Personality of the month

दिव्यता की मिसाल- आशीष पेड़ीवाल

हौंसले बुलंद हों तो सफलता कदम चूमती है। इन्हीं पंक्तियों को चरितार्थ कर रहे हैं, मीरजापुर निवासी आशीष पेड़ीवाल जो दिव्यांग दृष्टिबाधित होकर भी सीनियर बैंक मैनेजर जैसे पद की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभा रहे हैं।

प्रतिभा व हौंसले को कभी रोका नहीं जा सकता। वह तो हर हाल में प्रकट हो ही जाते हैं। समाज के वरिष्ठ विजय कुमार पेड़ीवाल के सुपुत्र आशीष पेड़ीवाल दृष्टिबाधित हैं। इसके बावजूद कठिन परीक्षा उत्तीर्ण कर वे वर्तमान में मीरजापुर में इंडियन बैंक की वासलीगंज शाखा में सीनियर बैंक मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। इसमें भी उनकी कायैशैली इतनी अच्छी है कि पूरा स्टॉफ उनकी प्रशंसा करने में पीछे नहीं रहता। अब वे चीफ बैंक मैनेजर पद के लिए होने वाली परीक्षा तथा साक्षात्कार की तैयारी कर रहे हैं।


किशोरावस्था में खोई रोशनी

वैसे तो बचपन से इनकी आँखे कमजोर थी। फिर जब ये 10वीं कक्षा में अध्ययन कर रहे थे कि स्कूल जाते समय साईकिल दुर्घटना में आई चोट के कारण आँख का परदा खिसक गया और धीरे-धीरे दिखाई देना बंद हो गया। मन में निराशा व जिंदगी में अंधियारा छा गया। ऐसे में इनके पिताजी के मित्र सी.पी. गुप्ता ने हौंसला बढ़ाते हुए इनको समझाया कि ऐसे हालात में भी जिन्दगी बेहतर बनाई जा सकती है। बस इसी प्रेरणा ने उनके जीवन को नयी दिशा दे दी और उन्होंने मन की आंखों से ही सफलता के शिखर की ओर बढ़ने का संकल्प ले लिया।


सतत चली शिक्षा यात्रा

वाराणसी में दृष्टिबाधित स्कूल श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अन्धविद्यालय से ब्रेललिपि (दृष्टिबाधित लोगों को पढ़ने के लिए) में अध्ययन करते हुए दिल्ली विवि से ग्रेजुएशन किया, अंग्रेजी में बी.ए. आनर्स किया। नौकरी के लिए अप्लाई करने पर प्रथम प्रयास में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर में क्लर्क के पद पर नियुक्ति मिल गई। बाद में इण्डियन बैंक में अवसर मिला। बैंक एक्जाम और इंटरव्यू का सिलसिला चलता रहा। सकारात्मक सोच, उत्साह, कार्य के प्रति निष्ठा और कड़ी मेहनत करके श्री पेड़ीवाल क्लर्क से सीनियर बैंक मैनेजर के पद तक पहुँच चुके हैं और उनके इस हौंसले की यात्रा अभी भी जारी है।


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