विरासत में मिला ज्योतिष- रत्नेश राठी
आमतौर पर रोग एक विपदा के रूप में ही आते हैं। वैसे तो खरगोन (म.प्र.) निवासी रत्नेश राठी को भी रोग ने शारीरिक कष्ट तो दिया लेकिन इस अवधि में पैतृक रूप से उन्होंने वह ज्योतिष ज्ञान प्राप्त किया जो आज कई लोगों के जीवन को रोशन कर रहा है।
खरगोन (म.प्र.) में श्री बालाजी ज्योतिष वास्तु अनुसंधान केंद्र का संचालन करने वाले रत्नेश राठी की क्षेत्र में एक ऐसे ज्योतिर्विद के रूप में प्रतिष्ठा है, जो मात्र 19 वर्ष की उम्र से इस क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण सेवा दे रहे हैं। अपनी 10 वर्ष की इस सेवा यात्रा में वे स्वास्थ्य बिगड़ना और यह लंबे समय से क्यों चल रहा है, विदेश यात्रा योग, लघु जीवन योग, ध्यान योग, नौकरी आदि के बारे में सटीक जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
वास्तु के बारे में 4 दिशाओं को 64 दिशाओं में विभाजित किया ताकि वास्तु की सही जानकारी मिल सके। उन्होंने व उनके मित्र ज्योतिषाचार्य प्रदीप सोनी ने वर्ष 2016 में नक्षत्रों पर शोध से यह जाना कि वर्तमान में क्या हो रहा है। बाल योग, वित्त योग, नौकरी, स्वास्थ्य, विदेश योग आदि कई क्षेत्रों में वे मार्गदर्शन दे रहे हैं।
पैतृक रूप से मिला ज्योतिष ज्ञान
श्री राठी का ज्योतिष की ओर अग्रसर होना वास्तव में भाग्यवश ही कहा जा सकता है। स्वयं श्री राठी बताते हैं, कि उनका जन्म 19 जुलाई 1992 को हुआ था। उनको ज्योतिष की प्रेरणा उनके दादाजी स्व. श्री किशनदास राठी से मिली, जो एक अच्छे ज्योतिषी थे। श्री राठी ने बचपन में उनसे ज्योतिष की जानकारी ली थी।
17 साल की उम्र में स्वास्थ्य खराब हो गया था, इसके बाद इन्होंने इस समय का उपयोग कर ज्योतिष का पूरा ज्ञान प्राप्त कर लिया। लक्ष्य था तो अपनी इस बीमारी का कारण ज्योतिष से खोजना। इसके लिये कई विद्वानों को गुरू भी बनाया।
फिर मात्र 19 साल की उम्र से ही ज्योतिष परामर्श का काम शुरू कर दिया और ज्योतिष में नक्षत्र आदि को गहराई से जाना। इसके पश्चात् 24 वर्ष की उम्र से व्यावसायिक रूप से सशुल्क मार्गदर्शन दे रहे हैं।