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ऊर्जा विज्ञान से वास्तु परामर्श देते- अनिल मोहता

वैसे तो भारतीय वास्तु शास्त्र अपने आप में एक ऐसा गूढ़ व परिष्कृत शास्त्र है, जो हमारे जीवन को सुखी बनाने के लिये पर्याप्त है। इसी ज्ञान को आधुनिक ऊर्जा विज्ञान तथा विभिन्न यंत्रों द्वारा सरल सहज बनाकर आधुनिक भवनों का भी अत्यंत सटिक वास्तु परीक्षण कर रहे हैं, इंदौर निवासी वास्तुविद अनिल मोहता ।


अनिल मोहता वैदिक वास्तु के क्षेत्र में एक ऐसा प्रतिष्ठित नाम है, जो किसी अन्य परिचय का मोहताज नहीं हैं। वास्तु में भवन निर्माण से संबंधित शास्त्रोक्त ज्ञान के साथ ही वे ज्योतिष आधारित वास्तु, अंक ज्योतिष, शगुन शास्त्र, रंग विज्ञान, एनर्जी साइंस, बायो एनर्जी, बॉडी स्कैन, ओरा यंत्र विज्ञान, मिनरल मंत्र व आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर वास्तु परामर्श भी प्रदान करते हैं।

भवन व भूमि को ऊर्जावान बनाने के लिए प्राचीन वास्तु शास्त्रों, आधुनिक एनर्जी साइंस तथा आधुनिक यंत्रों का बेहतर समन्वय करके निर्मित भवन अथवा नए बननेवाले भवनों को ऊर्जावान बनाने में जुटे हैं।


व्यावसायी परिवार में लिया जन्म

श्री अनिल मोहता का जन्म प्रसिद्ध कपड़ा व्यवसायी श्री ब्रजबल्लभ दास व श्रीमती मीना देवी मोहता के द्वितीय पुत्र के रूप में हुआ था। इंदौर में वैष्णव कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद 1985 में आपका विवाह प्रतिष्ठित समाजसेवी श्री बालकृष्ण-तुलसी देवी राठी की सुपुत्री ज्योति के साथ हो गया।

वास्तु के क्षेत्र में अपने रूझान के कारण श्री मोहता व्यवसायी परिवार में जन्म लेने के बावजूद वर्ष 1996 से वास्तु सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं। श्री मोहता ने वर्ष 2000 से 2006 तक सन्त शिरोमणि रामसुखदासजी के शिष्य राजेंद्र मांकड़ के साथ ही प्रभात पोद्दार अरविंदो आश्रम पांडिचेरी, बीएन रेड्डी हैदराबाद, डीडी शर्मा मुंबई से भी वास्तु के गूढ़ रहस्यों को जाना।


परामर्श से बनाए कीर्तिमान

श्री अनिल मोहता को राष्ट्रीय जैन संत श्री पुलक सागर जी के आशीर्वाद से उपलाट, वापी में निर्मित ‘जिन शरणम तीर्थ’ स्थान जैन दिगंबर मंदिर में वास्तु शास्त्र के अनुरूप निर्माण की सलाह देने का अवसर प्राप्त हुआ। यह मंदिर 100 करोड़ की लागत से बन रहा है, जिस पर गोल्ड प्लेटिंग होगी।

भारत के विभिन्न शहरों के अलावा दक्षिण अमेरिका, नेपाल, जर्मनी, चाइना एवं स्विट्जरलैंड आदि देशों में वास्तुकार्य हेतु उनका प्रवास भी रहा है। मुंबई में शापूरजी पालोनजी समूह, प्रोजेक्ट विसिनिया पवई, चांदिवली, मुंबई जिसमें 560 फ्लैट के प्रोजेक्ट में भूमि भवन को वास्तु शास्त्र द्वारा एनर्जी बैलेंस कर 2019 में पूर्ण किया।

श्री मोहता इंदौर में प्रिंसेस बिजनेस, स्काईपार्क 1-2 प्रकाश स्नेक्स, येलो डायमंड चिप्स मान ग्रुप व बड़े शेयर ब्रोकर हाउस आदि के भी वास्तु सलाहकार रहे हैं।


उपाय शास्त्रों में वर्णित नहीं

आपके अनुसार वास्तु शास्त्र द्वारा एनर्जी बैलेंस कर किसी भी भवन, भूमि, घर, फ्लैट ऑफिस, इंडस्ट्रीज, टाउनशिप, हाई राइज बिल्डिंग, रिसोर्ट, मैरिज गार्डन आदि को बिना अधिक तोड़-फोड़ करे भी ऊर्जावान बनाया जा सकता है व मानसिक शांति, स्वास्थ लाभ व प्रगति पाई जा सकती है।

आपका यह भी मानना है कि भूमि के भीतर होने वाली रासायनिक क्रियाओं की वजह से जो जियो पैथिक स्ट्रेस, मैग्नेटिक, इलेक्ट्रिको मैग्नेटिक फील्ड जगह जगह पाया जाता है वैसे ही वातावरण में मौजूद इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों की वजह से वातावरण में तापमान अधिक व वायु में ऑक्सीजन की कमी हो गई है।

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के बढ़ने का कारण उच्च वोल्टेज, इलेक्ट्रिक लाइन, संचार उपकरण, टावर, मोबाइल, सैटेलाइट रिसीवर, डिवाइस डिश टीवी आदि वाहरी वातावरण पर प्रभाव डाल रहे है जिससे भूमि की उर्वरता व वातावरण में ऑक्सीजन प्रभावित होती है। इसी कारण पेड़-पौधे, फसल आदि भी पूर्ण रूप से फल फूल नहीं पाते हैं।


स्वास्थ्य को चुनौती देते उपकरण

घर के भीतर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक उर्जा उत्सर्जन वाईफाई डिवाइस, मोबाइल, लैपटॉप, माइक्रोवेव आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से होता है। यह सभी चीजें जीवन को आसान बनाने के बावजूद कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन रही हैं। विशेष रूप से प्राथमिक विद्यालय की आयु में बच्चों द्वारा मोबाइल के उपयोग से आयु कम हो रही है, शारीरिक दुर्बलता जैसे देखने या सुनने की क्षमता में भी कमी आ रही है।

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के अधिक संपर्क में आने से तनाव, सिरदर्द, थकान, सीखने की क्षमता में कमी, रचनात्मक कार्यों में कमजोरी व एकाग्रता में कमी हो रही है। इनका कारण मोबाइल फोन से निकलने वाली माइक्रोवेव विकिरण के अधिक संपर्क में रहना होता है तथा इसी कारण ये घातक किरणें किडनी, मानव शरीर के उक्त रक्तचाप व पाचन क्रिया को भी प्रभावित करती है क्योंकि उच्च डिग्री विद्युत चुंबकीय ऊर्जा अवशोषण शरीर में आवश्यक विद्युत प्रवाह को बदल सकता है तथा शरीर में तापमान वृद्धि कर रक्त परिसंचरण को प्रभावित कर सकता है जिससे कैंसर, शुगर, हार्टअटैक व कोलेस्ट्रोल आदि बीमारियां उत्पन्न होती हैं।

ईएम टूल एमएसएस प्लेट, रिवर्सल, क्रिस्टल, मेटल आदि जैसी वस्तुओं का प्रयोग कर विद्युत के चुंबकीय प्रभाव व माइक्रोवेव अल्ट्रावायलेट रेंज आदि के दुष्प्रभाव को दूर किया जा सकता है। भूमि के अधिक चुंबकीय प्रभाव व वातावरण में माइक्रोवेव तरंगों को दूर करने के लिए जमीन के अंदर व ऊपर उपकरण लगाकर विकिरण के दुष्प्रभाव को भी समाप्त किया जा सकता है।

विशेष रूप से ये वास्तु संसाधन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इम्यून सिस्टम को दूषित नहीं होने देते हैं और हमारा शरीर भी स्वस्थ रहता है।


वर्तमान में उपयोगी कुछ टिप्स

श्री अनिल मोहता का कहना है कि आज के महामारी के समय में शास्त्रों में कुछ उपाय दैनिक जीवन में करने की प्रथा चली आ रही है उसे अधिक से अधिक प्रयोग करें। सुबह शाम कंडे पर गूगल, कपूर, नीम की सुखी हुई पत्ती घर में अवश्य जलाएं। यह वातावरण के साथ शरीर में फेफड़ों के लिए भी लाभप्रद हैं। शास्त्रों में कई जड़ी-बूटी व लकड़ी के साथ हवन द्वारा शुद्धिकरण करना भी बताया गया है।

वातावरण में उत्पन्न जितने भी कीड़े-मकोड़े, मच्छर, बारीक बैक्टीरिया जो आंखों से नहीं देखे जा सकते हैं वह इस गंध के प्रभाव से प्रभावित होकर घर में प्रवेश नहीं कर पाते। धागे में नींबू और मिर्च डालने से धागा उसके रस से गिला होता है और उसकी गंध से भी कीड़े मकोड़े दूर रहते हैं। भवन के भीतर पूजन सामग्री द्वारा हवन, धूप या दीप का विधान है, जंतु इनकी गन्ध से भी प्रवेश नहीं करते।

जैसे मच्छर के लिए केमिकल निर्मित अगरबत्ती, फिनाइल या सैनिटाइजर स्प्रे किया जाता है उसी प्रकार शंखनाद, ओम धुन या घंटी बजाना आदि से साउंड फ्रीक्वेंसी निकलती है, उससे भी कीड़े – मकोड़े नष्ट होते हैं।

अभी वर्तमान में वातावरण में गांव में शहरों के मुकाबले 18 प्रतिशत ऑक्सीजन अधिक है ऐसे में घर के आस-पास ऑक्सीजन देने वाले अरेका पाम, लेडी पाम, एलोवेरा, गोल्डन पोथोस, डेंडरोबिम ऑर्किड, स्पाइडर प्लांट, स्नेक प्लांट, नागफनी जैसे पेड़ पौधे अधिक से अधिक लगावे ताकि वर्तमान में चल रहे पेंडेमिक कोविड-19 व आने वाले समय में 5जी के रेडिऐशन को नियंत्रित कर सकें। इस आधुनिक साईंस के साथ नेगेटिव ऊर्जा को नियंत्रित रख स्वस्थ्य जीवन जीना ही उद्देश्य होना चाहिऐ।


Via
Sri Maheshwari Times

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