Personality of the month

औद्योगिक वास्तु विशेषज्ञ- डॉ उमेश कुमार राठी

वास्तु हर भवन की संरचना के शुभ अशुभ का निर्धारण करता है। इससे आवास व मंदिर आदि के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र भी अछूता नहीं है। वर्तमान दौर में तो यह उद्योग जगत के उत्थान-पतन द्वारा देशों की अर्थव्यवस्था तक को निर्धारित करता है। कलकत्ता के डॉ. उमेश कुमार राठी एक ऐसे ही वास्तुविद् हैं, जो उद्योगों को भी वास्तु परामर्श दे रहे हैं। वैसे तो इसी क्षेत्र तक उनकी सेवाऐं सिमटी हुई नहीं है, लेकिन देश-विदेश हर जगह इस क्षेत्र विशेष में अपनी उत्कृष्ट सेवा देने के कारण उनकी पहचान ही बन गई है, औद्यौगिक वास्तुविद्।


डॉ राठी, M.D. (AM), MIIHT (Mexico) Doctor of Science (H.C.), Colombo जैसी उपलब्धियों के साथ ही वास्तुशास्त्र में पीएच.डी की उपाधि भी प्राप्त है। वास्तु के क्षेत्र में वर्षो की गहन शोध से प्राप्त ज्ञान का उनके पास अथाह सागर है जो डॉ. राठी लोगों को दे रहे हैैं। चाहे वर्तमान में डॉ. राठी वास्तुशास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त है, लेकिन इसकी प्रेरणा उन्हें पैतृक रूप से ही मिली।

सन् 1958 में आर्वी महाराष्ट्र में जन्में डॉ. राठी को जन्म से ही धार्मिक परिवेश मिला। वास्तव में देखा जाए तो धार्मिक साहित्य में भी वास्तु के कुछ गूर अवश्य ही होते है। इसी का परिणाम है कि उच्च अध्ययन के दौरान वास्तुशास्त्र उनका मूल विषय बन गया और इसके बाद भी उनकी उच्च अध्ययन की सतत् रूप से चलती रही यात्रा।

इस दौरान उन्हें स्वर्ण पदक एवं अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। डॉ. राठी एनआरआई वेलफेयर सोसाईटी द्वारा 2012 में हिन्द रत्न ‘ज्वेल ऑफ इंडिया’ से सम्मानित हुऐ। वर्तमान में भी उन्हें देश-विदेश की यात्रा के दौरान जो भी कुछ नया ज्ञान मिलता है, उसे ग्रहण करने में वे देर नहीं करते।


ऊर्जा संतुलन पर केन्द्रित उनका परामर्श

डॉ.राठी की शोध यात्रा पीएच.डी पर भी थमी नहीं है, बल्कि यह सतत् रूप से चलती ही जा रही है। इसी का परिणाम है कि उन्होेंने वास्तु व विभिन्न ऊर्जाओं के संतुलन तथा नकारात्मक ऊर्जा के निष्कासन के लिये ‘‘एनर्जी बेलेन्सिंग सिस्टम’’ विकसित किये हैं।

इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य समस्या के समाधान, वि़द्यार्थी व युवाओें में आत्मविश्वास की वृद्धि, पूजा-हवन-ध्यान,शांति व समृद्धि तथा आध्यात्मिक ज्ञान की उत्पत्ति जैसे मुद्दों को लेकर भी डॉ. राठी ने गहन शोध से ‘‘ एनर्जी बेलेन्सिंग सिस्टम’’ का विकास किया है।

उनके अनुसार ये ‘‘एनर्जी बेलेन्सिंग सिस्टम’’ काफी हद तक इन समस्याओं के समाधान व लक्ष्य की प्राप्ति पर खरे उतर रहे हैं।


देश की सीमा से बाहर भी सेवा

कलकत्ता के डॉ. उमेश कुमार राठी की पहचान देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक एक प्रख्यात वास्तुविद के साथ ही नैसर्गिक शक्तियों के विशेषज्ञ के रूप में भी है। औद्योगिक जगत के वास्तुविद् के रूप में तो उनकी एक विशिष्ट पहचान है। यही कारण है कि देश तो ठीक विदेशों के कई औद्योगिक घराने भी जब कभी समस्या आती हैं, तो उनसे परामर्श लेने में नहीं चूकते।

यही कारण है कि चाहे उनका निवास कलकत्ता हो लेकिन वे वहाँ आसानी से उपलब्ध नहीं होते। अक्सर उनकी सुबह कहीं होती है, तो रात कहीं और। देश के विभिन्न क्षेत्र ही नहीं। बल्कि नेपाल, सिंगापुर, इण्डोनेशिया, मलेशिया व दुबई आदि कई देशों में डॉ. राठी अपना परामर्श देकर भारतीय वास्तु शास्त्र का ध्वज फहरा चुके हैंं।


विशुद्ध विज्ञान है वास्तुशास्त्र

डॉ. उमेश कुमार राठी का कहना है कि वास्तुशास्त्र वास्तव में विज्ञान का ही दूसरा नाम है। भारतीय ऋषि मुनियों ने पंचों महाभूतों के संतुलन की बारीकियों को खोजकर ही इसके नियम बनाए हैं। डॉ.राठी निर्माण के वास्तु सम्मत होने पर तो जोर देते हैं साथ ही उन्होेंने निर्माण संशोधनों के लिये नैसर्गिक ऊर्जा संतुलन के अपने तरीके भी विकसित किये है।

इनमेंं किसी भी भवन या उ़द्योग का इन्टीरियर तो शामिल है ही, साथ ही इसमें गणपति,ऊँ व स्वास्तिक की आकृतियाँ भी शामिल हैं। उनका मानना है कि इन्हें ठीक दिशा व स्थान पर लगाऐ जाने से सुख,शांति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। उनका मानना है कि शास्त्रोक्त विधि से किये जाने वाले यज्ञ आदि से भूमि की ऊर्जा का संतुलन होता है।


उद्योगो की ओर विशेष रूझान क्यों?

डॉ. उमेश कुमार राठी का कहना है कि पाश्चात्य प्रभाव से यदि कोई क्षेत्र सर्वाधिक रूप से प्रभावित हुआ है,तो वह औद्योगिक व कार्पोरेट कार्यालयों के भवनों का निर्माण ही है। बेशुमार फर्नीचर,डेकोरेटिव सामग्री व उटपटांग ढंग से हुए निर्माण ने इनके वास्तु को पूरी तरह विकृत कर दिया है।

इनका ही परिणाम है कि ये क्षेत्र आधुनिक सुख-सुविधाओें के होते हुए भी अशांत,परेशान व उदासीन दिखते है। इसका प्रभाव इनके हजारों श्रमिकों एवं स्टॉफ कर्मचारियों पर होता है। डॉ. राठी कहते है कि इसी कारण उन्होेंने इस क्षेत्र को प्राथमिकता दी। वैसे वे सभी की सुख-समृद्धि के लिये भी कार्य कर रहे हैं।


Via
Sri Maheshwari Times

Related Articles

Back to top button