिल सकती है।
  • शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाने से हर मनोकामना पूरी हो सकती है। घर के पूजा स्थान पर रुद्र यंत्र की स्थापना करें और रोज उसकी विधि-विधान से पूजा करें।
  • धन लाभ के लिए शिवजी को चावल चढ़ाएं। ये उपाय शिवपुराण में बताया गया है।
  • शिवपुराण के अनुसार शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए शिवलिंग का अभिषेक गाय के शुद्ध घी से करना चाहिए।
  • अगर आप किसी बीमारी से परेशान हैं तो इस दिन महामृत्युंजय का जाप करें-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

  • भोलेनाथ का शक्कर से अभिषेक करें। इससे सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके साथ ही मनुष्य के जीवन से दरिद्रता सदा के लिए चली जाती है।
  • शिवलिंग पर केसर अर्पित करें। ऐसा करने से व्यक्ति को सौम्यता मिलती है।
  • शिवलिंग पर इत्र लगाने से व्यक्ति के विचार पवित्र और शुद्ध होते हैं।
  • शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से स्वास्थ्य सदैव अच्छा रहता है और बीमारियां दूर होती हैं।
  • भगवान शिव को दही अर्पित करने से स्वभाव गंभीर होता है और जीवन में आने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
  • भोलेनाथ पर घी अर्पित करने से व्यक्ति की शक्ति में वृद्धि होती है।
  • भगवान शिव को चंदन प्रिय है। भोलेनाथ को चंदन अर्पित करने से व्यक्तित्व आकर्षक होता है।
  • शिवलिंग को शहद चढ़ाने से व्यक्ति की वाणी में मिठास आती है।
  • भगवान शिव को भांग अर्पित करें। ऐसा करने से बुराईयों का नाश होता है।
  • भारतीय शास्त्रों में बिल्वपत्र को भगवान शंकर की तीसरी आंख बताया गया है। उन्हें यह बहुत प्रिय है, अगर पूजा करने में बिल्वपत्र का प्रयोग किया जाए तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

  • महेश नवमी के दिन भगवान शिव को यदि प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस दिन काले रंग के कपड़े ना पहनें। इस दिन काले रंग के कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है।
  • ऐसी मान्यता है कि भक्तजनों को शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे दुर्भाग्य आता है ऐसा करने से धन हानि और बीमारियां भी हो सकती हैं।
  • शिवलिंग पर कभी भी तुलसी की पत्ती नहीं चढाएं। शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से पहले यह ध्यान रखें कि पाश्चुरीकृत या पैकेट का दूध इस्तेमाल ना करें और शिवलिंग पर ठंडा दूध ही चढाएं। अभिषेक हमेशा ऐसे पात्र से करना चाहिए जो सोना, चांदी, कांसे का बना हो। अभिषेक के लिए कभी भी स्टील, प्लास्टिक के बर्तनों का प्रयोग ना करें।
  • भगवान शिव को भूलकर भी केतकी और चंपा फूल नहीं चढाएं। ऐसा कहा जाता है कि इन फूलों को भगवान शिव ने शापित किया था। केतकी का फूल सफेद होने के बावजूद भोलेनाथ की पूजा में नहीं चढ़ाना चाहिए।
  • महेश नवमी के दिन मांस या मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए। इस दिन सात्विक भोजन करना सही होता है।
  • भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाया जाना चाहिए। अक्षत का मतलब होता है अटूट चावल, यह पूर्णता का प्रतीक है। इसलिए शिवजी को अक्षत चढ़ाते समय यह देख लेंं कि चावल टूटे हुए तो नहीं है।
  • शिवलिंग पर सबसे पहले पंचामृत चढ़ाना चाहिए। पंचामृत यानी दूध, गंंगाजल, केसर, शहद और जल से बना हुआ मिश्रण। जो लोग चार प्रहर की पूजा करते हैं उन्हें पहले प्रहर का अभिषेक जल, दूसरे प्रहर का अभिषेक दही, तीसरे प्रहर का अभिषेक घी और चौथे प्रहर का अभिषेक शहद से करना चाहिए।
  • भगवान शिव को दूध, गुलाब जल, चंदन, दही, शहद, घी, चीनी और जल का प्रयोग करते हुए तिलक लगाएं।
  • ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति पर केवल सफेद रंग के ही फूल चढ़ाने चाहिए क्योंकि भोलेनाथ को सफेद रंग के ही फूल प्रिय हैं। महेश नवमी पर भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए चंदन का टीका लगा सकते हैं। शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम का तिलक ना लगाएं। हालांकि भक्तजन माँ पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति पर कुमकुम का टीका लगा सकते हैं।
  • इस दिन सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए। जल्दी उठ जाएं और बिना स्नान किए कुछ भी ना खाएं। व्रत नहीं है तो भी बिना स्नान किए भोजन ग्रहण नहीं करें।

Related Articles

Back to top button