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क्या शुभाशुभ फल लेकर आएंगे शनिदेव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे जीवन का सभी शुभ-अशुभ फल नवग्रहों पर आधारित है। ऐसे में किसी भी राशि में सर्वाधिक अवधि 30 माह तक रहने वाला ग्रह शनि स्वाभाविक रूप से हमें सबसे अधिक प्रभावित करेगा। आगामी 24 जनवरी को शनिदेव राशि परिवर्तन कर धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। तो आईये जानें आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लेकर आएंगे शनिदेव और क्यों?

मंद गति से भ्रमण करने वाला मंदी ग्रह शनि लगभग 30 माह में राशि परिवर्तित करता है। गोचर भ्रमणवश शनिदेव 24 जनवरी 2019 को प्रातः 9.52 बजे धनु से अपनी स्वराशि मकर में प्रवेश करेंगे। 11 मई को शनि मकर राशि में ही वक्री होकर 29 सितंबर 2019 को मार्गी होंगे। राशि परिवर्तन के कारण शनि की ढैया तथा साढ़ेसाती से व्यक्ति विशेष प्रभावित होते हैं।

मकर राशि में शनि के प्रवेश करते ही वृश्चिक राशि के व्यक्ति साढ़ेसाती से और कन्या व वृष राशि के जातक शनि की ढैया से मुक्त हो जाएंगे। शनि जनित शुभाशुभ फलों की प्राप्ति के संदर्भ में, शनि राशि परिवर्तन के समय उसके पाया फल का विचार भी कर लेना चाहिए। शनि सदैव अशुभ फल ही प्रदान करते हैं, यह भ्रांति गलत है।

वस्तुतः शनि कर्म प्रधान ग्रह हैं। कर्मनिष्ठ व्यक्तियों को शनि कुशल प्रशासक तथा प्रबंधक बनाता है। संतुष्ट होने पर राज्यसुख, मान प्रतिष्ठा और पदवी देता है। अकर्मण्य व्यक्तियों को शनि प्रताड़ित करते हैं, ताकि वे सन्मार्ग पर चलने के लिए उत्प्रेरित हो सकें। न्यायप्रिय देवता होने के कारण शनिदेव व्यक्ति के पाप कर्मों का न्याय कर उन्हें पाप मुक्त करते हैं।

कैसे प्रभावित करेंगे शनिदेव

शनि की दृष्टि विच्छेदात्मक होती है। यह जिस राशि अथवा भावः पर दृष्टि डालता है। उस भाव से संबंधित फलों में प्रायः न्यूनता लाता है। शनि 3, 7 व 10वें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है। मकर राशि में गतिशील शनि मीन राशि को तृतीय पूर्ण दृष्टि से देखेगा, सप्तम एवं दशम पूर्ण दृष्टि क्रमशः कर्क और तुला राशि पर रहेगी। इसी प्रकार शनि के पाये से भी विचार किया जा सकता है।

जिस दिन शनि राशि परिवर्तन करता है, उस दिन गतिशील चंद्रमा आपकी राशि से 1, 6, 11वें स्थान में हो तो सोने के पाये से, 2, 5, 9वें स्थान में चांदी,  4, 8, 12वें स्थान में लोहे तथा 3, 7, 10वें स्थान पर हो तो तांबे के पाया से शनि का प्रवेश होता है।

उदाहरण देखें माना आपकी राशि मेष है और शनि राशि परिवर्तन के दिन चंद्रमा मकर राशि में गतिशील हो तो, मेष से मकर राशि दसवें स्थान पर होने के कारण शनि परिवर्तन के दिन चंद्रमा मकर राशि में गतिशील हो तो, मेष से मकर राशि दसवें स्थान पर होने के कारण शनि का प्रवेश तांबे के पाये से होगा। इसी प्रकार अन्य राशियों के बारे में जाना जा सकता है।

24 जनवरी को शनिदेव जब प्रातः 09.52 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उस समय चंद्रमा मकर राशि में गतिशील रहेगा। फलस्वरूप सिंह, मकर व मीन राशि पर स्वर्ण का पाया (संघर्ष पूर्ण), मेष, कर्क एवं वृश्चिक राशि पर ताम्र (तांबा) पाया (शुभफलप्रद), वृष, कन्या व धनु राशियों पर रजत पाया (सबसे उत्तम) और मिथुन, तुला एवं कुंभ राशियों पर लौह पाया (अशुभ) से शनि प्रवेश करेगा।

शनि साढ़ेसाती व ढैया भी बदलेगा

गोचर भ्रमणवश जब शनि किसी जातक की राशि से बारहवें, प्रथम या द्वितीय स्थान में हो तो वह शनि की साढ़ेसाती कहलाती है। वहीं चौथे या आठवें स्थान पर शनि संचार करे तब शनि की ढैया कहलाती है। शनि के मकर राशि में प्रवेश करते ही कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होगी जबकि धनु और मकर राशि पर साढ़ेसाती यथावत चलती रहेगी।

वहीं वृश्चिक राशि के जातक साढ़ेसाती के प्रभाव से मुक्त हो जाएंगे। कन्या और वृष राशि से शनि की ढैया उतरकर तुला और मिथुन राशि पर प्रारंभ होगी। शनि की ढैया और साढ़ेसाती से प्रभावित व्यक्तियों को मानसिक अशांति, धनाभाव, शारीरिक कष्ट, नौकरी व्यवसाय में परेशानी आदि कष्ट हो सकते हैं।

परंतु ध्यान रखें जन्मकुंडली में शनि श्रेष्ठ स्थान, उच्च, स्वग्रही या मित्र राशि में हो और दशान्र्तदशा श्रेष्ठ चल रही हो तो उनके लिए शनि ढैया और साढ़ेसाती काल में अशुभ न होकर शुभ फलदायक ही रहेगा। परंतु चंद्र और शनि अशुभ ग्रहों से युक्त होकर अशुभ भावों में बैठे हों तो ढैया और साढ़ेसाती नेष्ट फलदायक होती है।

ऐसे पाएं अशुभ फलों से मुक्ति

शनिदेव को रिझायें – शनि जयंती को सायंकाल सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि मंत्री ‘ॐ प्रां प्रीं प्राँ सः शनये नम’ का जाप करें। इस मंत्र का जप प्रत्येक शनिवार को जारी रखें। हनुमानजी की उपासना करें। पक्षियों को दाना डालें और पानी के परिंडे रखें। छायादार पेड लगाएं।

शनि के व्रत – भक्तिपूर्वक शनिवार का व्रत करें। शनि महाराज का तेलाभिषेक कर कंगन, खीर, कचौरी, काले गुलाब आदि का भोग लगाएं। लोहवान युक्त रूपई की वर्तिका (बत्ती) बनाकर उसे कड़वे तेल में डालकर संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक लगाएं।

शनि के दान – अनिष्ट फल निवारणार्थ शनि की प्रिय वस्तुओं तिल, तेल, कुलथी, उड़द, काला वस्त्र, काला पुष्प, जूता, कस्तूरी, नीलम, कटेला, स्टील या लौह पात्र, सप्त धान्य (जौ, गेहूं, चावल, तिल, कागनी, उड़द, मूंग) आदि का दान किसी वृद्ध ब्राह्मण, दीन-हीन, गरीब व्यक्ति, अपंग, बेसहारा आदि को अपनी सामथ्र्य के अनुसार दक्षिणा सहित करना शुभ होता है। न्याय पर चलें और कर्मनिष्ठ बनें। कुष्ठ रोगी, अपंग, बेसहारा तथा वृद्धजनों का सम्मान एवं यथासंभव उनकी मदद करें।

शनि के मंत्र – जप शनि के वैदिक मंत्र ‘ॐ शन्नो देवीरभिष्टऽआपो भन्वतुपीतये शय्योरभिस्रवन्तु नः’ का यथाशक्ति जाप करें। दशरथ कृत ‘शनि स्तोत्र, शनि दसनाम स्तोत्र, गजेंद्र मोक्ष आदि का पाठ करें। शनिवज्र पंजर कवच के शमी, खेजड़ा अथवा पीपल वृक्ष के पास सात बार पाठ करना विशेष फलदायी होता है।

छायादान – स्टील के बर्तन में सरसों का तेल भरें, उसमें एक सिक्का डालकर शनिवार के दिन प्रातः अपना चेहरा देखें और इस तेल को आक के पौधे पर डालें अथवा शनि मंदिर में दान करें। ऐसा पांच शनिवार तक करें। अंतिम शनिवार को तेल के साथ उस बर्तन का भी दान कर दें। तेल चढ़ाते समय शनि मंत्र का जाप करें।

शनि बाधा निवारण यंत्र – सात मुख रुद्राक्ष शनि ग्रह द्वारा संचालित एवं महालक्ष्मी द्वारा नियंत्रित होता है। वहीं श्री यंत्र महालक्ष्मी का प्रतीक है। सात मुख रुद्राक्ष को श्री यंत्र के साथ लगाकर बनाए गए लाकेट को गले में धारण करने से व्यक्ति मां लक्ष्मी का कृपा पात्र बनता है और धन संपदा युक्त वैभवशाली जीवन यापन करता है। साथ ही इस लॉकेट को पहनने से शनि जनित पीड़ा से मुक्ति मिलती है। शनि की ढैया और साढ़ेसाती काल में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है एवं ना कारोबार, रोजगार स्थापित करने में मदद मिलने की संभावना बढ़ती है।

क्या होगा १२ राशियों पर फल ?

मेष- इस राशि पर दशमस्थ शनि का प्रवेश ताम्र पाया से होगा। बिगड़े कामों में सुधार होगा। आकस्मिक लाभ भी होंगे। राज्य सत्ता से लाभ, वाहन व धन लाभ, दाम्पत्य सुख, पदोन्नति के योग बनेंगे।

वृष- इस राशि पर शनि का प्रवेश रजत पाया से नवम भाग्य स्थान में होगा। अतः व्यापार से भाग्योन्नति, भूमि वाहनादि सुख व धर्म-कर्म में वृद्धि होगी।

मिथुन- इस राशि पर लौह पाया से शनि की ढैया प्रारंभ होगी। व्यवसायिक उलझनें बढ़ेंगी। खर्च अधिक होगा। मानसिक तनाव, पारिवारिक क्लेश जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। कठोर परिश्रम से कुछ लाभ की संभावना बनेगी। सुविवेक से कार्य करना उचित रहेगा।

कर्क- शनि का प्रवेश ताम्र पाया से सप्तम स्थान में होने के कारण आय के कुछ साधन बनते रहेंगे। मांगलिक कार्य संपादित होंगे एवं शुभ कार्यों पर खर्च होने के योग बनेंगे। शनिदेव की सप्तम पूर्णदृष्टि इस राशि पर रहेगी। कारोबार में बाधा, आय कम तथ खर्च अधिक होंगे।

सिंह- इस राशि पर शनि का प्रवेश स्वर्ण पाया से होगा। शारीरिक कष्ट, आय कम खर्च अधिक, तनाव से परेशानी के योग हैं। आपकी राशि से शनि छठवें स्थान पर होने से शत्रु हावी होने की कोशिश करेंगे। सावधान रहें। विषम परिस्थितियों के बावजूद निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे।

कन्या- रजत पाया से पंचमस्थ शनि के कारण उच्चविद्या प्राप्ति, पदोन्नति, धन लाभ, उत्साह में वृद्धि तथा विवाह आदि सुखों की प्राप्ति होगी।

तुला- लौह पाद से शनि की ढैया प्रारंभ होगी। धन का अपव्यय, मानसिक तनाव, माता को कष्ट, गृहक्लेश तथा व्यवसाय में उलझनें बढ़ने के संकेत है। इस राशि को शनि दशम मित्र दृष्टि से देखेगा। अतः परेशानियों के साथ आय के साधन बनते रहेंगे।

वृश्चिक- ताम्र पद से तृतीयस्थ शनि शुभ रहेगा। भूमि, मकान, वाहनादि, सुख धन लाभ, विदेश गमन तथा भूमि वाहनादि सुखों की प्राप्ति होगी।

धनु- चांदी के पाया से शनि की साढ़ेसाती गतिशील रहेगी। पाया रजत होने से धन लाभ, विदेश गमन तथा भूमि वाहनादि सुखों की भी प्राप्ति होगी।

मकर- इस राशि पर सोने के पाया से शनि की साढ़ेसाती यथावत जारी रहेगी। फलस्वरूप शरीर कष्ट, तनाव एवं संघर्ष अधिक रहेगा। आय कम खर्च बढ़ेगा। नेत्र, छाती, पैर में पीड़ा की शिकायत रहेगी। स्वजनों, मित्रों से विवाद, बुद्धि मालिन्य और शासन से भय की संभावना रहेगी।

कुंभ- इस राशि से शनि से बारहवें स्थान पर आने से साढ़ेसाती प्रारंभ होगी। पारिवारिक एवं व्यवसायिक उलझनें बढ़ेंगी। शनि पाया भी लोहे का होने के कारण कार्य व्यापार में विघ्न एवं विलंब पैदा होंगे। खर्च अधिक, व्यापार में लाभ कम, निकटस्थ, भाई बंधुओं से मतान्तर हो सकता है। सावधानी बरतें। स्वास्थ्य एवं शिक्षा की दृष्टि से समय अशुभकारी रहेगा।

मीन- इस राशि पर शनि स्वण पाया से धन लाभ एवं उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। प्रतिष्ठा में वृद्धि, सुख क्रय-विक्रय में संतुष्टि। इस राशि पर शनि की तृतीय पूर्ण दृष्टि रहेगी। अतः उत्साह तथा धैर्य में कमी के चलते बनते काम बिगड़ेंगे। नई योजनाएं बनेंगी, सावधानी बरतें।


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