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सफलता की 10 चाबियाँ

सफल होने का अर्थ है काम, दाम, नाम, सम्मान और कमान। मात्र पैसा ही सफल नहीं बना सकता। सफल होना तो हर कोई चाहता है लेकिन सही रास्ता नहीं मिलता। वास्तव में आप के पास सफलता के लिए प्रकृति प्रदत्त दस चाबियां हैं जिन्हें अपने जीवन के ताले में लगाएं और बढ़ते चले जाएं सफलता के रास्ते पर। आईये जानें कौन-सी हैं वो सफलता की 10 चाबियाँ…

लगन और उत्साह

सफलता के मार्ग पर व्यक्ति की गाडी तभी चलती है जब तक इसमें लगन व उत्साह का ईंधन होता है। लगन एवं उत्साह उत्पन्न होता है समर्पण एवं चाहत से। सफलता की पहली शर्त, पहला सूत्र यह है कि सफलता की ऐसी चाहत होनी चाहिए जैसे जीवन के लिए प्राणवायु की। सफलता का रहस्य ध्येय की दृढ़ता में है।

समय की पाबंदी

समय की महत्ता दर्शाते ढेरों कहावतें, मुहावरे दुनिया की लगभग हर भाषा में मिल जाएंगे। यह सत्य सभी मानेंगे कि समय अपनी चाल से चलता है, न धीमा न तेज़। समय उनके लिए अच्छा चलता प्रतीत होता है, जो समय के साथ चलते हैं और उनके लिए ख़राब चलता है, जो समय से पीछे चलते हैं या तेज़ भागने की कोशिश करते हैं। जब तक समय प्रबंधन नहीं होता, तब तक समय हमारे नियंत्रण के बाहर चलता रहेगा। अतः दीर्घसूत्रता या काम का आज कल पर टालमटोल नहीं होना चाहिए।

दृष्टिकोण रखे व्यापक

सिद्धांततः जीवन में वही अधिक सफल व्यक्ति है, जो सबसे अधिक जानकार है। जो क्षेत्र हमारी दृष्टि परिधि में होता है हम साधारणतः उसी के प्रति सचेत एवं जागरूक होते हैं। यही बातें हमारे दृष्टिकोण या नज़रिये के बारे में भी सत्य है। हमारा कार्यक्षेत्र एवं नियंत्रण क्षेत्र बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि हम अपना दृष्टिकोण व्यापक बनाएं। अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने का तरीका है अपने आँख-कान खोलकर रखना, बुद्धि को सूक्ष्म और ह्रदय को विशाल बनाना।

सकारात्मक सोच

अँधेरे में रास्ता दिखाने हेतु एक दीपक पर्याप्त होता है। आशावाद के जहाज पर चढ़कर हम मुसीबतों एवं समस्याओं के तूफानों से उफनते असफलताओं के महासागर को भी पार कर सकते हैं।

कमज़ोरियों को पहचाने

हर व्यक्ति में कुछ न कुछ कमज़ोरियाँ होती है। शतरंज के खेल की तरह हमें हर कदम सोच-समझकर अपनी ताकत एवं सीमाओं का आकलन करते हुए उठाना चाहिए। हाँ, सावधानी शतरंज के खेल से भी अधिक रखनी चाहिए, क्योंकि जीवन कोई खेल नहीं है।

हार की संभावना समाप्त करें

जीत या सफलता सुनिश्चित करने का तरीका है हार की संभावना समाप्त कर देना। सफलता की तैयारी का महत्वपूर्ण भाग है उन कारकों को पहचानकर मूल से समाप्त कर देना जिनसे असफलता आ सकती है। ये वे कारक हैं, जो आपकी तैयारी की कमज़ोर कड़ी हैं। ये वे कारक हैं, जो लक्ष्य से आपका ध्यान विचलित कर सकते हैं। ये वे कारक हैं जिनका आपका प्रतिद्वंदी लाभ उठा सकता है। पराजय से बचना विजय ही को नियंत्रण है। नुकसान की संभावना समाप्त होने पर ही नफे की शुरुआत है। इसी तरह असफलता की संभावना से रहित तैयारी ही सफलता की गारंटी है।

आचरण एवं कर्म

व्यक्ति का आचरण एवं उसके कर्म ही उसकी पहचान होते हैं। यदि हम दूसरों के ह्रदय में स्थायी जगह चाहते हैं तो इसका आधार हमारे ईमानदारीपूर्ण कर्म ही हो सकते हैं। महज शब्दों द्वारा अपनत्व बताना रेत पर बनी लकीरों की तरह होता है जिन्हें हर आती-जाती सागर की लहर बनाती-मिटाती रहती है। पर कर्म पाषाण पर उकेरी आकृति की तरह होता है, जो एक स्थायी स्मृति बन जाता है।

ईमानदारी और उदारता

कोई भी सामजिक गतिविधि जनसहयोग के बगैर पूर्ण नहीं हो सकती। लोग तभी हमारे साथ रहेंगे जब उन्हें हमारी ईमानदारी पर भरोसा होगा और हमारा साथ उन्हें गरिमापूर्ण महसूस होगा। बेईमानी, भय और उपेक्षा की नीवं पर हम सहयोग की इमारत खड़ी नहीं कर सकता।

खुश रहें, खुश रखें

यह सूत्र जितना नैतिक एवं मानवीय मूल्य रखता है, उतना ही वैज्ञानिक मूल्य भी रखता है। मनोवैज्ञानिक के अनुसार हम अपना श्रेष्ठ योगदान तभी दे सकते हैं या अपनी क्षमता का अधिकतम उपयोग तभी कर सकते हैं, जब हम सौहार्दपूर्ण तनाव रहित वातावरण में कार्य कर रहे हों। जिस प्रकार जहाँ प्रकाश हों वहाँ अंधकार नहीं हों सकता, उसी प्रकार जहाँ खुशी हो, प्रसन्नता हो, वहाँ तनाव नहीं हो सकता।

दूसरों की नकल न करें

कमान उन्हीं के हाथों में होती है, नेता वही होते हैं जो अपना मार्ग स्वयं निर्माण करते हैं और उस पर ही जनसमूह को ले जाते हैं। इतिहास ऐसे ही नेतृत्व को याद रखता है। भेड़चाल चलने वाले कभी सफल नहीं हो सकते। सफलता की रेखाएं उन्हीं मनुष्यों के कपाल में अंकित हैं जिनके ह्रदय में नवीन आविष्कारों की आंधी पैदा हुआ करती है।


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Sri Maheshwari Times

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