सेवा पथ भी जिनके सामने नतमस्तक पद्मश्री बंशीलाल राठी
समाजसेवा की भावना क्या होती है? इसके लगभग प्रतिरूप ही बन चुके है, बाबूजी पद्मश्री बंशीलाल राठी आखिर उनकी इस उत्कृष्ट भावना के सामने सेवापथ भी क्यो नतमस्तक न हो, जब उनकी इस भावना के सामने उम्र की बाधा तक नतमस्तक है। कई बार अस्वस्थता की स्थिति के कारण बेड़ से भी नहीं उठ पाते लेकिन फिर भी चाहे श्री आदित्य बिड़ला व्यापार सहयोग केन्द्र का कोई काम हो या अन्य कोई सामाजिक कार्य वे अपनी जिम्मेदारी इस स्थिति में भी बखूबी निभाते हैं।
पद्मश्री बंशीलाल राठी आज समाज के लिये सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि समाजसेवा के पथ पर एक ऐसा वरदहस्त है, जिनकी मौजूदगी मात्र ही हर कार्य की सफलता है। यह उनकी प्रबल समाजसेवा की भावना ही है कि उन्होंने जो सेवा के पौधे दशकों पूर्व रोपे उन्हें वे आप उम्र के इस पड़ाव पर भी उसी तरह सींच रहे हैं, बढ़ती उम्र की असमर्थता की परवाह किये बिना।
यदि वे बेड पर हैं और कोई समाज का कोई कार्य लेकर पहुँच जाए तो भी उसे खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता। चाहे आदित्य विक्रम बिड़ला व्यापार सहयोग केन्द्र हो या महासभा इनकी शायद ही कोई ऐसी बैठक होगी जिसमें उनकी उपस्थिति न रही हो, चाहे व्हीलचेयर पर ही सही लेकिन पहुँचे अवश्य।
कैरियर की ओर बढ़ते युवाओं को प्रेरणा:
आज उच्च शिक्षित होते हुए भी बड़ी संख्या में युवा बेरोजगारी का रोन रोते दिखाई ऐ जाऐगे। ऐसे युवाओं के लिये तो बाबूजी रोल मॉडल ही है। 14अगस्त 1933 को नागौर (राजस्थान) के खींवसर ग्राम में सेठ श्री गंगाधर राठी के यहाँ जन्मे बंशीलाल राठी वास्तव में एक अद्भुत व्यक्तित्व हैं। मात्र प्राइमरी स्तर तक शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद उन्होंने शून्य से शिखर की ऊँचाई पर हैं।
वर्तमान में स्टील फाइनेंस, एक्सपोर्ट आदि कई व्यवसाय व उद्योगों का संचालन कर रहे हैं। समाजसेवा के अंतर्गत अभा माहेश्वरी महासभा के सभापति जैसे शीर्ष पद की जिम्मेदारी भी निभाई। समाज की कई संस्थाओं व ट्रस्टों के विकास के मूल में आपका अभूतपूर्व योगदान है।
उन्होंने समाज को राह दिखाई कि सिर्फ संस्था बनाकर छोड़ देना, नहीं बल्कि उसकी देखरेख कर उसे बड़ा करना भी हमारा कर्तव्य होता है। ऐसी अनगिनत संस्थाएँ हैं, जिनमें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से बाबूजी सहयोगी बने हुए हैं।
उम्र के इस पड़ाव पर भी आदित्य बिड़ला केन्द्र की जिम्मेदारी:
बाबू जी कई बार लम्बे समय तक इतने अस्वस्थ रहते है कि उन्हें बेड़ पर ही रहना पड़ता है। वैसे भी अब बिना सहारे के चलना फिरना उनके लिये सम्भव नहीं। इसके बावजूद बाबूजी अ.भा. माहेश्वरी महासभा के कार्यकारी मंडल सदस्य तथा शीर्ष सेवा संस्था के कार्याध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभा रहे है।
वर्तमान में श्री आदित्य विक्रम बिड़ला व्यापार सहयोग केंद्र समाज के आर्थिक विकास की धुरी बन चुका है। इसकी स्थापना भी श्री राठी के अभा माहेश्वरी महासभा के सभापतित्वकाल में वर्ष 1997 में हुई थी। इसके पश्चात यह बिड़ला उद्योग समूह की चेयरपर्सन राजश्री बिड़ला की अध्यक्षता में सतत रूप से कार्य कर रहा है। प्रारंभ से ही श्रीमती बिड़ला ने श्री राठी को इस संस्था का नेतृत्व कार्याध्यक्ष के रूप में सौंप दिया था।
तब से ही इसे शून्य से शिखर की ऊँचाई देने में श्री राठी के नेतृत्व का बहुत बड़ा योगदान है। इसे उनका जज्बा ही कहा जाए कि संस्था द्वारा कोष संग्रहण का जो भी लक्ष्य तय किया गया श्री राठी ने सदैव ही उससे अधिक की लक्ष्य पूर्ति की। बढ़ती उम्र की परेशानी व अस्वस्था के बावजूद हर किसी को विश्वास रहता है कि बाबूजी श्री राठी अपने इस लक्ष्य को अवश्य ही पूरा कर लेंगे, क्योंकि कभी असफलता देखी ही नहीं।