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हथेली खोलेगी सफलता के राज़

सफलता किसे अच्छी नहीं लगती? कौन व्यक्ति जीवन में सफल होने की कामना नहीं करता? सभी व्यक्ति खुद को अपने जीवन में सफल होते हुए देखना चाहते हैं। लेकिन सफलता आसानी से नहीं मिलती। उसके लिए चाहिए कर्म में कुशलता, दृढ़संकल्प, अखंड आत्मविश्वास, ध्येयनिष्ठा, अध्यवसाय लगन और कर्म की निरन्तरता। साथ में यदि भाग्य भी साथ देवे तो कहना ही क्या? तो आईये आपकी हाथ की लकीरों से जानें सफलता के राज़

सफलता के राज़

सफलता के मानकों के निशान आपके सफल होने की तीव्र महत्वाकांक्षा होने पर आपकी हथेली में उतर आते हैं। इनको हस्तरेखा शास्त्री आसानी से पढ़ सकते हैं। हथेली में 5 प्रमुख रेखाएं होती हैं, ये हैं- जीवन रेखा, मानस रेखा, हृदय रेखा, भाग्य रेखा एवं सूर्य रेखा। सफलता भाग्यरेखा एवं सूर्य रेखा से जुड़ी होती है।

इसमें भी सूर्यरेखा काफी महत्वपूर्ण है। इससे ही व्यक्तित्व को प्रांजलता, प्रखरता और तेजस्विता मिलती है। सूर्य रेखा ही यश और कीर्ति रेखा है। इसका ऐसी प्रत्येक गतिविधि से संबंध रहता है। यह अनामिका अंगुली के नीचे सूर्य पर्वत पर एक लंबी रेखा होती है।


शनि रेखा भी अत्यंत महत्वपूर्ण

सफलता देखने के लिए शनि रेखा के साथ मानस रेखा और सूर्य रेखा भी देखना आवश्यक है। सूर्य रेखा शनि रेखा की सहायक रेखा है। शनि रेखा व्यक्ति के धन संबंधी प्रयत्नों की मात्रा बताती है।

सूर्य रेखा यदि साथ हो तो उसे प्रयत्नों का फल अवश्य प्राप्त होता है, अन्यथा फल प्राप्ति में विलंब होता है। शनि रेखा में से निकलने वाली सूर्य रेखा मनुष्य के अपने ही प्रयत्नों से मिलने वाली सफलता को अभिव्यक्त करती है।


बदलती भी हैं हस्त रेखाऐं

हमारी कामनाएँ-इच्छाएँ-महत्वाकांक्षाएं जितनी तेज और प्रखर होती हैं, उतनी ही तेजी से हथेली में परिवर्तन आते हैं। आप असफल तब होते हैं, जब उथले मन से कार्य करते हैं। दृढ़ता और संकल्पपूर्वक कार्य करते रहने से असफलता पास भी नहीं फटकती।

हमारे चित्त की दृ़ढ़ता और संकल्प की शुद्धता का प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है और मस्तिष्क में जो भी योजना संकल्पबद्ध होती हैं, उसका सीधा असर हथेली की रेखाओं पर पड़ता है और इस तरह हमारी पॉजिटिव सोच हमारे द्वारा सकारात्मक कार्य कराती है।


ये स्थितियाँ भी अत्यंत महत्वपूर्ण

  • मंगल क्षेत्र से सूर्य रेखा का उदय संघर्षों से प्राप्त होने वाली सफलता का लक्षण है।
  • चंद्रपर्वत से सूर्यरेखा का उदय एक शुभ लक्षण है। ऐसे व्यक्ति समाज और जनता के माध्यम से यश तथा प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। राजनीतिज्ञों, कवियों, लेखकों, वक्ताओं, गायकों और अभिनेताओं के लिए इसी उद्गम वाली सूर्य रेखा प्रभावशाली और तुरंत फलदायिनी होती है।
  • जब सूर्य रेखा दोनों हाथों में सुस्पष्ट हो तो सफलता, सुदीर्घ हो तो धन और यदि ऐसी रेखाओं के साथ गुरू पर्वत समुन्नत हो तो व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बनाती है।
  • यदि सूर्य रेखा स्थान स्थान पर टूटी फूटी हो तब व्यक्ति के सारे प्रयत्न निष्फल हो जाते हैं। रेखा पर द्वीप, वृत्त आदि इसकी शक्ति घटाते हैं। सूर्य रेखा के अंत में तारा हो तब शुभ संकेत होता है।
  • जब सूर्य रेखा के अंत में तीन शाखाऐं हों- जिनमें से एक-एक बुध और शनि पर्वत पर जा रही हों- तब व्यक्ति को असाधारण सफलताएं मिलती है।
  • जब सूर्य रेखा विवाह रेखा को काटे तो व्यक्ति को अनमेल विवाह के कारण अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा से हाथ धोना पड़ता है।
  • सूर्य रेखा को काटने वाली आड़ी रेखा प्रतिष्ठा हानि और सफलता में व्यवधान बताती है।
  • जब सूर्य रेखा अच्छी हो किंतु सूर्य पर्वत पर दो लहरदार रेखाएं उपस्थित हों तब व्यक्ति प्रतिभा का अनुचित दिशाओं में प्रयोग करता है। यह हथेली के मध्य भाग से शाखा के रूप में उदित हो तो शुभ विवाह की सूचक है।
  • सूर्य पर्वत पर खड़ी रेखाएं अधेड़ावस्था में सफलता बताती हैं। यदि सूर्य रेखा के साथ अकामक मंगल पर्वत भी विकसित हो तो पुलिस, सेना, खेल आदि क्षेत्रों में व्यक्ति यश प्राप्त करता है।

Via
Sri Maheshwari Times

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