Vichaar Kranti

महिला से अधिक महिमावान कोई नहीं

सार यह कि माँ, बहन, पत्नी, पुत्री हर रूप में स्त्री की महिमा अपरंपार हैं। वह शक्ति, बुद्धि, लक्ष्मी होकर संसार को धारण करने वाली धरती की भांति दृढ़ और सहनशील तथा गंगा की भांति निर्मल और पूतकारी हैं। मत भूलिए! स्त्री हैं तो सारा जगत हैं।

महिलाओं को पुरुषों से बराबरी करने की जरूरत नहीं है। इसलिए कि पुरूष प्रधान समाज यह माने या न मानें लेकिन सच्चाई यही है कि पुरूष के मुकाबले महिला ही हर युग में आगे और अव्वल रही हैं।

यदि कोई स्त्री के सामथ्र्य को अहंकार में आकर पुरूष से कमतर बताने का दुस्साहस करें तो उसे महाभारत में देवी शकुंतला की कथा का स्मरण कराइए।

कथा है कि जब महाभारती शकुंतला अपने पुत्र भरत को साथ लेकर पति राजा दुष्यंत की राजसभा में पहुँची तो राजा पत्नी और पुत्र को जानकर भी अनजान बन गया। राजा ने जिस शकुंतला से गांधर्व विवाह किया था, राजा ने उसे पत्नी स्वीकारने से इनकार कर दिया। जब राजा शकुंतला का तिरस्कार करता है तब वह पति को जो तर्क देती हैं, उन्हें आज की सभी महिलाओं को अनिवार्य रूप से समय निकाल कर पढ़ना चाहिए। ताकि आवश्यकता पड़े तो पुरुषों को याद रख सुनाया जा सकें।

वह कहती है कि स्त्री का सामथ्र्य तो यह हैं कि साधारण पुरुष तो दूर, ऋषि-मुनि भी उसके बगैर संतान उत्पन्न करने का नहीं सोच सकते। जो स्त्री पुरूष को पैदा करने का सामथ्र्य रखती हैं वह स्वयं कमजोर कैसे हो सकती है?

विवेक कुमार चौरसिया


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Sri Maheshwari Times

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