श्रीमद् भगवत ज्ञान, भक्ति व वैराग्य का संगम- पं मनावत
उज्जैन। श्रीमद् भागवत ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का संगम है। भागवत जीवन को संतुलित करती है। जीवन को श्रृंगारित करती है और जीवन को सदुपयोगी करती है। भागवत से चित्त की शुद्धि, मन की वृद्धि और धन की समृद्धि प्राप्त होती है। भागवत ना केवल अध्यात्म का बल्कि यह समाज का शास्त्र भी है। उक्त उद्गार श्री महेश धाम, अंकपात क्षेत्र में 18 से 24 जुलाई तक आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के अंतिम दिवस के समापन अवसर पर व्यासपीठ पर विराजमान मानस मर्मज्ञ पं. श्याम मनावत ने व्यक्त किये।
समापन के दिन कथा के पश्चात आयोजक सदस्य दिलीप लोया परिवार द्वारा तुलसी विवाह का आयोजन किया गया। तुलसी विवाह पूरे विधि विधान के साथ मनाया। भगवान श्री कृष्ण की बारात का भव्य स्वागत किया गया। पूरा कथा परिसर तुलसी विवाह के उत्सव से कृष्णमय हो गया। समापन से पूर्व प्रातः हवन हुआ एवं सभी मूलपाठी बटुकों तथा पंडित राजेश उपाध्याय का आयोजन समिति द्वारा सम्मान किया गया। आयोजन के सभी सदस्यों ने भागवत पूजन कर व्यासपीठ से आशीर्वाद प्राप्त किया। सभी कार्यकर्ता और संगीत सहयोगियों का भी सम्मान किया।
आरती में अतिथि के रूप में माहेश्वरी समाज के कुलगुरु पंडित सोहन भट्ट, अक्षर विश्व के संपादक सुनील जैन, रश्मि माहेश्वरी सहित कई गणमान्यजन उपस्थित थे। कथा की पूर्णाहुति पश्चात महाप्रसादी का आयोजन किया गया। आयोजन समिति के सदस्य दिलीप लोया तथा शैलेंद्र राठी ने पंडित श्याम मनावत, सभी श्रोतागण तथा सभी सहयोगियों का आभार माना। संचालन कैलाश डागा ने किया।
घर के बने 56 भोग से लगा नैवेद्य
श्रीमद् भागवत कथा का शुभारम्भ 18 जुलाई को दोपहर 2 बजे निकली भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ। शुभारम्भ राजा परीक्षित के जन्म प्रसंग से हुआ। अगले दिवस 19 जुलाई को श्री धु्रव चरित्र एवं नृसिंह अवतार, 20 जुलाई को श्री वामन अवतार, श्री रामजन्म व भरत कथा का आयोजन हुआ। 21 जुलाई को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। पं. मनावत जी ने कही कि विधि से विश्वास बड़ा होता है। ध्रूव को विधि से और प्रहलाद को विश्वास से भगवान मिले।
22 जुलाई को श्री गोवर्धन लीला प्रसंग के अवसर पर पं. मनावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि अपने सुख के लिए औरों के सुख को छीनना अतिक्रमण है परंतु औरों को सुख मिले इसके लिए अपने अधिकार से पीछे हट जाना प्रतिक्रमण है। अतिक्रमण से ही संघर्ष खड़ा होता है, प्रतिक्रमण से हर्ष पैदा होता है।
जीवन में यदि किसी को सुख पहुंचाना चाहते हो तो जीवन में प्रतिक्रमण सीखो। संसार में वे ही पूज्य हुए हैं जो परमार्थ में आगे आए। स्वार्थ से अतिक्रमण और परमार्थ से प्रतिक्रमण की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर भव्य रूप से गोवर्धन पूजा की गई। सभी आयोजकगण परिवार अपने घरों से 56 से अधिक पकवान श्री गोवर्धन के निमित्त प्रसाद बना कर लाए थे। यहां पर गौ पूजन भी किया गया। 23 जुलाई को श्री कृष्ण मथुरा गमन आदि प्रसंग तथा अंतिम दिवस 24 जुलाई को सुदामा चरित्र एवं भागवत सार, हवन, पूर्णाहुति एवं महाप्रसादी के साथ आयोजन का समापन हुआ।
इन्होंने सम्भाली कार्यक्रम की जिम्मेदारी
इस गरिमामय धार्मिक आयोजन के लिये ‘‘श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव आयोजन समिति’’ का गठन किया गया था। इस आयोजन समिति में पद्मश्री बंसीलाल राठी (चैन्नई), रामरतन लड्डा, महेश लड्डा, जगदीश राठी (तराना), रमेश हेड़ा, संदीप कुलश्रेष्ठ, जयप्रकाश राठी, दिनेश माहेश्वरी (इंदौर), दिलीप लोया, कैलाश डागा, भूपेंद्र भूतड़ा, मनसुख झंवर, नवल माहेश्वरी, उमेश मालू, महेंद्र परवाल, प्रेमलता देवपुरा, पुष्पा मंडोवरा, मंजू मंत्री (तराना), ओम पलोड, नरेंद्र चितलांग्या, प्रखर काकाणी, संतोष काबरा, अमित ईनाणी (इंदौर), लोकेन्द्र काबरा, अनिल मानधन्या, नवीन बाहेती, शैलेंद्र राठी, पुष्कर बाहेती आदि शामिल थे।