समाज सेवा के “गौरव”- माणकचंद होलानी
समाज की सेवा के लिये किसी पद की भी आवश्यकता नहीं होती। बस जरूरत होती है, तो दृढ़ इच्छा शक्ति की। इन्हीं पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए उम्र के 73वें पड़ाव पर भी समाज के लगभग अधिकांश सेवा प्रकल्पों में तन-मन-धन से सहयोगी बने हुए हैं, माणकचंद होलानी।
इस पंक्ति को चरितार्थ करते हैं माणकचन्द होलानी। तेज दिमाग, दयालु हृदय और कोमल आत्मा के स्वामी समाज प्रेम से ओत प्रोत, सकल स्नेह से लबालब सदा ऊर्जावान माणकचन्द होलानी का जन्म 16 अगस्त 1949 को गांव खुनखुना, तहसील-डीडवाना, जिला-नागौर राजस्थान में श्री भँवरलाल व श्रीमती सरजू देवी होलानी के यहां हुआ। आपकी आरम्भिक शिक्षा डीडवाना में ही हुई। मात्र 18 वर्ष की आयु में अपने गांव खुनखुना में किराने की होलसेल दुकान के साथ अपना व्यवसायिक जीवन प्रारम्भ किया।
ऐसे बढ़े व्यवसाय में कदम
अगर संघर्ष नहीं है, तो कोई प्रगति नहीं है। इस कहावत को अपना प्रेरणास्रोत बनाते हुए श्री होलानी नवम्बर 1983 में गाँव से दिल्ली आये और खारी बावली दिल्ली में बालाजी ट्रेडिंग कम्पनी के नाम से अनाज का होलसेल कारोबार शुरू किया। कहते है जीवन में सफलता का आशीर्वाद दिव्य संगत से ही फलीभूत होता है।

आदरणीय होलानी जी को भी यह दिव्य साथी 1968 में जीवन संगीनी श्रीमती जमना देवी होलानी के रूप में मिला और जीवन के हर खट्टे-मिट्ठे पलो का सदा सर्वदा एक देवी शक्ति के रूप में साक्षी बना रहा।
समाजसेवा में योगदान
आप जिस समाज में पले-बढ़े हैं, उससे अधिक नैतिक बनने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं। इस क्रम में आगे बढ़ते हुए श्री होलानी ने जन्मभूमि पैतृक गाँव खुनखुना से कर्मभूमि दिल्ली में अनेकानेक सेवा प्रकल्पों का निर्माण कराया और समाज को अपनी कृतज्ञता समर्पित की।
उन्होंने स्वास्थ्य (सुंदरकांड मित्र मंडल आरोग्यधाम), पढ़ाई (जयचंद करवा यूपीएससी संस्थान के ट्रस्टी), खेल (क्रिकेट होलानी कप), पशु पक्षी (रामदेव दादूपंती गौशाला) और जन सेवा (महाजनी पंचायत ट्रस्ट के अध्यक्ष) में अनेकानेक कार्य किए।
परिवार भी सेवा पथ पर साथ-साथ
आपके जीवन आदर्श को समाज के साथ आपके सुपुत्र रामस्वरूप व सुपुत्री सरोज, सरिता ने अपने-अपने जीवन के मूल मंत्र के रूप में अपनाया और विभिन्न समाज व देश निर्माण के उपक्रमों में अपनी महती भूमिका निभाकर शिक्षा व संस्कारों को निरन्तर सम्मान दे रहे है।


श्री होलानी का कहना है कि दुनिया कठोर है और जीवन एक संघर्ष, लेकिन लेकिन आप अपनी निष्ठा और दयालु हृदय से सब कुछ पा सकते हैं और जो भी आपने पाया है उसे इस समाज के साथ साझा कीजिए। वे सभी के लिये कामना करते हैं, सुफल, सफल, सुगम आनन्दमय जीवन हो आपका, आपकी प्रतिभा का प्रकाश आकाश सा हो, सेवा साधनामय व हर पल उत्सव हो।